Tuesday, August 12, 2014

11 August 2014

उस ज़माने में जब लालू यादव का राज था बिहार में उनके चेले पटना हावड़ा राष्ट्रीय राज मार्ग पे एक ढाबा चलाते थे ......... ढाबा क्या था साहब, पूरा नगर था ....... दिल्ली से करनाल आते समय जो ढाबे दीखते हैं न सड़क किनारे , उनका भी बाप था ......कोई एक किलोमीटर लंबा था .........वहाँ से गुजरने वाले हरेक ट्रक , बस और कार के लिए वहाँ रुक कर भोजन ग्रहण करना अनिवार्य था .......... यदि कोई बिना रुके निकल भी आता था तो बाकायदा जीप सवार दस्ते हुआ करते थे जो दौड़ा के पकड़ लेते थे ....और बाकायदा हाथ जोड़ के रिक्वेस्ट करते थे ....अरे हुज़ूर कुछ खा पी लीजिये ....... और हुज़ूर की क्या हिम्मत की ना खाएं ........ उस ज़माने में, 1990 में भी दाल फ्राई 60 रु में मिलती थी .......

आज जालंधर गया था . धर्म पत्नी ने ड्यूटी लगा दी की 15 अगस्त आ रही है .........एक झंडा लेते आना ....... राष्ट्रीय ध्वज ........ वहाँ पहुंचे एक खादी भण्डार में झंडा लेने ........ रेट पूछे तो होश उड़ गए ..........इतनी बड़ी लूट ? 4*6 का झंडा 1560 रु का .......3* 4.5 का 1260 रु का और 2*3 का झंडा 635 रु का .......

मैंने उनसे पूछा की इसमें ऐसा क्या है भैया जो ये इतना महँगा है ?

बोले national flag है ........... pure खादी का है ........

मैंने कहा की अगर नेशनल फ्लैग है और खादी का है तो फिर 6000 के बेचो ........ 600 का क्यों ......... क्या लगा है इसमें ? बमुश्किल डेढ़ मीटर कपड़ा और अगर bulk में सिलवाओ तो दस रु सिलाई और दस रु की रस्सी ......... इसमें ऐसा क्या है की इसकी कीमत 635 रु है या 1560 रु ?

कोई KDP enterprises है ......... ठाणे में ....सिर्फ उसके पास एकाधिकार है राष्ट्रीय ध्वज बनाने के ........ खादी एवं ग्रामोद्योग कमीशन ने उनको ठेका दे रखा है ........उनके अलावा और कोई नहीं बना सकता national flag ......... आप यदि चाहें तो अपने घर में सिल कर भारत का झंडा अपने घर पे नहीं फहरा सकते ......... जुर्म है .........भारत सरकार आपको जेल में डाल सकती है ........... माँ कसम , ये खादी ग्रामोद्योग वाले अगर यही झंडा china को आर्डर दे के बनवा लें तो बड़ा वाला वो 200 रु में बना देगा और इनसे ज़्यादा अच्छा बना देगा

हिन्दुस्तान में किसी एक संस्था का नाम लिया जाए जो सर्वाधिक भ्रष्ट हो , तो वो है ये खादी ग्रामोद्योग कमीशन ........... इसका पूरा काम ही कागज़ पे होता है और गाँधी और खादी के नाम पे ये हज़ारों करोड़ रु सालाना डकार जाते हैं ..........ये राष्ट्रीय ध्वज में जो घोर भ्रष्टाचार है , इसमें भी न जाने कितना इनकी जेब में जाता होगा हर साल .......

15 अगस्त के बाद मैं RTI डाल के इनसे पूछूंगा की कितने झंडे बेचे पूरे देश में तुमने और स्वतन्त्रता दिवस मनाने में इस मुल्क में कितना भ्रष्टाचार है ........ उस भ्रष्टाचारी कम्पनी का पता नीचे दिया है जो ये झंडे बनाते है

KDP Enterprises
21/22 Neelkanth Industrial Estate no 1
Village Sativali .......Near SAI baba temple
VASAI EAST ......... THANE

PHONE NO.......... 0250- 2481405
13 august 2014

ये आँचार संहिता कब से लागू होगी ? दस दिन बाद बिहार में उपचुनाव है ........फिर हरियाणा , महाराष्ट्र में विस ..... हर साल ही चुनाव है .......उसके बाद लोकसभा ...... चुनाव ही चुनाव ....... और मोदी तो रोजाना ही आँचार संहिता का उल्लंघन कर रहे हैं .......... नेपाल जा के पशुपति नाथ को पूजने लगे .......बाकायदा गेरुआ पहन के रुद्राक्ष की माला वाला पहन के ........ इतना घोर साम्प्रदायिक कृत्य ? पूजना ही था तो पठानी सूट पहन लेते ....... तुर्की टोपी जालीदार लगा लेते ........ आँख में काजल लगाते ......फिर घुटनों के बल बैठ के दोनों हाथ उठा के महामृत्युंजय का जाप कर लेते ............ घोर साम्प्रदायिक सरकार है ये .........

कल लेह में बोल रहा था ....... भाजपा के वोट बढ़ गए काश्मीर में ...... वहाँ लेह में वन्दे मातरम् बोलने की क्या ज़रुरत थी ? 15 अगस्त को लाल किले से बोलेगा ........ नितीश लालू यादव को बड़ी प्रॉब्लम है .........  पहले कहते थे की जब से प्रधान मंत्री बना मोदिया बोलता नहीं है ........ अब कहते हैं की रोज़ बोलता है ..........

लोकतंत्र में सबको level playing field मिलना चाहिए ........ 15 अगस्त को  मोदी का भाषण किसी न्यूज़ चैनल को नहीं दिखाना चाहिए ........  बहुत गलत बात है ये .........  भाजपा का प्रचार होता है इस से .......... 
१३ अगस्त २०१४ 

परसों जालंधर से आते हुए गाडी में FM रेडियो बज रहा था . तमाम गानों के बीच एक कार्यक्रम में  " उमराव जान " का वो गीत ........ जुस्तजू जिसकी थी उसको तो न पाया हमने ...... बजने लगा ....... अचानक यूँ लगा की किसी ने दिल के तार छेड़ दिए ......... 1982 में आयी थी उमराव जान ........ आज ३२ साल बाद भी उसका संगीत ....... वाह......क्या बात है ...... कितना ताज़ा सा लगता है ....... कभी पुराना नहीं पड़ सकता ....

टीवी पे एक बार किसी कार्यक्रम में रेखा जी ने कहा की " उमराव जान " सबसे पहले मुज़फ्फर अली साहब की फिल्म थी .............फिर खय्याम साहब की ....... फिर आशा जी ......... मेरा नंबर तो शायद इन तीन महान विभूतियों के बाद ही आयेगा ......... भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की महानतम रचना है " उमराव जान " ......... कहानी , संवाद , पटकथा , उसका कला पक्ष , costumes , sets, अभिनय , गीत , संगीत , नृत्य .......सभी बेजोड़ थे .......... 

जिन लोगों ने नहीं देखी है उमराव जान उन्हें तुरंत देखनी चाहिए .......... नयी उम्र के लोग कृपया ध्यान दें ....यहाँ चर्चा असली " उमराव जान " की हो रही है ......ये JP Dutta वाली ऐश्वर्या राय , अभिषेक बच्चन , अनु मलिक वाली फर्ज़ी umrao jaan नहीं ..........

Sunday, August 10, 2014

10 august 2014

तीन किस्म की औरतें होती हैं जिनके दिल में आग लगी होती है .........

यहाँ पंजाब में लोगों को बिदेस जाने का बड़ा शौक है .........हिन्दुस्तान की सड़कों पे धूल उडती है .......मैं तो बिदेस में रहूँगी ....मेरे लिए कोई इंग्लैंडिया ढूंढ दो .....इस चक्कर में मैंने यहाँ कई लड़कियों को बुढ़ाते देखा है .......... 50 बरस की हो गयी हैं मोहतरमा .....अब भी इसी आस में बैठी हैं की घोड़े पे बैठ के आयेगा , मेरे सपनो का राजकुमार .......इंग्लॅण्ड अमेरिका से ........ पति के रूप में Visa खोजती हैं....... आग लगी है दिल में ............

एक होती है बेचारे विधवा / तलाक शुदा ....... पति मर गया , निकम्मा निकल गया .......क्या करे बेचारी ...... मैंने कहीं पढ़ा है की नयी नयी विधवा यूँ सोचती है की सारी दुनिया विधवा हो जाए .....

एक होता है सौतिया डाह ....... जब पति उसके रहते सौतन ले आये ......... उसके सामने सौतन के साथ गुलछर्रे उडाये ....... यूँ कहा जाता है की सौतिया डाह .....यानि सौतन को देख के जो जलन होती है औरत के दिल में उसका कोई मुकाबला नहीं .....जो आग सौतिया डाह उत्पन्न करती है , उतना ताप , उतना संताप और कोई आग नहीं दे सकती .........

हमारे प्रेम भैया ......अरे वही prem prakash जी राजघाट वाले ........ डाह में जल रहे हैं ......जब भी मुह खोलते हैं तो आग ही उगलते हैं ....... हमेशा सुलगते रहते हैं ........गीली लकड़ी के माफिक ......... जब देखो तब सरापते रहते हैं मोदी को ........ मैंने एक दिन कह दिया .....क्यों जल रहे हो ? यूँ जल रहे हो मानो सौतिया डाह हो ............

फिर विचार किया .......... ये हमारे कम्युनिस्ट , अतुल कुमार अनजान जैसे लोग ....ये तो पहले वाले डाह में जल रहे हैं ........ बियाह नसीब में ही न था .........कांग्रेसी वैधव्य भोग रहे हैं ........ ये आपीये किस आग में जले जा रहे हैं ??????????? इनकी तो औकात ही न थी ........... दिल्ली शहर भर औकात न थी इनकी ........ देस कहाँ से मिलता ....... इनको अधिक से अधिक दिल्ली का सपना देखना चाहिए ....... ये मोदी से क्यों जले जा रहे हैं ?

prem bhaiya को विजय गोयल के खिलाफ लिखना चाहिए ......... मोदी के खिलाफ लिखने का तो कोई तुक ही नहीं बनता .......... न जाने किस आग में जले जा रहे हैं प्रेम प्रकाश जी .........
10 august 2014 

साइबेरिया की जान लेवा सर्दी में जब वहाँ जीवन असंभव हो जाता है , तो पंछी सुहाने मौसम की खोज में यहाँ हिन्दुस्तान चले आते हैं ........ 3500 मील का सफ़र .......यहाँ अंडे देते हैं , उनसे बच्चे निकलते हैं और अगले दो महीने में वो बच्चे उड़ना सीखते हैं ........ एक एक दिन कीमती होता है ....... क्योंकि सामने हिन्दुस्तान की जानलेवा गर्मी मुह बाए चली आती है .......... और फिर वापसी का सफ़र शुरू होता है ......... 3500 मील का लंबा , जानलेवा सफ़र , बिना रुके .............और उस सफ़र में झुण्ड के आगे आगे उड़ता है वो बच्चा , जो अभी कल ही तो जन्मा था ......... जिसने बमुश्किल उड़ना सीखा है अभी ........ पर वो झुण्ड का नेतृत्व करता है .........

कारगिल के युद्ध में दुश्मन वहाँ पहाड़ की ऊंचाइयों पे कब्जा कर के , बंकर बना के बैठा था ....... हिन्दुस्तानी फ़ौज की छोटी छोटी टुकड़ियां 6-12 आदमी की टीम बना के उन दुर्गम पहाड़ियों पे चढ़ती थी ......... छुप छुपा के , बच बचा के ....... उस टुकड़ी में एक अफसर , एक या दो JCO और 4-6 -10 सिपाही होते थे ........ सिपाहियों की उम्र आम तौर पे 20 से ले के 35 बरस होती है ........ JCO भी 30-35 का अनुभवी फौजी होता है ........ पर उस टुकड़ी की कमान एक जवान अफसर के हाथ में होती है ............ बमुश्किल 22-24 साल के एक लौंडे के हाथ में , जो आम तौर पे Lieutenant या Captain होता है ......... बिलकुल नया ........ कारगिल युद्ध में बहुत से लड़के तो ऐसे थे जो IMA से सीधे युद्ध भूमि में भेज दिए गए थे .......

कल जो टुकड़ी लड़ने आयी थी उसमे 12 आये थे लडने ......12 के 12 शहीद हो गए ......... उनकी लाशें तक अभी तक नहीं उठायी जा सकी हैं ....वहीं पडी हैं ...... युद्ध भूमि में ....... और ये 12 अब और जा रहे हैं .......... लड़ने ....... सामने से LMG का Burst आ रहा है ......... साक्षात् मौत सामने खड़ी है ........ ऐसे में वो 22 साल का लौंडा सबसे आगे चलता है ........ सबको निर्देश देता है ...... रणनीति बनाता है ........ सबका हौसला बढाता है ......... और जब ज़रुरत पड़ती है ......तो सबसे पहले सीने पे गोली खाता है ....... सबसे पहले शहीद होता है ....... इसे कहते हैं लीडर ......... leader ....... नेता ........ जो नेतृत्व करे .........

लोक सभा में राहुल सबसे पीछे बैठते हैं ......... उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद लेने से मना कर दिया ........ 75 साल के बूढ़े को नेता बना दिया ........ वीकेंड पे यूरोप भाग जाते हैं , छुट्टी मनाने ..........पिछले दस साल , बतौर सांसद , न कभी कुछ ख़ास बोले , न कोई प्रश्न किया , न संसद में नियमित आये ......... कांग्रेस का दुर्भाग्य है की वो उनके नेता हैं ........... युद्ध आसन्न है .......सेनायें सज रही हैं ........हरियाणा और महाराष्ट्र की युद्ध भूमि पुकार रही है ..........

योद्धा संसद की पिछली सीट पे बैठ के सो रहा है ......... कांग्रेस को एक नेता की सख्त ज़रूरत है ........जो आगे खडा हो के लड़ सके .........

Saturday, August 9, 2014

8 August 2014

बांझों का मुहल्ला था .........सब बाँझ रहती थीं उसमे ...........एक बेऔलाद आदमी के घर चराग रौशन हुआ ......... लाख मनौतियाँ माँगी .........देवी देवता पूजे .........पीर मज़ार सब पूजे .........

इश्वर की कृपा हुई ......बीवी ने बताया की वो उम्मीद से है ........ घर वाले सब ख़ुशी से झूम उठे .......... 
पडोसी जल उठे ....... हो ही नहीं सकते ...... अरे इस बाँझ के कैसे हो सकता है .......झूठ है .......हो ही नहीं सकता .......

कुछ दिन में दिखने लगा ......... अरे हवा है ........हवा भरी है .......देखना कुछ नहीं निकलेगा ......... मर जाएगा .....अन्दर ही मर जाएगा .......

पैदा हुआ ........ तो बोले बचेगा नहीं .........किसी काम का न होगा ........निकम्मा होगा .......नालायक होगा ....नकारा .......... कुछ नहीं करेगा ......मर जाएगा .........

तरस रहे थे एक अदद औलाद के लिए ........ यूँ सूना करते थे की बुढापे का सहारा होते हैं बच्चे ........ उन्ही से रोशन होते हैं घर ....उन्ही से है सब रौनक ........

दिनों दिन बढ़ने लगा ....... पर पड़ोसियों को न दिखता था बढ़ता हुआ ........ महीने भर बाद ही पूछने लगे , अरे क्या कर लिया ? कितनी सेवा करता है माँ बाप की ? बस .....आ गए अच्छे दिन ? अरे कुछ नहीं करेगा .........

पूरा मुहल्ला इंतज़ार कर रहा है ........कब भागों वालों का लड़का मरेगा ......... उसकी मौत के दिन का इंतज़ार कर रहे हैं सब ....... अल्लाह करे मर जाए .........

भागों वालों को भरोसा है की कामयाब होंगें ........अच्छे दिन ज़रूर आयेंगे ......... सबके घर रोशन होंगें ........आबाद होंगे .........दुआ करते हैं की अच्छे दिन आयें सबके ......

देखते हैं की किस्मे ज़्यादा जोर है .......दुआ देने वालों में या बद्दुआ देने वालों में ......

congi , commi , आपिये अल्लाह से रोज़ मनाते हैं की मोदी फेल हो जाए .......... हमें ये जिद है की पास हो के रहेंगे ........ देखते हैं किसकी दुआ में ज्यादा जोर है ........

15 अगस्त का इंतज़ार है बेसब्री से ........
8 August 2014 

कुछ लोगों को table manners नहीं होते . आप उनके साथ बैठ के खा नहीं सकते . इतने वीभत्स तरीके से खाते हैं ........... मुह से चपड़ चपड़ आवाज़ करते हैं ....... हबर हबर कर के खायेंगे ..........पूरे हाथ सान लेंगे ...... पूरी थाली गंदी कर लेंगे ........ खाना थाली से बाहर गिराएंगे ....... थाली में जूठन छोड़ देंगे ......... वहीं थाली में हाथ धोने लगेंगे 

टेबल manners के मामले में मोदी का जवाब नहीं ......... अभी देखा आपने कमला बेनीवाल को ........ किस सफाई से खा के हज़म किया मोदी ने उनको ..........

मोदी कभी भी गरम गरम नहीं खाते .......हमेशा ठंडा कर के खाते हैं .
अपने हाथ कभी गंदे नहीं करते .
मुह से कतई आवाज़ नहीं आती .
एकदम साफ़ कर देते हैं . चाट जाते हैं . कोई निशान नहीं छोड़ते .
पचा जाते हैं . डकार तक नहीं लेते .
Modi is a slow eater . बड़ा धीरे धीरे खाते हैं . चबा चबा के .......

सोनिया गाँधी बड़े गौर से देख रही हैं ........ मोदी को खाते हुए .......

अभी गर्म है ......... अभी तो उबल रही है ....... अरे ज़रा ठंडा तो होने दीजिये ........ चाट जाएगा .....
8 august 2014
कल्पना कीजिये की आपके घर में सुबह पानी आता है ..........सिर्फ दो घंटे के लिए ......... उसमे भी हफ्ते में एक दो बार ऐसा हो जाता है की सिर्फ आधे घंटे के लिए ही आता है ......... और आपके घर में बाल्टी तक नहीं है ......... छत पे water tank तो छोडिये , घर में बाल्टी तक नहीं है ......... ऐसा होगा तो क्या जीवन होगा आपका ? सुबह सुबह , जब तक पानी आ रहा है , नाहा धो लो , जो कपडे धोने हैं धो लो .........फिर सारे दिन की छुट्टी ....... ऐसा भी होगा की आपने सब काम निपटा लिया और पानी अभी आ ही रहा है .......... फिर आप या तो टूटी बंद कर देंगे या पानी बहता रहेगा . ऐसी परिस्थिति में अगर कभी दिन में पानी की ज़रुरत पड़ गयी तो जोहिये अगले दिन को ......... कल सुबह पानी आयेगा तो काम करना .

भारत देश में हरी सब्जी की यही दशा है ........... आज से 10-15 साल पहले , ज़्यादातर हिन्दुस्तान चटनी भात खा के ज़िंदा रहता था . दाल सब्जी तो अमीर लोग खाया करते थे ........ मेरी ये बात सुन के नयी उम्र के शहरी बच्चे अचंभित हो सकते हैं ........उन्हें शायद मेरी बात पे भरोसा न हो ......पर ये सत्य है ........ सिर्फ चंद साल पहले तक देश नून भात खा के जी रहा था ........वो तो भला हो नरसिम्हा राव और इन्ही मनमोहन सिंह का की इन्होने देश की आर्थिक नीतियाँ बदली ........देश की इकॉनमी बढ़ी ......लोगों की buying capacity बढ़ी ......... जब सम्पन्नता आती है तो आदमी सबसे पहले किराने की दूकान की तरफ भागता है ......... अचानक दालें महंगी हो गयी ...सरसों का तेल महँगा हुआ .....सब्जियां महंगी हुई ........ 125 करोड़ लोग पेट भर खाना जो खाने लगे थे .......... फिर सब कुछ अचानक इतना महँगा हो गया की अधिकाँश जनसंख्या फिर चटनी भात पे वापस आ गयी है ........

जिस अनुपात में खाद्य पदार्थों , ख़ास कर हरी सब्जियों की मांग बढ़ी है उस हिसाब से आपूर्ति नहीं बढ़ी ........ हरी सब्जी के साथ समस्या ये है की ये साल में 3-3 महीन के तीन चक्रों में उपलब्ध होती है ........ वर्षा और ज़्यादा सर्दी के दिनों में इसकी आपूर्ति एकदम घट जाती है .....अप्रैल मई जून में इतनी ज़्यादा सब्जी होती है की किसान को लागत तो दूर तुडवाई और भाडा तक नहीं मिलता ........किसान कई बार सब्जी की खड़ी फसल पे ट्रेक्टर चलवा देते हैं .........अभी सिर्फ दो महीने पहले यहाँ पंजाब में थोक मंडी में टमाटर 2.5 रु , शिमला मिर्च 3 रु , खीरा 2.5 रु बिक रहा था और घीया लौकी तो किसान मंडी में लाये ही नहीं .....संगरूर के किसानों ने अपनी घीया पशुओं को खिलाई ............ और फिर सिर्फ 20 दिन बाद वही टमाटर फुटकर में 20 रु हो गया .........और पिछले दिनों वही लौकी घीया 30 - 40 तक बिकी .........

जिस घर में बाल्टी और छत पे टंकी नहीं होगी वहाँ लोग दिन भर पानी के मोहताज रहेंगे . 125 करोड़ लोगों के देश में यदि हरी सब्जी को ऑफ सीजन के लिए preserve करने की व्यवस्था नहीं की जायेगी , लोग इसी तरह सब्जी के लिए तरसेंगे ...... हरी सब्जियों को cold स्टोर में नहीं रखा जा सकता .........सिर्फ आलू को रख सकते हैं .....प्याज के लिए अलग किस्म की हवा दार storage चाहिए ........ टमाटर और हरी सब्जियों को अलग अलग तरीके से puree , powder और अन्य हरी सब्जियों को काट कर freeze करके रखा जाता है जिस से सीजन ख़तम होने पर उन्हें मार्किट में उतारा जा सके .......... यदि हरी सब्जियों की preservation industry देश में आ जाती है तो इसके दो फायदे होते हैं .......पहला तो ये की संगरूर की लौकी की स्थिति नहीं होती .........पीक सीजन में भी चूँकि बड़े बड़े खरीददार बैठे हैं इसलिए जो सब्जी आज तीन रु बिकती है उसकी कीमत थोक में 8-10 रु हो जाती है ........इस से किसान को ज़बरदस्त फायदा होता है ............उपभोक्ता को ये नुक्सान होता है की वो चंद दिन जब वो 5 रु किलो सब्जी खाता था वो मौज नहीं मिलती ......तब उसे वही सब्जी 15 रु लेनी पड़ेगी .....परन्तु उसके बाद , जब सीजन नहीं रहेगा , जैसा की आजकल है , जब सब सब्जियां 30 -40-50 ..........और 100 रु तक बिक रही है ये स्थिति नहीं आती ....तब मार्किट में frozen vegetables आ जाते हैं और भाव वही 15-20 पे टिके रहते हैं

हिन्दुस्तान ने अभी frozen food खाना नहीं सीखा है ......हम आज भी ताज़ी सब्जी ही खोजते हैं .......परन्तु इतने बड़े देश को , जहां 125 करोड़ लोग रहते हैं , साल भर सस्ती ताज़ी सब्जी नहीं खिलाई जा सकती ......... हिन्दुस्तान को बहुत बड़े पैमाने पे food processing industry लगानी पड़ेगी और हिन्दुस्तानियों को frozen और processed food खाना सीखना ही पड़ेगा .......... इसके अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है .........



तीन साल पुरानी बात है ........ एक सज्जन से मिलने उनके घर गये थे ......... सामान्य सा , माध्यम वर्गीय , बेहद भारतीय किस्म का परिवार ........उनके घर की महिलाएं किसी विवाह में जाने की तैयारी में थी . हम उनके यहाँ सिर्फ दस मिनट बैठे . ड्राइंग रूम से निकल के बाहर आये तो महिलाएं गाडी में बैठने की तैयारी में थी ..........

साक्षात टीवी सीरियल सामने उपस्थित था ........ एक नव विवाहिता साड़ी के ऊपर सिर्फ ब्रा पहन कर ही चल पडी थी ........ अपन तो हक्के बक्के रह गए ......... श्रीमती जी ने ठेल के बाइक पे बैठाया .....चल पड़े ........... मैंने कहा , अरे सिर्फ ब्रा पहन के चल पडी ? ब्लाउज क्यों नहीं पहना ?

अरे बुद्धू .....वो ब्लाउज ही था .........

ब्लाउज था ? तो फिर ब्रा कैसी होती है ?

आजकल ऐसा ही ब्लाउज पहना जाता है .........

अच्छा ...... पर ये बताओ की ब्रा नुमा ब्लाउज है की ब्लाउज नुमा ब्रा है ? लडकी ब्रा के पैसे बचा रही थी या ब्लाउज के ?

उस दिन मुझे ये अहसास हो गया की अजित सिंह , अब तुम पुराने पड़ गए हो ........ ज़माना आगे निकल गया ........

आज एक सांसद ने भरी संसद में महिलाओं से बदतमीजी की है .......... मैं उसकी घोर निंदा करता हूँ ( TV तो कर ही रहा है .......मैं क्यों पीछे रहूँ ) वो होता कौन है बहू बेटियों से रिक्वेस्ट करने वाला की मर्यादा में रहे ...... लडकी नए ज़माने की है ....... ब्रा पहन के घूमे , ब्लाउज पहन के घूमे या कुछ भी न पहने ..........मैं या वो सांसद होता कौन है बहू बेटियों को संस्कार या उपदेश देने वाला ....... bloody male chauvinist pig ........... backward घटिया गंदे लोग .........

घूमो बेटा , नंगी हो के घुमो .........

हम साले होते भी कौन हैं तुम्हे मना करने वाले ...........
मैं सच बोलने और लिखने से चूकता नहीं हूँ ......... सत्य बहुत कड़वा होता है ........ हलाहल विष की तरह .........इसे पचा पाना सबके बस का नहीं ........... शिव ही पचा सकते हैं ......... गला फिर भी नीला पड़ जाता है ....... सत्य सुन के लोग नाराज़ हो जाते हैं ...... गालियाँ देते हैं ........ आम तौर पे लोग इसीलिए सत्य बोलने से कतराते हैं ......... पर मुझे इधर गालियाँ सुनने और सहन करने का काफी अभ्यास हो चुका है ......... इसलिए सत्य बोलने से नहीं चूकूंगा ..............

ये मेरठ वाली घटना फर्जी है ........... वो लडकी स्वयं इन शांतिदूतों के चक्कर में थी ...........महीने भर से गायब थी ........वो इसे ईमान लाने के लिए प्रेरित ज़रूर कर रहे थे ....पर ज़बरदस्ती नहीं ........लालच देकर ......brain wash कर के .....जैसे इसाई मिशनरियां करती हैं ........बाकी ये सब जो बातें हैं की अपहरण हुआ , सामूहिक बलात्कार हुआ , किडनी निकाल ली , पेट चीर दिया ....ये सब फर्जीवाड़ा है उसका .......... गाँव भर के साथ सो के अब सामूहिक बलात्कार ???????

महीने भर से गायब थी ......तब माँ बाप क्या सोये थे ? पूरा घटनक्रम डेढ़ दो महीना चला है ...........पर सब लोग सिर्फ आख़िरी हफ्ते पे फोकस कर रहे हैं ............

बाकि जहां तक मुसलामानों को गरियाने का अवसर हाथ लगा है तो खूब गरियाना चाहिए .......... वो तो सबाब है ........

इसमें कोई दो राय नहीं की मुसलमान महा MC होते हैं ........पर मेरठ वाला केस फर्जी है ........


मैंने आज सुबह मेरठ वाली घटना पे पोस्ट डाली है । मुझे आशा थी कि तल्ख़ प्रतिक्रिया होगी । मुझे ये देख के ख़ुशी हुई की उसपे बड़ी व्यापक और बहुत ही सार्थक बहस हुई है । ऐसी स्वस्थ बहस से समाज का भला ही होता है ।
मेरठ वाली घटना पे मैं इतना ही जोड़ना चाहूँगा की ये असल में LOVE JIHAD था । सनाउल्लाह और उसका गिरोह उस लड़की को फसा कर धर्मांतरण और शोषण कर रहे होंगे । शुरू में लड़की अपनी नादानी ,अपनी मूर्खता में उनके चंगुल में फस गयी । जब उसे हकीकत का अहसास हुआ तो भागी ....... घर वालों ने इज्ज़त बहाली के लिए ये अपहरण , बलात्कार ,सामूहिक बलात्कार ,जबरन धर्मांतरण ,किडनी निकाल ली ,पेट चीर दिया ......ये सब story बना डाली . सत्य यह है की ये शुद्ध विशुद्ध love jihaad था जिसमे मुल्ले चूक गए ।

हिन्दुओं की लड़कियों को इस घटना के मद्देनज़र बड़े पैमाने पे educate करने की ज़रूरत है ।मियों से दोस्ती करोगी तो ये अंजाम होगा .....
दो दिन से facebook से तो दूर हूँ पर जिहाद चालू है ......... मैंने देखा है की मैं भी सच्चा जिहादी हूँ ..........कुछ भी हो जाए , जिहाद करने से बाज नहीं आता .

बिटिया को armpit में दर्द था . मेडिकल college में मेडिकल स्पेशलिस्ट को दिखाया . lady doctor थी ....... सारे tests और ultrasound कराने के बाद उन्होंने सर्जरी की सलाह दी .......
किसी अच्छे डॉक्टर से सर्जरी कराइये ............
मैंने कहा ये मेडिकल college है .....यहाँ तो एक से एक बढ़िया सर्जन होंगे .......
नहीं ये complicated केस है ........किसी auxiliary specialist से करवा लीजिये .....
शहर में कौन है auxiliary specialist ...............
डॉक्टर साहिबा ने एक प्राइवेट अस्पताल का नाम बता दिया .......वहाँ चले जाइए .....वहाँ फलाने डॉक्टर साहब होंगे ....उनसे मेरी बात करा दीजिएगा .........

उस प्राइवेट अस्पताल में पहुंचे भैया ......100 रु की पर्ची कटवाई ......मिले डॉक्टर साहब से ......
MRI करवा के लाओ ........ 4000 रु ........
सर्जरी में कितना पैसा लगेगा ........
35000........... दवा का खर्च अलग से ..........

मैंने बिटिया से कहा ......बेटा second opinion ज़रूर लेनी चाहिए ........
वापस आये medical college .....सर्जिकल OPD में आये ....... वहाँ एक डॉक्टर साहब थे .......उनको दिखाया ........उन्होंने कहा , मामूली सी चीज़ है ........ simple सा procedure है .......निकाल देंगे ......
मैंने कहा .......पर मैंने तो सुना है की आपके डिपार्टमेंट में तो बड़े नाकाबिल , नकारा surgeons हैं ........ डॉक्टर साहब हक्का बक्का .....क्या हुआ भैया .........मैंने उन्हें बताया की आपके अस्पताल की मेडिकल specialist तो आपके मरीज़ बाहर किसी प्राइवेट अस्पताल में भेज रही है .....आपका Deptt of Medicine तो surgical deptt से ओपिनियन तक लेना ज़रूरी नहीं समझता ......
डॉक्टर साहब मुझे और बिटिया को अपने HoD के पास ले गए ....... पूरी बात बतायी ........उन्होंने कहा लिख के दीजिये ..........

हमने बनाया एक वकील की तरह पूरा केस ......... सारी पर्चियां , सारी रिपोर्ट्स और अस्पताल के prescriptions .........और उस प्राइवेट अस्पताल के पर्चे ...... और पहुँच गए director - principal के पास ........ ये क्या हो रहा है मैडम आपके college में .........कितना commission मिलता है उस प्राइवेट अस्पताल से .........तुमने क्यों खोल रखा है deptt of surgery ? बंद करो उसे ........

director प्रिंसिपल ने तुरंत तीन मेम्बेर्स के कमिटी बना कर जांच बैठा दी ........... आज बुलाया गया मुझे .......मेरा बयान हुआ ........ और उन डॉक्टर साहिबा की हमने वो गति बनायी की उनकी तो सात पुश्त याद रखेंगी ..........किसी आदमी से पाला पडा है ........

फिलहाल उन्हें show cause नोटिस मिल गया है .......... जो इलाज यहाँ इस सरकारी मेडिकल college में लगभग दस हज़ार में हो जाएगा वही इलाज वहाँ 50000 में कराने का जुगाड़ बना रही थी डॉक्टर साहिबा .........



बिटिया का इलाज करा रहा हूँ .......सर्जरी हुई है ........प्रतिदिन औसत 2000 की दवा लग रही है ........450 - 450 के तो दो antibiotics ही लगते हैं सुबह शाम ....... सारे बिल सम्हाल के रखे हैं .......सारी दवाइयां अस्पताल में ही स्थित फार्मेसी से ली गयी हैं .........बिटिया जब घर चली आएगी तो एक जिहाद और चलाना है .......... दवाओं का जो दाम MRP है और होलसेल मार्किट में उसी दवा का क्या दाम है .......कितने का अंतर है ? क्या उन दवाओं की जगह जेनेरिक दवाइयां भी लिखी जा सकती थी ? उन जेनेरिक दवाओं का क्या दाम होता ........ डॉक्टर रुपी भगवानों ने मुझे कितना लूटा ........

ये सारा ब्योरा आपके सामने अगले कुछ दिनों में प्रस्तुत करूंगा ........कई फेस्बुकिये मित्र इसमें मेरी मदद करेंगे ......... अब एक हफ्ते यही अभियान चलेगा ...........
one of the most beautiful pics i have seen ......
I don't believe that. Breathtakingly Beautiful. Please Share!

Photo: I don't believe that.  Breathtakingly Beautiful. Please Share!
सहरसा से अमृतसर एक ट्रेन आती है ......... जनसेवा ........पूरी गाडी general डिब्बों की होती है ....... कोई पंजाबी उस गाडी में बैठना नहीं चाहता .........भइयों की गाडी कहते हैं उसे ........उन्हें बदबू आती है उस गाडी से और उस गाडी में बैठने वालों से .........

ऐसा नहीं है की आप्रवासी मजदूरों का पलायन सिर्फ UP bihar से ही होता है ........... बिहारी सहरसा से चलता है तो पंजाब, दिल्ली या गुजरात जाता है ............ पंजाबी भी पलायन करता है ........वो जब जालंधर से चलता है तो दुबई उतरता है या बिर्मिंघम .........जैसे पंजाबी बिहारी मजदूर को हिकारत से देखता है .....गाली देता है ......कहता है ...साले भैये ......जालंधर को गंदा कर दिया सालों ने ........

यही पंजाबी जब बिर्मिंघम जाते हैं तो वहाँ अंग्रेज इन्हें देख के नाक भौं चढाते हैं ......... bloody dirty indian ........ सूअर साले ..........ये भी वहाँ ghettoes में ही रहते हैं ......... illegal immigrants की तो बहुत ही दुर्दशा है ........ इतनी की बयान नहीं की जा सकती .......जहां पंजाबी रहते हैं , अँगरेज़ उस सड़क से गुजरना पसंद नहीं करते ......... बदबू आती है उन्हें उस इलाके से और उसमे रहने वालों से ..........

आप्रवासी मजदूर क्यों जाता है कहीं दूर ? गरीबी ले जाती है .....मजबूरी ले जाती है ........ कौन जाना चाहता है परिवार से दूर ? बिहारी मजदूर यहाँ जालंधर में आ के रिक्शा चलाते हैं ........ खा पी के आराम से दस हज़ार बचा लेते हैं ........एक रिक्शे वाले से यूँ ही मैंने एक बार आधा घंटे बात की थी ......... गुवाहाटी का था ......बोला भैया जिस दिन तीस हज़ार इकट्ठा हो जाता है घर चला जाता हूँ .......हर तीन महीने पे घर जाता हूँ 15 दिन के लिए ........reservation करा के आता जाता हूँ ........ वहाँ रह के हर महीने दस हज़ार नहीं बचता .........यहाँ आराम से 400-500 की दिहाड़ी बन जाती है .
पंजाबी मजदूर इंग्लैंड अमेरिका जा के हर महीने खा पी के लाख रु बचा लेता है ......... एक पौंड 100 रु का है ......वही 100 रुपया खींच के ले जाता है ......... सुना है की 1947 में डॉलर एक रु का था ...... आज भी कर दो ....कोई नहीं जाएगा ...... गुवाहाटी और सहरसा वाले के लिए वहीं खा पी के दस हज़ार बचाने का जुगाड़ कर दो ....कोई जालंधर नहीं आयेगा ........ पटना हो या पटियाला ....समस्याएं वही हैं ....... विकास ही हर समस्या का हल है ..........




4 august 2014 .........

अभी एक पोस्ट लिखी है बिहारियों पे । जहाँ जाते हैं गंद फैलाते हैं । पिछले दिनों दिल्ली में भी जितनी गंदगी फ़ैली या यूँ कह लीजिये की रायता फैला ,सब बिहारियों का ही फैलाया हुआ है । हम up बिहार को गरियाते थे की साले घटिया सरकार बनाते है । घटिया लोगों को चुनते हैं । पर पिछली बार तो दिल्ली ने भी अपनी चुनरी पे दाग लगवा लिया । घटिया लोगों को चुन लिया । भगोड़ों को चुन लिया । तो भैया ये जान लीजिये की ये गंदगी भी बिहारियों ने ही दिल्ली में फैलाई । जी हाँ .......दिल्ली में आम आदमी पार्टी का core vote bank बिहारी ही है । पंजाब में बिहारी वोटर पहले कांग्रेस को वोट देता था पर इस बार उनका एक मुश्त वोट AAP को मिला ।
दिल्ली की राजनीती पे बिहारियों का कब्जा है । इस तथ्य को स्वीकार कर bjp ने सबक लिया और मनोज तिवारी और उदित राज को उतार कर बिहारी वोट बैंक में सेंध लगा ली ।

बिहारियों ने अपनी राजनैतिक गंदगी उत्तर भारत में फैला दी है । मुसलमानों की तरह ghettoes में रहते हैं । ghetto मानसिकता में जीते हैं ......और एकमुश्त वोट देते हैं भेड़ बकरियों की तरह .....मुसलामानों की तरह ..... विधान सभा के चुनाव में किसी पार्टी को किसी वर्ग विशेष का 5 - 10,000 वोट मिल जाए तो बाजी पलट जाती है । सभी राजनैतिक दल इन वर्गों को तेल लगाते हैं ,इनके वोटर कार्ड और राशन कार्ड बनवाते हैं । बंगलादेशी , मुसलमान के बाद एक मुश्त वोट देने वाला एक तीसरा वर्ग तैयार हो रहा है देश में ..... बिहारी ।
मैंने बहुत पहले एक पोस्ट लिखी थी . इसी फेसबुक पे . बहुत खोजा पर मिली नहीं . अब नहीं मिली तो न सही . हमको कोई टेंशन नहीं ....दुबारा लिख देंगे ........

लिखा यूँ था की कोई आदमी अगर अपने घर में हग मूत के उसका सत्या नाश कर दे तो आप उसका क्या करेंगे ? आप क्या कर सकते हैं ......... उसका घर है ....ये उसके घर का अंदरूनी मामला है ....आप कौन होते हैं इसमें दखलंदाजी देने वाले .........आप कुछ नहीं कर सकते . 

पर मामला यहीं ख़तम नहीं होता ........ जब वो अपने घर भर का सत्या नाश कर देता है ......और जब वो रहने उठने बैठने लायक नहीं रह जाता तो वो चुपके से ......दबे पाँव .......सबकी नज़र बचा के ...... आपके घर में घुस आता है ....... आपके पाँव दबा देगा ....पानी भर देगा ....... झाडू पोंछा कर देगा ....... आप जो रूखा सूखा देंगे , खा लेगा ....... शुरू शुरू में आपको भी बहुत अच्छा लगेगा ......सस्ती लेबर जो मिल गयी ........

पर आपके होश ठिकाने तब आयेंगे जब आपके अपने घर में से बदबू आने लगेगी .......... घर के कोनों से ......पिछवाड़े से ...........बाहर लॉन से .......... वो जिस कोढ़ी को आपने घर में घुसा रखा है न ........उसे घर में हगने की आदत है .........वो जहां रहेगा उसे खन खोद के रहने लायक नहीं छोड़ेगा ........ अब चूँकि एक बार आपके घर में घुस गया तो आप अब निकाल के दिखा दीजिये ........ तरह तरह के तर्क देगा ........संविधान पढ़ायेगा .....वसुधैव कुटुम्बकम का रोना रोयेगा .......कहेगा मैं भी तो देश का नागरिक हूँ .......मेरा भी तो देश है .......आपके घर पे मेरा भी तो हक है ........... और ये जान लीजिये की सब अखबार वाले भी उसी के पक्ष में उठ खड़े होंगे ..........साले तेरे बाप का घर है ? वो यहीं रहेगा . ऐसे ही हगेगा ........

इन UP bihar वालों ने अपना घर तो रहने लायक छोड़ा नहीं ......... लालू , मुलायम , मायावती जैसे लोगों को वोट दिया .......जातिवादी सरकारें बनवा के 20-20 साल तक अपने प्रदेशों का बेड़ा गर्क कर लिया ............ सत्यानाश कर लिया .....6 घंटे बिजली आती है .....सड़क नाम की चीज़ नहीं ......रोजगार है नहीं .....industry का नामो निशाँ नहीं ......... शिक्षा व्यवस्था एकदम चौपट ........ कानून व्यवस्था एकदम चौपट .....रोजाना दंगा फसाद .............कहने का मतलब अपना घर तो रहने लायक रहा नहीं ........ तो मुह उठा के चल दिए दिल्ली मुंबई सूरत और चंडीगढ़ जालंधर की तरफ ...... रोक के दिखा दो ........ हमारा भी हक है ........इसको हग के बर्बाद करने का हमारा भी हक है ........

मुझे नहीं मालूम की विजय गोयल ने क्या कहा है ......... वो बेचारा कह भी क्या सकता है ........नेता आदमी है .....उसको वोट लेना है ....... नेता तो केंचुआ होता है ....बिना रीढ़ का ....रेंग के चलने वाला .......... सच हमसे सुनो ......... जहां दिख जाए up बिहार वाला .......साले को दौड़ा के मारो ......बोलो चल वापस ......वहीं रह .......साले अपना घर गंदा कर के यहाँ आ गया .....चल भाग .....वहीं जा .......अपना घर साफ़ कर ........ कायदे की सरकार बना .......अपने बाप से बोल ........कायदे से प्रदेश चला ......सड़क बनवा ....क़ानून व्यवस्था दुरुस्त कर ....... 24 घंटे बिजली दे .....industry लगवा ..........कृषि में विकास कर ......... साले .......नयी दिल्ली मुंबई क्या बसाएगा बे ?????? पटना , बरौनी , लखनऊ , कानपूर , बनारस सुधार ले न ........ मेरठ , सहारनपुर सुधार ........ इन्ही को बसा ले ......
लुधियाना में पूर्वांचल समाज का 2.5 लाख से ज्यादा वोट है .......... दिल्ली में तो आधी दिल्ली पे ही इनका कब्जा हो चुका है ........ किसी ज़माने में दिल्ली पंजाबियों का शहर होता था .....अब वो बिहारियों का शहर है ( बिहारियों में UP वालों को शामिल कर लिया जाता है ) .........यहाँ पंजाब में जब भी कोई अपहरण की घटना होती है , पुलिस तुरंत बिहारियों को तलाशती है ......इधर ह्त्या , बलात्कार के जितने भी केस हुए हैं , उनमे से अधिकतर बिहारियों द्वारा किये गए .......... पिछले 5 साल में कम से कम 20 ऐसे मामले हुए जिसमे छोटे बच्चों का अपहरण हुआ और वो सभे बच्चे अंततः बिहार से बरामद हुए ....... दिल्ली की कानून व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश हमेशा से ही एक समस्या रही है ...वैसे पिछले दस सालों में हरियाणवी माफिया भी पैदा हुआ है .......... पर up बिहार का क्रिमिनल element उत्तर भारतीय शहरों के लिए एक सच्चाई है .....इसे नकारा नहीं जा सकता ........





4 august .........


पाप का घड़ा अंततः भर ही जाता है । Glassgow में common wealth games में जो श्रीमान जी sexual assault के केस में रात से हवालात में बंद हैं उनका नाम श्री श्री वीरेन्द्र सिंह मलिक उर्फ़ बिंद्रा है .........

ये कुश्ती जगत की dolly bindra है । वो कहते हैं न rogue element . भारतीय कुश्ती के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय आयोजनों में किसी भी किस्म की धांधली , धक्के शाही , बेईमानी ,mat पे रेफेरशिप में यदि धांधली करनी हो तो अपने बिंद्रा जी का नाम लिया जाता था । बेईमानी के साक्षात् अवतार हैं प्रभु ..... भारतीय कुश्ती का बदनुमा चेहरा । न जाने क्यों कुश्ती का राजनैतिक नेतृत्व इस गंदे घटिया आदमी को प्रमोट करता है / था । लीजिये .....उन्होंने भी पेट भर दिया है wrestling federation of India का ....... गू को सिर पे बिठाओगे तो यही होगा । श्रीमान जी को आज हथकड़ी लगा के कोर्ट में पेश किया जा रहा है । दारू पी के sexual assault के आरोप में ..........
पिछले कई दिन से मैंने गोरक्षा के विषय पे एक गरमा गर्म बहस छेड़ रखी है .......उसपे जो रिएक्शन आया है उस से मेरी आँखें खुल गयी हैं .....और मुझे सचमुच ये लगा की भारत देश में अधिकाँश हिन्दू जनता वाकई गाय से भावनात्मक रूप से जुडी हुई है .........लोग पूछते हैं की समस्या का हल क्या है ?

मुझे एक हल ये समझ आया की सभी गो भक्त अपनी अपनी सामर्थ्यानुसार यदि एक एक गाय के भरण पोषण का खर्च उठा लें तो तो गाय को बचाया जा सकता है ............

प्रधान मंत्री जी को एक कोष की स्थापना करनी चाहिए और उसमे सभी गो भक्त अपनी सामर्थ्यानुसार दान दें ...और एक एक गाय को गोद लें .......जो कम सामर्थ्यवान हैं वो दो या तीन लोग मिल के एक गाय को गोद लें .........जिस किसान के पास बूढी गाय होगी वो उस कोष से सहायता प्राप्त कर उस गाय को पाल लेगा ........

यकीन मानिए कोई किसान अपनी गाय किसी कसाई को नहीं देना चाहता ........... मैंने ये दृश्य एक बार नहीं हज़ार बार देखा है जब कोई गाय किसी खूंटे से जाती है तो रुक रुक के बार बार मुड़ मुड़ के पीछे देखती है ....और लोगों को फूट फूट के रोते हुए भी देखा है .........मुझे याद हैं .......कम से कम दस बैल मरे होंगे हमारे दरवाज़े पे .....बिलकुल वृद्ध हो कर ....पर वो, वो ज़माना था जब हमारी संयुक्त परिवार में २५ बीघे की खेती थी .....आज तीसरी पीढी में एक लड़के के हिस्से में एक बीघा खेत है ........ उसके खुद के खाने का ठिकाना नहीं है , वो क्या गाय को खिलाएगा और क्या खुद खायेगा ..........

सारे गोभाक्तों के सम्मिलित प्रयास से ही गोधन को बचाया जा सकता है ......... प्रधान मंत्री जी को एक petition file की जाए .........सभी गो भक्त उसे sign करें ...और एक गोरक्षा कोष की स्थापना हो ........
एक माँ थी .उसके दो बेटे थे , बड़ा बेटा Girdharilal Goyal शहर में रहता था और नौकरी करता था .उसके वहाँ शहर में 3 BHK फ्लैट था , जहां वो अपने बीवी बच्चों के साथ सुख पूर्वक रहता था ............ छोटा Ajit Singh Corrupt बेचारा गरीब किसान था और गाँव में रहता था ........... बड़ा बेटा अपनी माँ को बहुत प्यार करता था , पर वो रहती थी छोटे बेटे के पास गाँव में ही . बड़ा बेटा माँ को इतना प्यार करता था की हमेशा पर्स में फोटो लिए घूमता था . हर कमरे में माँ की फोटो लगी थी . सुबह उठता तो सबसे पहले माँ की फोटो ही चूमता चाटता था .............

माँ छोटे बेटे के पास रहती थी जो किसान था .......... वो माँ की कोई पूजा वूजा तो नहीं करता था , चूमता चाटता भी नहीं था ......... पर जितनी सामर्थ्य थी उतनी भर सेवा करता था ........ सुबह शाम नहलाता धुलाता , खिलाता पिलाता ........जितना भर बन पड़ता उतनी देख भाल करता ............

एक दिन मातृभक्त बड़ा बेटा गिरधारी लाल गोयल जब काम से वापस आया ....तो पत्नी बोली .......लो गाँव से पत्र आया है .....तुम्हारे छोटे भाई का है ....... पत्र खोल के पढ़ा ....... छोटे का था ........

आदरणीय बड़े भैया , ( Girdhari lal goyal जी )

आप तो जानते ही हैं की मेरी आर्थिक दशा अत्यंत दयनीय है ........ किसी तरह बस गुज़ारा कर रहा हूँ ......... खुद की रोटी का ठिकाना नहीं है ..........माँ को कहाँ से खिलाऊँ ......... अब तो लगता है की माँ मर जायेगी ( कसाई को दे देनी पड़ेगी ) . मुझे मालूम है की आप माँ को कितना प्यार करते हैं . आपके पर्स में हमेशा माँ का फोटो रहता है . पूजा घर में भी आपने उसका फोटो लगा रखा है . दुनिया कुछ भी कहे ( कि ढोंग है ) पर मैं जानता हूँ की माँ के प्रति आपका प्रेम वाकई सच्चा है .......... इस से पहले की माँ मर जाए , आपसे निवेदन है की आप इन्हें आ कर ले जाइए ........

आपका नालायक भाई
Ajit singh corrupt

पत्र पढ़ कर गिरधारी की आँखों से अश्रु धारा बह चली ......माँ माँ कह के विलाप करने लगे ..... तुरंत पर्स से फोटो निकाला ........ और माँ का फोटो ताबड़ तोड़ चूमने लगे .......... पत्नी और बच्चे भी आ गए ....वो सब भी भोकर भोकर के रोने लगे ........... मोहल्ले में हडकंप मच गया ........पूरे शहर में खबर आग की तरह फ़ैल गयी .......गिरधारी की अम्मा सीरियस हैं ........सांत्वना देने वालों की लाइन लग गयी ......... कौन से अस्पताल ( बूचड़ खाने ) में भर्ती हैं अम्मा ....... गिरधारी फिर भोकर के रोने लगे ......... माँ माँ कह के विलाप ( प्रलाप ) करने लगे .........घंटा दो घंटा नाटक तमाशा चला . फिर सब अपने अपने घर गए .......... गिरधारी AC चला के सोने चले ......... पत्नी ने पूछा ? अम्मा का क्या करेंगे ......... वैसे अम्मा है तो बड़े काम की चीज़ ....पर ये अजित सिंघवा साला है ही नालायक ......... एक माँ है ......उसकी सेवा नहीं हो रही साले निकम्मे नालायक से ........ अब हमारी तो मजबूरी है ....शहर में कैसे ले आयें अम्मा को ........ गिरधार फिर भावुक हो गए ....सुबकने लगे और सुबकते सुबकते ही सो गए .........

अगली सुबह गिरधारी ने अम्मा की फोटो पे माला डाल दी ..............
मेरे एक दोस्त हैं . उत्तराखंड में रहते हैं . संपन्न आदमी हैं . उनका छोटा भाई है . अमीर जादा है ........ 2000 रु की शर्ट पहनता है . ब्रांडेड . उसने ज़िन्दगी का एक नियम बना रखा है . एक शर्ट जीवन में सिर्फ एक बार ही पहनता है . एक दिन मेरे हत्थे चढ़ गया . मैंने उसे समझाया . बड़े ही घटिया इंसान हो यार . इतने दरिद्र हो ? अबे साले एक ही सोफे पे रोज़ बैठते हो ? ऐसा नियम बनाओ की एक सोफे पे जीवन में एक बार ही बैठूँगा . एक थाली में एक बार ही खाउंगा . एक कमरे में जीवन में एक बार ही सोउंगा ......... अबे रईस बनते हो तो कायदे से बनो ........ ये सिर्फ शर्ट में ही रईसी दिखाते हो ?

वैसे ऐसे जाहिल मर्द बहुत कम ही होते हैं ........ लाखों में कोई एक .......पर जहां तक मैं समझता हूँ ...ऐसी जाहिल औरतों की संख्या बहुत बहुत ज़्यादा है .......... जिनको मैं जानता हूँ उनमे हर दूसरी औरत इतनी ही जाहिल है . जो कपडा किसी फंक्शन में एक बार पहन लिया अगर उसे दुबारा पहन लिया तो बेचारियों की नाक कट जाती है ....इज्ज़त का फलूदा हो जाता है .......हाय लोग क्या कहेंगे .....एक ही ड्रेस को दो बार पहनती है .....पिछले साल अपनी ननद की शादी में भी इसने यही सूट पहना था ......... हे ईश्वर ! किसी बेचारी औरत को ये दिन देखना न पड़ जाए ......... इस से ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है की एक कपडा दो बार पहना जाए ........... जाहिल नवधनाढ्य लोगों का ये नया फंडा है ....दुर्भाग्य ये है की यही जाहिल समाज के रोल मॉडल बने हुए हैं ......... जो जाहिल नवधनाढ्य करते हैं वो समाज के लिए अनुकरणीय है ....... बहुत बड़ा घर ....चाहे पूरे घर में रहने वाले कुल अढाई आदमी ही हों ...... बहुत बड़ी गाडी ...... घर में 24 AC ........ ये parameters हो गए हैं ......... मुकेश अम्बानी जैसे 27 मंजिले घरों में रह रहे हैं ....... समाज के रोल मॉडल हैं ...........

जिस समाज में उपभोग .....और सिर्फ और सिर्फ उपभोग ही एक मात्र जीवन दर्शन बन जाए उसमे सादगी , शिष्टाचार , पर्यावरण , परम्परा , धर्म , सदाचार ......ऐसे शब्द बेमानी हो जाते हैं ........ prem prakash जी हमेशा गांधी की दुहाई देते हैं ........... अनियंत्रित विकास का रोना रोते हैं ........ बाजारीकरण और शहरी करण की आलोचना करते हैं ........ प्रकृति की और लौटने की बात करते हैं ........ दूसरी तरफ बाज़ार है ...... जो सीरियल के माध्यम से हमें ये बता रहा है की औरतों को घर में भी 14000 की साड़ी पहननी चाहिए और हमेशा 3 किलो डिजायनर गहनों से लदे फदे रहना चाहिए ........... girlfriend को और बीवी को diamond की अंगूठी ही गिफ्ट में देनी चाहिए .........चाहे किश्तों में ही क्यों न लेनी पड़े .......... बाज़ार नागरिकों को चरम उपभोग की शिक्षा दे रहा है ........ ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत .....यावत् जीवेत सुखं जीवेत ........

चरम उपभोग और live in के ज़माने में सादगी और रूखी सूखी खा कर ठंडा पानी की नसीहत देना आउट ऑफ़ फैशन हो गया है ......... समाज के सामने दो आप्शन हैं ......या तो चरम उपभोग की संस्कृति को त्याग कर पुनः प्राचीन भारतीय जीवन शैली की और मुड़ जाए ........... या फिर चरम उभोग में और गहरे डूब जाए ............ अभी तक जो दिख रहा है उसमे हम चरम उपभोग में ही डूबते नज़र आते हैं ................ चरम उपभोग की इस जीवन शैली में गाय के बछड़े को बचाना असंभव है ......... चरम उभोग की जीवन शैली ही बूढ़ी गाय और बछड़े को slaughter house तक पहुंचा के आती है ............
यूँ मैं गाय , गोरक्षा और गो हत्या के विषय पे शुरू से ही लिखता आया हूँ . हिन्दू जनमानस के लिए ये विषय बहुत ही संवेदनशील है . आम तौर पे लोग स्थापित मान्यताओं से इतर सोचने , बोलने या लिखने की हिम्मत नहीं करते . जब कोई बोलता है तो स्वाभाविक रूप से उग्र प्रतिक्रया आती है ........लोग विरोध करते हैं ........ व्यक्ति समाज में अलोकप्रिय हो जाता है ........ अपशब्द और गालियाँ सुननी पड़ती हैं .....उपहास उड़ाया जाता है .........क्योंकि लोग यही चाहते हैं की सामने वाला बस उनके मन की ही बात कहे ....... जो वो सही समझते हैं वही लिखे ......... उनका मानसिक तुष्टीकरण करे ....... समाज में कोई भी अलोकप्रिय नहीं होना चाहता ......... लोकलुभावन बातें .....लोकलुभावन नीतिया .....लोकलुभावन राजनीत ......... लोकलुभावन लोकनीति .......

इसी देश में आज से सिर्फ सौ साल पहले लड़कियों को पढ़ाने की परम्परा नहीं थी .......... महर्षि दयानंद की प्रेरणा से जालंधर में लाला देव राज जी ने बालिकाओं की शिक्षा हेतु देश का प्रथम विद्यालय स्थापित किया .........उनका समाज में इतना उग्र विरोध हुआ की उनका हुक्का पानी बंद कर दिया गया और उनका बहिष्कार किया गया .......क्योंकि वो समाज की स्थापित मान्यता ......लड़कियों को नहीं पढ़ाना चाहिए ......इसके विपरीत कार्य कर रहे थे ....बाल विधवा का आजीवन वैधव्य ....... सती ........ अस्पृश्यता ..... मूर्ती पूजा ....... ये सब क्या हैं ? समाज में स्थापित सामाजिक धार्मिक मान्यताएं जो अंततः समय के साथ टूटी .......

गो हत्या और गो रक्षा पे समाज की स्थापित मान्यताओं से इतर , मेरे विचार पढ़ के मेरे पाठकों को निराशा हुई है .........दरअसल हर व्यक्ति वहीं देखना सुनना पढना चाहता है जो उसके विचार के अनुकूल हो .........फेसबुक पे मेरे लेखन का उद्देश्य कभी भी वाहवाही बटोरना और ढेरों likes इकट्ठे करना नहीं रहा ..........

गुलज़ार साहब की फिल्म " इजाज़त " में एक जगह उन्होंने कहा है ........" जो सच है और सही है वही कीजिये "

चाहे उसके लिए समाज की स्थापित मान्यताओं के विपरीत ही क्यों न जाना पड़े ........... यूँ भी बनारस में कहते हैं ....गालियाँ तो शिव जी का प्रसाद हैं ....प्रेम पूर्वक ग्रहण कर लेना चाहिए ........
कोई ज़माना था जब जीवन पूरी तरह गाय पे ही आधारित था । भारत एक agrarian society थी । गाय से ही जीवन था । बैलों से ही खेती थी । खाद, जुताई, बुवाई, ढुलाई, thrashing, कोल्हू , रहट से सिचाई , आना जाना बैल गाड़ी से ...... पूरा व्यापार बैलगाड़ी से । कलकत्ते से पेशावर तक बैलगाड़ियों के काफिले चला करते थे । लोग कुम्भ नहाने चले जाते थे बैल गाड़ियों पे । गाय और बैल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती थी । और ये सिलसिला हज़ारों हज़ार साल चला । वैदिक काल से लेकर हाल तक......... 1965 - 70 तक . उस ज़माने में गाय ही जीवन का आधार था . गो रक्षा जीवन का मन्त्र था .

पर पिछले 50 सालों में अचानक सबकुछ बदल गया .....सब कुछ ......... गाय की सिर्फ और सिर्फ एक उपयोगिता रह गयी......... दूध ....... इसके अलावा हर वो काम जो बैल करते थे वो मशीनें करने लगी ........ जुताई,बुवाई ,ढुलाई, थ्रेशिंग, सिचाई ,ट्रांसपोर्टेशन , यहाँ तक की खाद भी ........ कोल्हू, चक्की, गन्ना पेरने वाली मशीन ......... हर वो काम जो बैल करते थे मशीन करने लगी ......... बैल अचानक बेकाम हो गए .... obsolete....... जैसे कभी typewriter हुआ करते थे ........

1947 में भारत की आबादी 33 करोड़ थी और फिर भी देश भूखा मरता था .......... आज उसी देश में 130 करोड़ लोग रहते हैं फिर भी गेहूं चावल रखने की जगह नहीं है ........... ये सब शायद आधुनिक कृषि के कारण हुआ जिसमें बैलों के लिए कोई जगह नहीं .......... वो बैल जिसके लिए किसान हाल तक , 1975 -80 तक जान देता था, आज वो गायब हैं ........ कहाँ गए वो बैल ...... डब्बे में बंद हो के सऊदी अरबिया चले गए ........ और सिर्फ बैल ही गायब नहीं हुए ....हर वो चीज़ जिसकी उपयोगिता ख़त्म हो जाती है गायब हो जाती है ......... ऐसी सैकड़ों हज़ारों चीज़ें हैं जो पिछले 50 बरस में हमारे जीवन से गायब हुई ......... यही प्रकृति का नियम है .......

बैल समय से हार गए हैं ........ अब ये भारत को निर्णय करना है की वो अपने बैलों का क्या करेगा ........ पिछले तीस साल से हमारे बैल चोरी छिपे स्लॉटर हाउस पहुँचते रहे हैं ....... हर साल लगभग 7 -8 करोड़ बैल, बछड़े, बूढ़ी गायें slaughter हाउस जाते हैं ...... मोदी सरकार के ऊपर ये दबाव है की वो गो ह्त्या पे पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दे ....... पूर्ण प्रतिबन्ध माने देश के किसी भी कोने में गोधन .......यानि गाल या बैल के वध पे मनाही और सज़ा का प्रावधान .......... यदि सरकार ऐसा कर देती है तो हर साल देश में 7-8 करोड़ गोधन बचेगा ........ उस गोधन का क्या उपयोग होगा ? वो कहाँ रहेगा , क्या खायेगा ? उसकी क्या उपयोगिता होगी ? उसे कौन सम्हालेगा ? हर साल 7-8 करोड़ माने अगले दस साल में 70-80 करोड़ .......गाय बैल की उम्र 20-25 बरस भी होती है.....स्लॉटर यदि रोक दिया जाएगा तो natural death से सिर्फ बूढ़े पशु मरेंगे ....जवान पशु तो अगले 20 साल जीवित रहेगा ...इसलिए अगले बीस साल में कितनी संख्या हो जायेगी ....अंदाजा लगा लीजिये .......... ..........इतने गोधन को खिलाने पिलाने का सालाना खर्च कितना आयेगा ...वो खर्चा हम यानि हिन्दुस्तान करेगा या china ?

भारत देश को गो ह्त्या पे पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने से पहले इन सभी प्रश्नों पे विचार कर लेना चाहिए . ........... मुद्दा सिर्फ भावनात्मक नहीं है .....देश की पूरी economics से जुदा है .......ये मुद्दा हमारी अग्ररियन इकॉनमी को बहुत बहुत ज़्यादा प्रभावित करने वाला मुद्दा है ........
आज से कोई 15 बरस पुरानी बात है । हमारी गाय ने बछडा दिया । बहुत ही सुन्दर और हृष्ट पुष्ट । पिता जी फौजी अफसर रिटायर हुए थे सो जमीनी हकीकत से वाकिफ न थे । बोले इसको सांड बना के इलाके में छोड़ देंगे । लोगों ने बहुत समझाया , बोले क्यों मुसीबत मोल लेते हो ..... पंगे मत लो । पर वो कहाँ मानने वाले थे । गाय का पूरा दूध उसी को पिला देते थे । और वो भी 10 लीटर दूध पी के क्या मोटाया था । सो भैया जब वो डेढ़ दो साल का हो गया तो उसे बाकायदा वैदिक रीति से हवन पूजन कर के धूम धाम से सीवान में छोड़ आये ..... इस कामना के साथ की जाओ बेटा समाज का कल्याण करो । पिता जी बड़े प्रसन्न थे । समाज का कल्याण करके ।

पर क्या देखते है की बेटा जी दो घंटे बाद गेट पे हाजिर है . पिता जी बोले जाओ बेटा जाओ .... परिवार का मोह मत करो । पर बेटा कहाँ मानने वाला था । उसने वही गेट पे ही धरना दे दिया । और फिर सामने वाले खेत में चरने लगा । अब पिता जी घबराए । अब सुनो गाँव भर का ओरहन ...... हांक के आये .....वो फिर हाजिर । ज़रा सा मौक़ा पाता और गेट खोल के अन्दर । बुढाऊ ने हफ्ता भर तो बर्दाश्त किया फिर तंग आ गए । दो मजदूर किये और उसे गाँव से कोई बीस किलोमीटर दूर छोड़ के आये । बेटा जी 3 दिन बाद फिर हाजिर । जगह जगह चोटों के निशाँ । लोगों ने मार मार के बुरा हाल कर दिया था । हम सब परेशान । अब क्या करें । गाँव में रहता तो जिसका खेत खाता उसका उलाहना सुनो । किसी ने सलाह दी की truck से बनारस पार छुडवा दीजिये । छुडवा दिया । 10 दिन बाद बेटा जी फिर हाजिर । अब पिता जी का सांड हमारे गले का असली बवाल हो गया । महीना भर बाँध के खिलाया । पर वो भी कोई आसान काम थोड़े न है । गोशाला वालो से बात की । उन्होंने साफ़ मना कर दिया । अंत में एक आदमी बोला , इसे नाव में चढ़ा के गंगा पार करा दीजिये । नदी तैर के वापस नहीं आएगा । तो भैया उसको नाव में बैठा के गंगा पार उतार आये । और कोई दो महीने गेट की और ताकते रहते थे की लौट तो नहीं आया ।

पर इस कहानी का अंत यूँ ही नहीं हुआ । जब हम उसे गंगा पार करा रहे थे तो अन्दर से हम सब जानते थे की हम क्या कर रहे हैं । हम उसे गंगा पार छोड़ आये .......ये जानते हुए भी ,की उस पार कसाई घूमते फिरते है ......यूँ ही ..... लावारिस बछड़ों की तलाश में ....... और उसे छोड़ आये हम उस पार ..... अपने बेटे की तरह पाला था उसे .......




NASA discovery यान को दुबारा design कर रहा है । उसमे इस बात पे मंथन चल रहा है की टायर में 180 pound हवा भरे या 220 ? या 400 पौंड ? अब इसका क्या जवाब दोगे भैया ? समझदार होगे तो यही कहोगे की हमको कोई जानकारी नहीं । किसी aeronautical engineer से पूछो । पर मुझे विश्वास है की हिन्दुस्तान में हर वो चूतिया जिसने कभी अपनी cycle में भी अपने हाथ से हवा नहीं भरी वो इसमें कूद पड़ेगा ।मेरे दादा ने कहा था की आगे 32 पीछे 40 ....... एकदम एक्सपर्ट बन जाएगा ।

मैंने कहा की गोरक्षा कैसे होगी ये किसान को decide करने दो । जिसको बैल और सांड का अंतर नहीं पता वो क्या बताएगा की गोरक्षा होनी चाहिए या नहीं ....... एक भाई कहता है की राजीव दीक्षित कह गए हैं की एक गाय 2करोड़ 19 लाख रु देती है अपने जीवन काल में । एक ने कहा की गाय का मूत 1200 rs लीटर के हिसाब से एक्सपोर्ट कर दो । एक बोलता है की कोई ऐसी टरबाइन बनाओ जिसे सौ दो सौ बैल चलाये उस से बिजली बनाओ । एक बोल्या बैलगाड़ी चलाओ । एक बोल्या tractor combine ban कर दो । उसकी जगह बैल से खेती करो ......एक बोल्या गोबर गैस cylinder में भर के बेचो । बछड़े जंगल में छोड़ दो । एक बोल्या शेर पाल लो वो खा जायेगा पर slaughter मत करो । एक बोला सांड पाल लो और उसके गोबर से उपले पाथ लो खर्चा निकल आएगा ।

मेरा कहने का मतलब ये है की भैया आप लोग non technical लोग हो। आपको कृषि और पशुपालन की ABC नहीं पता । क्यों ज्ञान छांट रहे हो भैया । जिंदगी में पानी के नज़दीक गए नहीं और swimming coach बन रहे हो ?

जो दिन रात गाय पालता है ......खिलाता पिलाता है .....गोबर खाद पानी सब कर रहा है उसको decide करने दो भैया ...... सरकार पे गलत दबाव् मत बनाओ ... कृषि और dairy farming गंभीर मसले हैं । देश की economy , food security ,GDP ,और देश से भविष्य से जुड़ा हुआ मसला है । इतने गंभीर मसले पे non technical लोग प्रलाप कर रहे हैं ।

मेरा सिर्फ इतना कहना है की उसको निर्णय लेने दो जिसका विषय है ...... देश की सुरक्षा की चिंता करने का हक आपको है पर सरकार को ये मत पढ़ाइये की सियाचीन में 2000 फौजी deploy होगा या 20000 ...... ये आपका विषय नहीं ।