Thursday, October 9, 2014

9 september .........तीसरी बेटी

सच्ची कहानी है .....वो तीन बहनें थीं . सबसे बड़ी और सबसे छोटी को मैं जानता हूँ ........बीच वाली कभी मिली नहीं . सबसे छोटा यानि चौथा भाई था .मेरी ख़ास सहेली यूँ बडकी थी . वही रो रो के सब किस्से सुनाया करती थी . बाप एयरफोर्स में था . पहली बेटी हो गयी . चूँकि बेटी थी इसलिए कभी गोद में उठाया ही नहीं . कभी पुचकारा ही हो ये भी याद नहीं ........ फिर दूसरी भी बेटी हो गयी
मैं बहुत छोटी थी जब वो हुई .......कुछ याद नहीं पर जब वो दूसरी लगभग दो साल की थी तो मैं चार साल की थी ....तब की धुंधली धुंधली कुछ यादें हैं ......... फिर जब तीसरी हुई तो मुझे अच्छी तरह याद है ........ कोहराम मच गया था घर में ......यूँ बताते हैं की दादी दहाड़ें मार मार के रोई थी ...... फौजियों के बच्चे आम तौर पे मिलिट्री हॉस्पिटल में पैदा होते हैं ...........मुझे याद है जब माँ छुटकी को घर ले के आयी तो पिता जी ने माँ को वहीं घर के दरवाजे पे ही कस के झापड़ मारा ............ जब कभी उन्हें घर से निकलना होता तो हम लड़कियों को सख्त हिदायत थी की उनके सामने नहीं पड़ना है “ मुझे इनकी मनहूस शक्ल दिखनी नहीं चाहिए “ फिर तीन चार साल बाद चौथा लड़का हुआ .......
उसके बाद घर का माहौल बदल गया ....... कम से कम ये हुआ की हम लड़कियों के खिलाफ जो तल्खी रहा करती थी वो कम हो गयी ........ और हमारे घर भैया हुआ था ....हम तीनों फुदकती फिरती थीं मोहल्ले भर .....जब पता चला तो सबको जा के बता आयीं खुशी खुशी ......... हमारे घर भैया हुआ ....... जब वो छोटा था तो उसे दिन भर गोदी में लादे घूमतीं ......खिलौना था हमारे लिए तो ........फौजियों के बच्चों को एक खुशनसीबी होती है ....केंद्रीय विद्यालयों के कारण शिक्षा दीक्षा अच्छी हो जाती है ........ सो हम तीनों भी पढ़ गयीं भाग्य से ......एयरफोर्स स्टेशन में था इसलिए भाग्य से KV भी अच्छा था .......
बडकी की शादी सबसे पहले हुई गाजीपुर के एक Phd से ...संस्कृत से था ...डॉ साहब .....बाद में पता चला की किसी college में adhoc पे था और 400 रु पाता था .....ये किसी तरह प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा के परिवार चलाती थी .......मझली MA Bed कर के सरकारी स्कूल में मस्टराइन हो गयी .......छुटकी सबसे तेज निकली ....... उसने Msc किया और DRDO ग्वालियर में scientist लग गयी ...वहीं एक अग्रवाल लड़के से परिचय हुआ और जब घर वाले न माने तो उसी से शादी कर ली ........... बाद में दोनों पति पत्नी किसी स्कालरशिप पे लन्दन चले गए और वहीं सेटल हो गए .........
बडकी सबसे पहले जब घर से बाहर निकली तो मेरे स्कूल में आयी थी पढ़ाने ...दो महीने रही फिर बनारस में उसे हमसे बेहतर वेतन वाली नौकरी मिल गयी ......स्वभाव से बड़ी aggressive थी ...कहीं साल छः महीने से ज़्यादा न टिकी ......इधर उधर धक्के खाती रही .....बीच बीच में मिल जाती थी ...... एक बार दस साल बाद मिली .......एक बड़े स्कूल में अंग्रेज़ी पढ़ाती थी ........तब मैंने पहली बार उसके दिमाग में ये कीड़ा डाला .......प्रिंसिपल बनने लायक हो ...... कहाँ पडी हो आजमगढ़ में ........ उसका क्या करूँ ? मार लात साले को ....... और उसने लात मार दी ....... पहली नौकरी प्रिंसिपल के तौर पे मिली फतेहपुर में और वेतन 7000 से सीधे 15 हज़ार ........6 महीने बाद मैंने कहा , कहाँ गंदे घटिया इलाके में UP में पडी है , भुक्खड़ों के बीच ....पंजाब आ जा ....... अखबार में vacancy देख के बतायी और टेलेफोन पे ही इंटरव्यू हुआ ........ फिर आई संगरूर .....बला की खूबसूरत थीऔर intelligent भी ......इंटरव्यू में तो फेल कभी हुई ही नहीं ...... वेतन 24000 ...फिर वहाँ से कुरुक्षेत्र होते हुए बटाला ....वेतन 55,000 .....और उसके बाद लुधियाना ....वेतन 1,25,000 . इस बीच घर वालों ने त्याग दिया था ......पति को तो लतिया के ही आई थी .......खबर मिली की बाप को मुह का कैंसर है और दिल्ली अस्पताल में भरती है ........ छोटा भाई दिल्ली में था किसी प्राइवेट जॉब में ....15000 की ........ बडकी लुधियाना से गयी .....छोटकी लन्दन से आयी ........बाप का ऑपरेशन हुआ ....फेल हो गया ...फिर एक के बाद एक 4 बार ऑपरेट करना पडा ....इस दौरान दोनों बहनें दिल्ली में ही रहीं ........ मझली अपने ससुराल आजमगढ़ में मस्त थी ....भाई की कोई औकात न थी ....इन्ही दोनों ने सम्हाला ..........
इसी माहौल में दोनों एक दिन दिल्ली में मुझे मिल गयीं ........ इमोशनल माहौल था ...... लगी दुखड़ा रोने ......... छोटकी याद करने लगी , कैसे दुत्कारते थे बचपन में लडकी होने के नाते ...... मनहूस ...... मझे हमेशा लगता था की हे भगवान् उस समय क्यों न था ultrasound .......जन्म ही न लेना पड़ता ....... हे भगवान् कितनी जिल्लत झेली है मैंने बचपन में ........ तीसरी बेटी होने के कारण .
तभी बडकी ने एक बम फोड़ दिया ........... जानती हो ......मैंने ये बात आज तक किसी को नहीं बतायी ........... आज बता रही हूँ .............. तुम्हारे और भैया के बीच दो लडकियां और हुई थी ........ और वो दोनों मिलिट्री हॉस्पिटल से ज़िंदा घर आयी थीं ............ और वो फूट फूट के जार जार रोने लगी ......... न जाने तुमको क्यों छोड़ दिया .........
तीनों बहनें बला की खूबसूरत हैं .......... वो दो भी अगर होती तो कैसी होती ?

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