Saturday, July 19, 2014

लखनऊ rape और हत्याकांड ने देश को झकझोर के रख दिया है .......... इस घटना ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी हैं ......... देश में भयंकर आक्रोश  है ....... पर मैं थोडा confused हूँ ........ आक्रोश किसके खिलाफ है ? सरकार के खिलाफ ? पुलिस के खिलाफ ?  उन दरिंदों के खिलाफ ? या पूरे समाज के खिलाफ ? किस से नाराज़ हैं लोग ..........

आखिर सरकार से या पुलिस से लोगों की अपेक्षा क्या है ? किसी समस्या के निवारण के दो पहलू होते हैं .........preventive और  curative .......... समाज में व्यवस्था क्या होनी चाहिए ? हम rape को prevent करें या जब rape हो जाए तो उसपे त्वरित कार्यवाही करके , दोषियों को पकड़ के सज़ा दे दें ?  निश्चित रूप से किसी भी समस्या का हल उसकी रोकथाम यानि prevention में हैं न की उपचार यानि cure में ........आदर्श स्थिति ये होगी की व्यक्ति और समाज बीमार ही न पड़े .....स्वस्थ रहे ........

जब निर्भया काण्ड हुआ दिल्ली में , तो बलात्कारियों के लिए फांसी की सज़ा के लिए बहुत बवाल हुआ ......जिसे देखो वो एक ही बात कहता था .....फांसी दो ...फांसी दो ....... तब मैंने एक पूरी सीरीज लिखी थी अपने ब्लॉग पे ......... अरे भैया क्या सिर्फ कडा कानून मात्र बना देने से अपराध रुक जायेंगे ?  क्या वाकई कानून ही deterrent होता है ? सारी दुनिया सिर्फ और सिर्फ कानून की ही बात करती है ......... अरे भैया , इस दुनिया में तकरीबन हर अपराध के लिए कानून है और सज़ा का प्रावधान है .........क्या दुनिया से अपराध ख़तम हो गए ........ हाँ कानून deterrent  का काम करता तो है पर बहुत सीमित असर है उसका ........

एक छोटा सा ताला मिलता है बाज़ार में ........एकदम पिद्दी सा ....देखा है कभी ?  क्या औकात होती है उस ताले की ? पर शरीफ आदमी के लिए वही छोटा सा ताला बहुत है ..........वो एक प्रतीक है ........ रोकता है एक शरीफ आदमी को कि , बस ....इस से आगे तुम्हारा अधिकार नहीं है ......... पर ध्यान दीजिये , आदमी रुकता उस ताले की वजह से नहीं बल्कि अपनी शराफत की वजह से  है .......... वरना आज तक ऐसा कोई ताला नहीं बना , तिजोरी नहीं बनी जिसे चोर तोड़ न लें या खोल न लें .........

आपको क्या लगता है की सरकार और पुलिस रोक लेगी किसी को दरिंदगी करने से ? बना तो है कडा कानून निर्भया के बाद ..........पर क्या उस से रुक गयी लखनऊ की घटना ? हाँ बहुत से लोग डर गए होंगे उस कड़े क़ानून से ........ पर फिर भी लखनऊ तो हो ही गया न ........ दुनिया की कोई सरकार , कोई पुलिस और कोई कानून और कोई जेल पशु को मनुष्य नहीं बना सकती ........... सिर्फ और सिर्फ education ही पशु को मनुष्य बना सकती है ...... वैसे मैं लिखना तो चाहता था " संस्कार "  .....पर क्या है की संस्कार एक संघी शब्द है ........ इस से कुछ अत्यंत आधुनिक लोगों को बड़ी दिक्कत हो जाती है .....इसलिए मैंने संस्कार की जगह education शब्द का प्रयोग किया ...पर यहाँ एजुकेशन से मेरा आशय BA की डिग्री नहीं है ...... एजुकेशन से आशय शिक्षा और संस्कार से ही है ......... दुनिया की हर समस्या का एक ही हल है .........एजुकेशन और सिर्फ और सिर्फ education ......संस्कार ............

आज लखनऊ काण्ड पे देश गुस्से में है .........न्यूज़ चैनल्स सरकार और पुलिस को निशाना बना रहे हैं ........ पर क्या ये जिम्मेवारी से भागना नहीं है ?  सरकार और पुलिस क्या वाकई 130 करोड़ लोगों को सुरक्षा दे सकती है इस तरह .......हर अकेली महिला के पीछे पुलिस लग सकती है क्या ? कितने CCTV कैमरा लगेंगे ?  सामने बैठे आदमी के दिमाग में क्या चल रहा है कौन जानता हैं .....कब इसकी पशुता जाग उठेगी ? कब ये आदमी से दरिंदा बन जाएगा कौन जानता है ?  कैसे बचाएं अपने आप को उस संभावित दरिन्दे से ?

इन सवालों के हल सरकार और पुलिस को नहीं मुझे आपको , इस पूरे समाज को खोजने होंगे .....सिर्फ सरकार को गाली दे के हम अपनी जिम्मेवारी से नहीं भाग सकते .........

Thursday, July 17, 2014

पंजाब पर्यटन की दृष्टि से कोई आकर्षक destination नहीं है ......... ले दे के अमृतसर में एक golden temple है ........ दूर दराज़ से पर्यटक जब पहुँचता है और वहाँ माथा टेक लेता है तो पूछता है , अब क्या करू ? और क्या है देखने के लिए ? बाबा जी का ठल्लू .......... जाओ वाघा बॉर्डर देख आओ ........ अब बताओ भैया .....बॉर्डर भी कोई देखने की चीज़ होती है ? क्या है वहाँ ? दोनों तरफ हिन्दुस्तान पकिस्तान की पोस्ट बनी है ..........एक सड़क पे एक गेट है ....... इस तरफ BSF बैठी है उधर पकिस्तान के rangers ......रोजाना शाम को दोनों देशों के ध्वाज उतारते हैं .......पाकिस्तानी रेंजर परेड करते है तो टांग इतनी ऊपर उठाते हैं की सिर से ऊपर चली जाती है .......और गला फाड़ फाड़ के चिल्लाते हैं .......... आँखें अंगारे जैसी लाल होती हैं ........ पाकिस्तानियों का ये चूतियापा देखने के लिए रोजाना वहाँ 10,000 से ज़्यादा पर्यटक जुटते हैं ........ खूब देश भक्ति का माहौल होता है .....वन्दे मातरम् और भारत माता की जय के नारे फिजा में तैरते हैं .........अमृतसर से वाघा बॉर्डर की दूरी लगभग 45 km है ........ यानि लगभग 1200 टैक्सी वालों को रोज़गार मिला हुआ है ........25 लाख रु रोजाना का revenue सिर्फ टैक्सी उद्योग को ........ रास्ते में चाय पानी ...खाना ...... और बहुत कुछ ........साल का लगभग 125 करोड़ .......... भारत सरकार ने जब ये चेकपोस्ट बनायी होगी तो ये नहीं सोचा होगा की ये अमृतसर वालों को ........गरीब आम आदमी को , सालाना 125 करोड़ कमा के देगी .........

गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ती बन रही है ........ दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ती होगी ........ केंद्रीय बजट में उसके लिए 200 करोड़ आवंटित किये गए हैं ........स्वाभाविक है आलोचना शुरू हो गयी है . पेशेवर आलोचकों ने गाली महोत्सव प्रारम्भ कर दिया है ........ स्वाभाविक है , बिना सोचे समझे ही गरिया रहे हैं .........

गुजरात सरकार ने ये प्रोजेक्ट दरअसल एक टूरिज्म आकर्षण के रूप में प्लान किया है ....... पूरा प्रोजेक्ट 500 करोड़ से ज़्यादा का है ....... जो प्रजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गयी है उसके हिसाब से इस से उस क्षेत्र के लोगों को प्रति वर्ष 100 करोड़ से ज़्यादा का बिजनेस मिलेगा .......और हज़ारों लोगों को रोज़गार .......जी हाँ मूर्ती से रोज़गार .....पर्यटन रोज़गार के अवसर पैदा करता है ......... कुछ साल पहले तक नर्मदा पे बने सरदार सरोवर बाँध पे लोगों का जाना वर्जित था .....मोदी सरकार ने उसे पर्यटकों के लिए खोल दिया और पहले ही साल 5 लाख पर्यटक पहुँच गए ........ आज से सात साल पहले गुजरात का पतंग उद्योग जो मात्र 10- 20 करोड़ सालाना का हुआ करता था ........ गुजरात सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव से इसे जोड़ दिया और वही उद्योग आज सुनते हैं की 700 करोड़ का हो गया है ........पतंबाज़ी से पर्यटन ...... सरदार पटेल की मूर्ती हज़ारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोज़गार देगी ....... मूर्ति पे खर्च होने वाले 500 करोड़ के अतिरिक्त 1500 करोड़ रु उस पूरे क्षेत्र में पर्यटकों के लिए सुविधायें जुटाने के लिए खर्च किये जायेंगे .........मोदी स्वभाव से गुजराती बनिए हैं .......10 रु वहीं खर्च करेंगे जहां से 15 रु वापस मिलें ...........
मेरी ये पक्की धारणा है की एक पत्रकार को किसी भी राजनैतिक , सामाजिक , सांस्कृतिक भौगोलिक पूर्वाग्रहों से मुक्त रहना चाहिए ......... यहाँ तक की धार्मिक पूर्वाग्रहों से भी ........साहित्यकार और पत्रकार को कभी भी खुद को किसी दायरे में सीमित नहीं करना चाहिए ......... बाँधना नहीं चाहिए ....... राजनेताओं की बात अलग होती है ......उन्हें अपने वोटर को हर हाल में खुश रखना होता है .....उन्हें हर हाल में popular sentiment के साथ ही बहना पड़ता है ....... पर पत्रकार , साहित्यकार और सन्यासी .......इनको कभी अपने पाँव में बेडी नही पहननी चाहिए .......... मेरा prem prakash जी से हमेशा एक ही झगडा रहता है ........ मैं उनसे हमेशा कहता हूँ की या तो खुद को पत्रकार लिखना बंद कर दो या फिर निष्पक्ष हो जाओ ......... राजनैतिक पूर्वाग्रह त्याग दो .......

मैं खांटी फेस्बुकिया हूँ , कोई पत्रकार नहीं ....... यूँ कहने को मोदीभक्त का ठप्पा लगा है मेरे ऊपर ........ पर जब राहुल गाँधी ने poverty is a state of mind ........ वाला बयान दिया तो मैंने अपनी वाल से खुल के उसका समर्थन किया था .......मोदी ने ज अरुणाचल जा के nido की ह्त्या का मामला उठाया तो मैंने उनकी खूब आलोचना की थी ........ये चिंके खुद यहाँ north india में आ के सबसे अलग थलग रहते है और फिर victim प्ले करते हैं .....खुद साले एक नंबर के रेसिस्ट हैं और आरोप हमारे ऊपर लगाते हैं ........

जब प्रशांत भूषण ने कश्मीर वाला बयान दिया था तो मैंने उनको महीनों गरिआया .......... पानी पी पी के गरिआया ...... वो इसलिए की उन्होंने वो बयान एक राजनेता की हैसियत से दिया था ........ पत्रकार की हैसियत से नहीं ...........वैदिक ने यदि कश्मीर पे कोई बयान दिया है ( यदि दिया है.......20 सेकंड की youtube क्लिप्पिंग से कोई निष्कर्ष नहीं निकालना चाहिए . पूरा इंटरव्यू देखिये फिर निष्कर्ष निकालिए ) तो एक पत्रकार की हैसियत से दिया है ......... मैंने पश्चिम के बहुत से पत्रकारों को पढ़ा है जो अपने देश की स्थापित राजनातिक मान्यताओं के खिलाफ बड़े मुखर हो के लिखते है और वहाँ की society उनके इस अधिकार का सम्मान करती है ....... कोई हो हल्ला नहीं मचाती .....

किसी पत्रकार के लिए ये ज़रूरी नहीं की वो अपने देश के पोपुलर पोलिटिकल या socio religious सेंटिमेंट के अनुरूप ही लिखे ........international borders मछुआरों के लिए होते हैं ........समंदर की मछली किसी बॉर्डर की परवाह नहीं करती ......उसे करनी भी नहीं चाहिए .........पत्रकार , साहित्यकार और सन्यासी को समंदर की मछली बन के ही रहना चाहिए 
पकिस्तान और अन्य इस्लामिक देशों में एक कानून है जिसे ईश निंदा क़ानून कहते हैं . Blasphemy........ इसका आशय ये है की अगर कोई आदमी अल्लाह , उसके रसूल यानि मुहम्मद साहब और कुरआन शरीफ की यदि निंदा करता है या अपमान करता है तो उसी इस क़ानून के तहत मौत की सज़ा सुनायी जाती है ......... पकिस्तान में अक्सर ऐसी खबरें आती रहती हैं की मोहल्ले में दो पड़ोसियों की लड़ाई में ही एक आदमी ने पड़ोसन पे आरोप लगा दिया की इसने मुझसे लड़ते हुए मुहम्मद साहब को गाली दी ......... बस आरोप लगाना ही काफी है ....किसी गवाही की कोई ज़रुरत नहीं .....अदालत में जज साहब ने उस औरत को फांसी की सज़ा सुना दी ......... पंजाब प्रांत के गवर्नर Salmaan Taseer ने इस बचकाने मूर्खतापूर्ण क़ानून के खिलाफ आवाज़ उठायी तो उनके ही गार्ड ने उन्हें गोली मार दी . पूरे पाकिस्तान का हीरो बन बैठा . उसे पाकिस्तानी समाज ने ग़ाज़ी की उपाधि दे दी .......... क्या आलम था जहालत का ........ इस जहालत के खिलाफ मुह खोलने की हिम्मत पूरे पकिस्तान में किसी की न हुई . जो चंद समझदार लोग थे वो दुम दबाये घरों में छिपे बैठे रहे .

अब आप मुझे बताइये की इस से बड़ी जहालत कोई और हो सकती है क्या ? और जो समाज ऐसे कानून को बर्दाश्त करता है उसे आप क्या कहेंगे ?

हिन्दुस्तान में भी पिछले दो दिनों से कुछ ऐसा ही माहौल देखने को मिल रहा है . कांग्रेस पार्टी का एक बड़ा , सीनियर नेता आनंद शर्मा , संसद में मांग कर रहा है की एक पत्रकार को गिरफ्तार किया जाए क्योंकि वो हाफिज़ सईद से मिल के आया है . टीवी पे यही मांग संजय निरुपम दोहरा रहे हैं . गाजीपुर से विगत लोक सभा चुनाव में AAP प्रत्याशी braj bhushan dube राष्ट्रपति को पात्र लिख के मांग कर रहे हैं की वैदिक को गिरफ्तार किया जाए .

किस जुर्म में भैया ? क्या गुनाह किया है पत्रकार ने ? क्या चार्ज लगाओगे उसपे ? कौन सी धारा लगा के करोगे गिरफ्तार ? अबे बाप का माल है क्या ? किस देश के कौन से क़ानून का उल्लंघन किया है पत्रकार ने ? किस किस को गिरफ्तार करोगे ? इस धरती पे ऐसे हज़ारों पत्रकार , फिल्मकार , लेखक , मनोवैज्ञानिक , researcher और वकील हैं जो दुनिया भर में हाफिज़ सईद से भी ज़्यादा खतरनाक अपराधियों से मिल के , उनका इंटरव्यू ले के , उनसे बात चीत कर के , उनके साथ खाना खा के , फोटो खिचवा के , इश्क फरमा के और यहाँ तक की pregnent हो के लौटे / लौटी हैं ............. किस किस को गिरफ्तार करोगे और किस जुर्म में करोगे ........... किसी चर्चा , परिचर्चा , सेमीनार , भाषण में , पैनल discussion में किसी विद्वान् को अपनी बात कहने के जुर्म में गिरफ्तार किया जाएगा .......और वो मांग भारत जैसे देश से उठेगी ? ईश निंदा कानून है क्या ? या फिर कश्मीर निंदा कानून ?

ऐ हिन्दुस्तानियों , जहालत में पकिस्तान से मुकाबला करना चाहते हो ? इतनी असहिष्णुता ? ऐसी सेंसरशिप ? वो भी पत्रकारों पे ? कहाँ गए प्रेस की स्वतन्त्रता के झंडा बरदार ?

बोल ........... कि लब आज़ाद है तेरे ..............
मैं हमेशा से superiority complex से ग्रस्त रहा हूँ ......... सामने बैठे 100 में से 99 आदमी मुझे अनपढ़ लगते हैं ........ अनपढ़ दो किस्म के होते हैं . एक वो जिन बेचारों को पढ़ने लिखने का मौक़ा नहीं मिलता . इनसे मुझे कोई समस्या नहीं होती . मुझे समस्या होती है पढ़े लिखे अनपढ़ों से ......... पढ़ा लिखा अनपढ़ बहुत खतरनाक जीव होता है ....... उसकी समस्या ये होती है की वो जानता नहीं की वो अनपढ़ है ............ दूसरी बात ये की उसे आप कुछ सिखा पढ़ा समझा नहीं सकते ......क्योंकि वो ये समझता है की उसे सब पता है ...... पहले से भरे कटोरे में आप कुछ और नहीं डाल सकते ........ अपनी समझ का कटोरा हमेशा खाली रखो .........और उसे सीधा रखो ......... जिस से की अगर ज्ञान की एक बूँद भी गिरे तो आपकी समझ के कटोरे में ही गिरे ........बाहर spill न कर जाए .......
मेरे साथ समस्या ये है की मैं ये जानता हूँ की मुझे कुछ नहीं पता ........ अभी बहुत कुछ सीखना है ....... मेरे बगल में कोई भी बैठा हो , यदि मैं कुछ लिख पढ़ नहीं रहा तो मैं तुरंत अपने सहयात्री से बात करना शुरू कर देता हूँ ...... आप क्या करते हैं ????? और फिर वो जो कुछ भी करता है मैं उस से उसके ट्रेड की सारी बारीकियां समझ लेता हूँ ....मुझे याद है की एक बार मैं एक रिक्शे वाले से , जो लोहित एक्सप्रेस से जालंधर से गुवाहाटी जा रहा था , दो घंटे बतियाता रहा . मेरी धर्म पत्नी तंग आ गयी .......ओह्ह हो ......कितनी बातें करते हो ? रिक्शे वाले से इतनी बातें ? क्यों....... रिक्शा चलाना है क्या ?
एक बार की बात है . मैं धर्मपत्नी के साथ बनारस से लखनऊ के लिए चला . बगल में एक सज्जन आ के बैठ गए . उनको देखते ही मैं समझ गया के रेल में ड्राईवर हैं ......... बस हो गयी बातें शुरू . क्या होता है ? कैसे होता है ? कैसे चलती है ? कैसे रूकती है ? वो आदमी भी बतरस का रोगी था . बतियाता रहा पूरे सात घंटे मुझ से . धर्म पत्नी तंग आ कर सो गयी थी . जब लखनऊ उतरने लगे तो श्रीमती जी ने टोका ........आज तो पूरी रेल चलानी सीख गए होगे ? ड्राईवर साहब बोले .....भाई साहब मैं 9 घंटे में एक माल गाडी लखनऊ से बनारस ले के गया था .......सोचा था वापसी में सोउंगा .......आपसे बातें करते न नींद आई न सफ़र का पता चला ...........
40 साल से ऊपर हो गए मुझे लोगों से इसी तरह गप्पें मारते ........पर अब भी यही लगता है की कुछ नहीं पता मुझे ....कितना कुछ सीखना बाकी है ........ मैं अनपढ़ नहीं मरना चाहता .......







दो दिन पहले टीवी पे times now की एडिटर नाविका कुमार को BRICS सम्मलेन स्थल पे चीत्कार करते देखा .....मोदी जी ....प्लीज़ .....देखिये ये सुरक्षा कर्मी हमें आगे नहीं आने दे रहे .......... ये देख के कलेजे को बड़ी ठंडक पहुँची . 

शोले film का दृश्य याद आता है जब ठाकुर कहता है ......... कालिया ......गब्बर से कह देना .....रामगढ़ वालों ने कुत्तों के आगे रोटी डालना बंद कर दिया है . इधर मोदी ने भी कुत्तों केआगे हड्डी डालना बंद कर दिया है ....... सरदार मनमोहन सिंह जी जब विदेश दौरे पे जाते थे तो उनके साथ निजी news channels और अखबारों के पत्रकार नुमा news ट्रेडर्स की फ़ौज जाया करती थी ....सरकारी खर्चे पे क्या ऐश और अय्याशी होती थी ......... PM के साथ विशेष विमान में executive class ट्रेवल .....वहाँ 5 और 7 सितारा होटलों में प्रवास ......और मौज मस्ती , अय्याशी ........फुलटू दारू मुर्गा ......पर कम्बखत जब से नयी सरकार आयी है ......रामगढ़ के ठाकुर ने कुत्तों के आगे हड्डी डालना बंद कर दिया है ....... अब सरकारी प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ दूरदर्शन , RS , LS टीवी के पत्रकार जाते हैं ...... news channels अपने खर्चे पे अपने पत्रकार भेजते हैं जिन्हें वहाँ सुरक्षा कर्मी कुत्ते की तरह दुत्कार देते हैं ........ नज़दीक नहीं आने देते ....... पत्रकार बेचारा 12 डॉलर के दैनिक भत्ते में किसी तरह bread omelette खा के ज़िंदा रहता है .......

news channels रामगढ़ वाले ठाकुर साहब पे खुन्नस उतार रहे हैं .......... BRICS की खबरें news से गायब हैं .........





आज टीवी पे एक समाचार दिखाया गया . टमाटर की फैक्ट्री . टमाटर का कोई नया बीज आया है . उसके पौधे में 19 kg टमाटर लगेगा . इसलिए अब टमाटर सस्ता हो जाएगा . ये चैनल वाले इतने जाहिल हैं की महंगाई की समस्या को समझते ही नहीं . टमाटर देश में इसलिए महँगा नहीं है की उपज कम होती है ....... उपज तो इतनी होती है की सम्हालना मुश्किल हो जाता है .........अभी पिछले महीने यहाँ मलेर कोटला की स्थानीय सब्जी मंडी में सब्जियों का ये हाल था की टमाटर का थोक भाव 2.5 रु किलो तक आ गया था . खीरा 3 रु और शिमला मिर्च भी 3 रु किलो ही बिक रही थी . लौकी का तो ये हाल रहा की संगरूर के किसानों ने मंडी में ना ला कर पशुओं को खिलाना उचित समझा . पर वही टमाटर हमारे घर के बगल वाली दूकान पे 10-12 रु और शिमला मिर्च 15-20 रु बिकती थी . समस्या ये नहीं है की सब्जी का उत्पादन कम है . समस्या ये है की सब्जी में 4 दिन की चांदनी और फिर अँधेरी रात होती है .... जब खेतों में सब्जी निकलती है तो भाव आ जाता है 2 रु . किसान बेचारे को कुछ नहीं मिलता . महीने भर में जैसे ही फसल का सीजन ख़तम हुआ वही सब्जी 30 -40 - 50 पे पहुँच जाती है .

ऐसे में टीवी समाज में आग लगाने का काम करता है . ब्रेकिंग news .....टमाटर हुआ लाल .........अरे पढ़े लिखे जाहिल ......टमाटर का सीजन कब का ख़तम हो गया . अब जो टमाटर आ रहा है वो शिमला और नैनीताल के green house में उगाया गया टमाटर है जो की ट्रक में लाद के 300 km दूर लुधियाना लाया गया है ....... उसका थोक मूल्य ही 25 -28 रु है . 35 -40 बिकना स्वाभाविक है . हाँ posh colony का दुकानदार उसे 70 -80 भी बेच देता है .......

नयी प्रजाति का पौधा जब 18 किलो उपज देगा तो सिर्फ इतना फर्क पडेगा कि सीजन में थोक भाव जो पहले 3 रु किलो होता था अब 2 रह जाएगा . पर एक महीने बाद वही 30-40 रु ........ कृषि विज्ञान में नयी सोच ये होनी चाहिए की ऐसा पौध विकसित करें जो जून जुलाई अगस्त में भी फले ........ इसके अलावा साल भर ताज़ी सब्जी सस्ते दाम पर नहीं खिलाई जा सकती ......उसका एक मात्र हल है food processing , cold storage और logistic chain ......125 करोड़ लोगों को साल भर सस्ती सब्जी खिलाने का एक यही एक तरीका है ...... cold storage की अपनी सीमाएं हैं . इसलिए सीजन में जब दाम एकदम कम हों तब उन्हें डिब्बे में पैक करो ....... जब food processing इंडस्ट्री मंडी में पहुँच जायेगी माल खरीदने तो किसान का जो टमाटर आज 2 रु बिकता है वो 5-6 रु बिकने लगेगा ........ इस से आम उपभोक्ता जो एक महीने सस्ती और 11 महीने महंगी सब्जी खाता है उसके लिए साल भर एक स्टैण्डर्ड रेट स्थिर रखा जा सकता है ........ साल भर सब्जी सस्ती मिल सकती है .....
हिन्दुस्तान को processed food खाना सीखना ही पडेगा ........सूखी vacuum dried प्याज और powder tomato और canned vegetables खाना ही पडेगा .......फ्रेश सब्जी खिला के 125 करोड़ लोगों का पेट नहीं भरा जा सकता ........ न किसान को संपन्न बनाया जा सकता है .
दोस्तों , इस पोस्ट की भाषा के लिए कृपया मुझे क्षमा करेंगे . 

कुत्ता पाला है कभी ? या कभी कुत्तों को देखा है ? देखा माने observe किया है ? मोहल्ले की कोई कुतिया जब heat में आती है तो क्या होता है ? शहरी लोग बेचारे जीवन के बहुत मजेदार दृश्यों से वंचित रह जाते हैं ............ हाँ तो साहब मोहल्ले की कोई कुतिया जब heat में आती है तो क्या होता है ? अजी जनाब क्या दृश्य होता है .......पूरा मुहल्ला इराक बन जाता है ......... साले देस भर के कुत्ते जमा हो जाते हैं ....... वो आगे आगे कुत्ते पीछे पीछे ..........चिल्ल पों मची रहती है ...... हमारे पास भी एक कुत्ता होता था ......पिता जी उसे बाँध दिया करते थे ....... सोच लीजिये बेचारे के साथ कितना बड़ा अन्याय होता रहा होगा ........रोता था ......चीखता था ......हुआँ हुआँ करके रोता था ......इतना रोता था की रात भर सोने नहीं देता था ......... अंत में पिता जी तंग आ जाते और खीज के उसे खोल देते .......... जा भाई जा ......जा साले जा .....मर ......जा ले ऐश .....पर अब आना मत लौट के ........ जा . और वो ऐसे भागता जैसे जेल से छूटा हो ....... और फिर लौटता हफ्ते भर बाद ..........पर अल्लाह बड़ा ही दयालु है और अल्लाह सब जानता है .......... उसने सिस्टम बड़ा अच्छा बनाया है ........ पहला ये की गाँव भर में बस 4-6 कुत्तियाँ ही होती हैं .......दुसरे साल भर में सिर्फ दो बार ही heat पे आती हैं ....... हफ्ते भर के लिए .........इसलिए गाँव में छोटा मोटा दंगा ही होता है .......पूरा मुल्क इराक बनने से बच जाता है ......सोच के देखिये की गाँव में 2-400 कुत्तियाँ हों और हमेशा heat पे ही रहे .....क्या होगा ?

इस पोस्ट को आगे पढ़ते हुए ये कुत्तों वाला किस्सा याद रखियेगा .........माफ़ी एक बार और मांग लेता हूँ ...... कान पकड़ के ........

हुआ ये है की स्कूल में 13 साल के लड़के ने 13 साल की लड़की का rape कर दिया है ........ अभभावक बंधु स्कूल में घुस के बवाल काट रहे हैं ......तोड़ फोड़ कर रहे हैं ....... मार पीट कर रहे हैं ........ कहते हैं की हमारे बच्चे स्कूल में सुरक्षित नहीं हैं ....... प्रिंसिपल और स्टाफ को फांसी पे लटकाओ ........ उन ने हमारी लड़की की रखवाली नहीं की ........ वाह सुनील बाबू ..........बढ़िया है .

20 साल मैंने स्कूल ही चलाया है ........अब श्रीमती जी एक बड़े स्कूल की प्रिंसिपल हैं ........ आज से 25 साल पहले जब स्कूल शुरू किया था तो बोल दिया था .....देखो भैया .....न तो MA Bed हूँ , न कोई मान्यता है , न बिल्डिंग है और न affiliation ......न कोई certificate मिलेगा न TC mark sheet ......... सिर्फ और सिर्फ पढाई मिलेगी ....... जिसको पढवाना है पढ्वाओ वरना ऐसी की तैसी कराओ .......भाई लोगों ने उपाय निकाल लिया ......बच्चों का नाम लिखवा देते थे प्राइमरी स्कूल में और भेजते थे मेरे पास ......पेड़ के नीचे बैठा के पढाता था .........अपनी शर्तों पे ....अपने हिसाब से ........ आगे चल के जब पूरा स्कूल बन गया तो सरकार की लाल फीता शाही और अभिभावकों के दबाव में पढाई तो घुस गयी तेल लेने और खाली रजिस्टर भरे जाने लगे ....... हमने हाथ खड़े कर दिए .......भैया पढ़ा सकते हैं ....रजिस्टर किसी और से भरवा लो ....... आज धर्म पत्नी एक बहुत बड़े स्कूल की प्रिंसिपल हैं ....127 किस्म की फाइल और रजिस्टर भरने पड़ते हैं ........ स्कूल की मास्टरनियां पढाई के नाम पे सिर्फ और सिर्फ copy check करती हैं ....यदि बच्चे ने बिंदी की भी गलती की है तो उसे भी लाल पेन से मार्क करना है .........एक भी गलती छूटनी नहीं चाहिए ........ प्रिंसिपल और अभिभावक खाल उतार लेंगे .........

अब नया बवाल आ गया ........अबे छोडो पढाई और कॉपी किताब ......पहले ये देखो की कौन कहाँ जा रहा है .........क्या कर रहा है ........ एक बड़े स्कूल में कम से कम 100 ऐसी जगहें और कोने होते हैं जहां कोई कुत्ता किसी heat में आई कुतिया पे चढ़ जाए

.........sexual maturity जो बच्चों में किसी ज़माने में 15-16 साल की उम्र में आया करती थी आजकल 9-10 साल में आ जा रही है ........ TV और संचार माध्यमों में नंगा नाच चल रहा है और सिर्फ और सिर्फ sex ही परोसा जा रहा है .......खुल के .......बेशर्मी से .........उस नंगे नाच को बच्चे दिन रात देख रहे हैं ....... 10 साल की लड़की boyfriend खोजने लगती है ........ संस्कार गया तेल लेने ....... ब्रह्मचर्य की बात मत करो , condom का महत्व पढाओ ......... भैया स्कूल वो मुहल्ला बन गया है जहां 2-400 कुत्तियाँ साल भर heat में घूम रही हैं ........ और 4-600 कुत्ते हैं.........जीभ निकाले ........ सूंघते.......... पीछे पीछे ........ प्रिंसिपल आदमी के बच्चे को तो सम्हाल लेगी ...... कुत्ते के बच्चे को कौन अगोर सकता है .......पढ़ाओगे या कुत्ते अगोरोगे ............

माफ़ी फिर मांग लेता हूँ कान पकड़ के .........




एक मित्र हैं ........ Pranav Tripathi जी ....... उन्होंने टिप्पणी की है एक पोस्ट पे की पुराने ज़माने की सब्जियां और अनाज बहुत स्वादिष्ट होता था ....अब का खाना तो एकदम स्वाद हीन हो गया है . ........ एक और मित्र हैं हमारे .......भाई prem prakash जी राज घाट वाले ....... एकदम बड़के गांधीवादी हैं .....जब गान्ही बाबा 1948 में स्वर्ग सिधारे तो उनकी आत्मा निकल के बहुत दिन यूँ ही भटकती रही .........फिर जब 1970 में prem भैया जन्मे तो उनमे प्रविष्ट हुई ........ तब जा के गान्ही बाबा को मोक्ष प्राप्त हुआ .........prem भैया को भी बड़ी दिक्कत है शहरों से ......शहरी करण से .......industrialization से .......industry शब्द से तो इन्हें सख्त नफरत है .......किसान और खेती के तो बड़े हिमायती हैं ........इनका दिल आजकल किसान के लिए ही धड़कता है ..........आत्मा गाँव में भटकती है इनकी .......वो अलग बात है की खुद शहर में रहते हैं , खुरपी कुदाल पकड़े बीसियों साल बीत गए ....... गेहूं और जौ का पौधा पहचान नहीं सकते ........ पर राशन कार्ड में कृषक लिखवाये फिरते हैं ........ गोरक्षा पे लम्बे लेख लिखते हैं पर खूंटे पे एक भी बैल नहीं है इनके ........... न जाने अपने बछड़ों का क्या करते हैं ..........जब से मोदी ने घोषणा की है की 100 smart city बसेंगी , इनका BP sugar हीमोग्लोबिन सब एक साथ बढ़ गया है .........

उधर pranav tripathi हैं की पहले वाला स्वाद खोज रहे हैं टमाटर में .............. भैया tripathi जी ......जिस टमाटर की बात करते हो न , उसे देसी टमाटर कहते थे ...... पेड़ पे 8-10 ही लगा करते थे ......एकदम खट्टा होता था ....पर सुबह तोड़ो तो शाम तक गल जाता था ......अगले दिन सुबह सड जाता था ......फेंकना पड़ता था .........उपज भी थोड़ी सी ही होती थी .......पर उस जमाने में गिने चुने लोग ही टमाटर खाते थे ...वो भी साल में एक दो महीने .......बाकी को तो नून भात भी नसीब न होता था .......फिर कृषि वैज्ञानिकों ने hybrid बीज विकसित किये ....... नए रंग , नए स्वाद , नए रूप वाले , नए आकार वाले ....... वो जिनका छिलका मोटा है ....वो जिनकी shelf लाइफ है ........ऐसा टमाटर विकसित किया जो महीना भर भी फ्रिज से बाहर पडा रहे तो सड़े न ......और उपज ....पहले से 100 गुना ज़्यादा ........पर इन फसलों पे हर चौथे दिन कीट नाशक और फफूंदी नाशक का छिडकाव होता है ..........और झोंक के डाली जाती हैं रासायनिक खादें ........ भैया ये कृषि नहीं है .......इसे industrial agriculture कहते हैं ......औद्योगिक खेती ....... भैया pranav tripathi जी , जिस खेती को आप याद कर रहे हैं न उसे organic कृषि कहते हैं ....... अगर वाकई उसपे वापस चले गए न , तो टमाटर या कोई भी सब्जी , 500 रु किलो भी न मिलेगा ....... ये एक कडवी सच्चाई है .....यूँ भाषण देना मुझे भी बहुत अच्छा लगता है आर्गेनिक खेती पे ....... गाँव मुझे भी बहुत अच्छा लगता है पर रहता मैं भी prem भैया की तरह शहर में ही हूँ ........industry को आप जितना मर्ज़ी गरिया लीजिये ....पर अगर वो न रही तो भूखे मर जायेंगे हम आप , prem भैया . और गान्ही बाबा की तरह लंगोटी में ..........

क्रमशः ............




चर्चा चल रही है आर्गेनिक खेती की .....pranav त्रिपाठी टमाटर में पहले वाला स्वाद खोज रहे हैं .......भैया pranav जी ......मिल तो सकता है , पर उसके लिए आपको थोड़ी देह हिलानी पड़ेगी ....... थोडा सा कष्ट उठाना पडेगा ...... है हिम्मत ? करोगे ? अपना खुद का kitchen गार्डन बनाना पडेगा ....... जगह ज़मीन का रोना मत रोने लगना अब ........ शहर में रहते हो ? छत है ? उसपे भी बन जाता है ........गमले , डब्बे , कोई पुराना बक्सा , लकड़ी की पेटी , कुछ भी चलेगा ...... उनमे मिटटी भर के डालिए गोबर की खाद , और लगा दीजिये सब्जियों के देसी बीज ........और रोजाना उन पौधों के साथ कुछ समय बिताइए .......साहचर्य ..... उनसे बातें कीजिये , उनकी care कीजिये , निराई गुडाई कीजिये .......पानी दीजिये ......कोई रासायनिक खाद नहीं कोई कीट नाशक नहीं ....... कीड़े लगते हैं तो लगने दीजिये ....कीड़ा आदमी से ज़्यादा समझदार होता है ....वही खाता है जो खाने लायक होता है ..........जिस फल में जितना हिस्सा कीड़े का है उसे काट दीजिये , बाकी का पका लीजिये ........यकीन मानिए 10* 10 फुट की छत पे भी आप इतनी सब्जी उगा सकते हैं जो आपके घर के लिए पर्याप्त होगी ......हाल ही में मैंने एक ऐसे सज्जन का roof top kitchen garden देखा जिसमे वो मोहल्ले भर के लिए सब्जी उगाते हैं .........

थोड़ा कष्ट तो होगा पर स्वाद वही होगा ....पुराने वाला ........

Monday, July 14, 2014

एक ज़माना था जब सेक्युलर ब्रिगेड के लिए मोदी अछूत थे . समाजवादी पार्टी के नेता , सांसद , और उर्दू साप्ताहिक नयी दुनिया के सम्पादक शाहिद सिद्दीकी ने मोदी का इंटरव्यू ले कर छाप दिया था ........... सेक्युलर जगत में हंगामा मच गया .......यूँ मानो किसी सच्चे मुसलमान ने शिर्क कर दिया हो ....... blasphemy ....... मोदी का इंटरव्यू ? क्या ज़रुरत थी भला ? आखिर मोदी से मिलने ही क्यों गये ? मुस्लिम जगत ने तो शाहिद सिद्दीकी को काफिर ही घोषित कर दिया .....मुल्ला यम सिंह की समाजवादी पार्टी ने शाहिद सिद्दीकी को पार्टी से ही निकाल दिया .........जब एक पत्रकार को एक राज्य के चुने हुए मुख्य मंत्री और देश के होने वाले प्रधान मंत्री से मिलने और इंटरव्यू लेने पे इतना प्रताड़ित किया जा सकता है , तो हाफ़िज़ सईद तो फिर भी हाफ़िज़ सईद हैं ........

वेद प्रकाश वैदिक के लिए तो secular ब्रिगेड को फांसी से कम नहीं मांगना चाहिए ..........



बात 1990 की है . मुंबई में जो उन दिनों बॉम्बे हुआ करता था , boxing की World Championship हो रही थी . पहले दिन प्रतियोगिता का उदघाटन हुआ और प्रारम्भिक मुकाबले शुरू हुए . अखबारों में कोई कवरेज नहीं आई , जबकि world championship एक बहुत बड़ा आयोजन होता है . अखबार ऐसे event की coverage से भरे होने चाहिए ........ boxing फेडरेशन के अध्यक्ष जो की शायद कोई पुराने रिटायर्ड फौजी अफसर थे , उन्होंने अपने सचिवसे कहा ......... अरे भाई ....... कुत्ते को हड्डी डालो , तभी दम हिलाएगा ........सचिव ने एक पांच सितारा होटल में कमरा खुलवा के शराब की दो पेटियां और काजू की नमकीन के साथ मुर्गे का इंतजाम कर दिया .....अगले दिन अखबार world championship की ख़बरों से रंगे हुए थे .............. भौंकते हुए कुत्ते के सामने हड्डी डाल दो , वो दम हिलाने लगेगा ...........

जब से मोदी ने कुर्सी सम्हाली है , दो विदेशी दौरे कर चुके हैं ........ भूटान और अब ये BRICS सम्मलेन का ........ किसी भी प्राइवेट news चैनल और अखबार के पत्रकार को अपने साथ नहीं ले गए ....... उनके official delegation में DD , loksabha और rajyasabha TV और ANI और PTI के ही पत्रकारों को शामिल किया जाता है ....... मोदी के PRO Jagdish Thakkar जी जिन्हें वो गुजरात से ले के आये हैं , वो भी इन निजी news channels के पत्रकारों को कोई भाव नहीं देते और मंत्रियों को किसी प्रकार की बाइट देने के लिए भी मनाही है .......कहने का मतलब है की सरकार कुत्तों को मुह नहीं लगा रही है ....... वेद प्रकाश वैदिक प्रकरण में मीडिया उसी की खुन्नस निकाल रहा है ........भौंक के ........

भौंकते कुत्ते को चुप कराने के दो ही तरीके हैं ....... या तो हड्डी डाल दो या फिर बाँध के मारो .........


इस धरती पे आज तक जितने भी विख्यात और कुख्यात अपराधी हुए हैं उन से दुनिया भर के पत्रकार मिलते रहे हैं ......... उनके इंटरव्यू लिए गए हैं ....... उनपे documentaries बनी हैं ........ फिल्में बनी है .......किताबें लिखी गयी हैं ......... अपराधी भी हर श्रेणी के ....चोर डाकू , बलात्कारी , खूनी से ले कर डकैत , आतंकवादी , naxalite , सबसे मिलते रहे हैं पत्रकार ......... ओसामा बिन लादेन हो चाहे प्रभाकरण , हिकमतयार हों चाहे अराफात ........ वीरप्पन हों चाहे निर्भय गुर्जर , ददुआ ......या फिर फूलन देवी ........ या फिर चार्ल्स शोभराज ........सबसे मिले हैं पत्रकार बंधू ........ अब वेद प्रकाश वैदिक अगर हाफिज़ सईद से मिल आये तो इसमें कौन सा पहाड़ टूट पडा ? जब ओसामा से मिले अमेरिकी पत्रकार तो अमेरिका में तो इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई ........ दिन रात प्रेस और मीडिया की स्वतन्त्रता की दुहाई देने वाले नेता और पत्रकार खुद एक पत्रकार की एक मुलाक़ात पे इतनी हाय तोबा क्यों मचा रहे हैं ......... 

please read between the lines ...... अच्छा ये बताइए की अगर यही काम कुलदीप नय्यर या किसी कांग्रेसी पत्रकार ने किया होता तो इतनी हाय तोबा मचती ? अजी जनाब , कोई नोटिस ही नहीं लेता ........ निशाना वेद प्रकाश वैदिक नहीं बल्कि मोदी हैं .......... मोदी सरकार है ........ वैदिक को बाबा रामदेव और भगवा कैंप का करीबी माना जाता है .......इसलिए वैदिक के सहारे भगवा कैंप और मोदी सरकार पे निशाना साधा जा रहा है .......

डॉक्टर , पत्रकार और वकील का कोई धर्म मजहब जाति और राष्ट्रीयता नहीं होती ........ इनके लिए कोई अछूत नहीं होता ........ डॉक्टर हो या वकील कुख्यात से कुख्यात अपराधी के लिए जान लड़ा देते हैं ........ उन्हें जी जान से बचाने की कोशिश करते हैं ....यही इन professions का धर्म है ........... इसके लिए इनकी आलोचना नहीं होनी चाहिए ........ जब कसाब का मुकदमा लड़ने से वकीलों ने मना कर दिया तो इसे निहायत ही मूर्खता पूर्ण और बचकाना कदम माना गया था ........ सर्वश्रेष्ठ लीगल help हासिल करना किसी भी आरोपी का मूल अधिकार है ....... उसे ये मिलना ही चाहिए ....... जब वकील बिरादरी किसी आरोपी का मुकदमा लड़ने से मना कर देते हैं तो विरोधियों को मौक़ा मिल जाता है ये कहने का की बेचारे के साथ अन्याय हुआ .......उसे खुद को निर्दोष साबित करने का मौक़ा ही नहीं मिला ....... अफज़ल गुरु के पक्ष में आज भी कश्मीरी अवाम यही भोथरा तर्क देता है ......

उसी प्रकार एक पत्रकार , फिल्मकार , साहित्यकार यदि किसी कुख्यात अपराधी से मिलता है तो इसपे हाय तोबा नहीं मचनी चाहिए ........ कांग्रेस और उसका गिरोह मोदी के हाथो मिली हार से इस कदर तिलमिलाए बैठे हैं की वो वैदिक के बहाने मोदी पे खुन्नस उतार रहे हैं ........






facebook और twitter से अधिकाँश AAP समर्थक या तो गायब हो गए हैं , अज्ञातवास में चले गए हैं या चुप हो गए हैं ....इस से ये सिद्ध होता है कि AAP समर्थकों में बेचैनी है .....वो पार्टी लीडरशिप के अब तक के रुख से भ्रमित हैं .....असमंजस की स्थिति है ....समर्थक सशंकित से हैं .........स्तब्ध हैं ........cadre में ऐसी स्थिति होना शुभ संकेत नहीं ...........आप जैसी पार्टी के support base से मात्र 2 -4 % शिफ्ट यानि हर सीट पर मात्र 2000 वोटों का नुकसान पार्टी का सफाया कर सकता है ........... ऐसा प्रतीत होता है कि दिल्ली में पिछले एक सप्ताह में लाखो समर्थकों का पार्टी से मोहभंग हुआ होगा ...........
  • Mansoor Ali Hashmi गुफ़्तगु……!

    केजरीवाल: "सर, कार के लिए, हमें लाइसेंस चाहिए। "

    राहुल: " हाज़िर है मेरी कार, अजी बैठ जाईये। "

    केजरीवाल: "वैसे तो पा-प्यादा ही चलने कि खू* हमें *आदत 
    बैठे भी कभी गर है, तो अनशन ही पे बैठे !"

    "फिर भी है अगर ज़िद तुम्हे, शर्तें करो पूरी 
    दिल (ली) वालों कीहसरत नहीं रह जाए अधूरी। "

    राहुल: "लाये है 'लोकपाल' हम ख़ातिर ही तुम्हारे,
    न भी नहीं कह पाये अब 'अण्णा' भी बिचारे। "

    " तेरह-दिनी सरकार* पे, हम ही थे मेहरबाँ *बाजपाई जी की 
    चौदह* के लिए ढूँढ रहे है कोई (बे) चारा !" *२०१४ 

    -- mansoor ali hashmi 
    http://mansooralihashmi.blogspot.in
    mansooralihashmi.blogspot.com
  • Arvind Singh Yugandhar कहते है सोशल मीडिया पे भाजपा के बाद आप के लोग हैं । लेकिन वाकई अब नहीं दिख रहे । आखिर अपने नेता के पल पल बदलते बयान का कितना समर्थन और कैसे कर सकते हैं ॥ और फिर इस मामले में कांग्रेस जैसी बेहयाई सीखने में भी समय लगेगा ।
  • Shashi Kant Goswami sir ji aapki twitter id ?
हमारी बहिन जी , यानि बहिन मायावती जी कैसे इतनी जल्दी हर आदमी की जात खोज लेती हैं ...........यानि अगर बहिन देवयानी जी जात की ठकुराइन रहतीं तो शायद बहिन मायावती जी कोई बयान न देतीं या घटना का संज्ञान ही न लेतीं ........ यानि बहिन जी कूटनीतिक मामलों में भी जात पात का स्कोप ढूंढ ही लेती हैं .........जय हो ......जय भीम जय समाजवाद .......