Thursday, October 9, 2014

6 oct ...........चचा पाकिस्तानी .....

एक चचा जान थे हमारे ....... संयुक्त परिवार था हमारा .....चचा जान को एक दिन इल्हाम हुआ की हमारे साथ नहीं रह सकते .........दादा हमारे बोले ...काहें भैया का हो गवा ? बोले बस अलग कर दो ......आप लोगों के साथ रहना बड़ा मुश्किल है ........आपके साथ न खान पान मिलता है , न रहन सहन ........इसलिए अलगा दो ...... महीनों झगडा करते रहे ........ दद्दू अलगाय दिए .......... जमीन जायदाद सब बाँट दिए .....घर में दीवार बना दिए .......बोले उस पार तुम्हारा .....जाओ .......चच्चू अपने अंडा बच्चा को डंका दिए .....दूकान दौरी खटिया मचिया जो हिस्से में आयी थी , सब ले गए .........
अगले दिन जब दद्दू सो के उठे तो देखते हैं की चाचू वहीं दलान में लुंगी पहन के दतुअन रगड़ रहे हैं ....... दद्दू बोले का हुआ ? गए नहीं ?
हम काहे जाएँ ? हमरा घर है ? हमरे बाप दादा यहीं रहते आये हम काहें जाएँ भला ? जिनगी भर एही दालान में खेले .......एही नीब पे चढ़ के दतुअन तोड़े ....... एका छोड़ के हम काहे जाएँ ?
दद्दू थे हमारे एक नंबर के चूतिया आदमी .......... चचवा इनको ज्ञान दे रहा था और ये ले रहे थे .......उलाट के मारते साले को वहीं चार लात .......भक्क्क साले ...........अब दद्दू हमको ज्ञान देते हैं ? कहाँ जाएगा बेचारा ?
अब चाचू के लड़के फिर अलापने लगे हैं ......हम साथ नहीं रह सकते ........ तुम साले आरती गाते हो तो हमको खलल पड़ता है ........माइक उतारो ...... विसर्जन मत करो .....हमको नमाज़ पढनी है .....खलल पड़ता है .
छपरा का latest दंगा इसलिए हुआ की पुलिस एवं प्रशासन ने विसर्जन रोक दिया और मूर्तियों से माइक बंद करवाया .........बोले ईद के नमाज़ में खलल पडेगा ....... दंगा हो गया .....
का चचा ?????? तब्बे इस्लामाबाद , पेशावर लाहौर , कराची चले गए होते तो ईद की नमाज़ में खलल नहीं न पड़ता ........ और दद्दू साले मर गए खलाल हमारे कपार पे छोड़ गए ........

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