Thursday, October 9, 2014

9 October .............कौमनष्ट watch .........communist खतरे में ......

कौमनष्ट watch .........
किसी जमाने में धरती पे एक कौम थी . धीरे धीरे वो नष्ट हो गयी ......... कुछ समाज विज्ञानियों ने समय रहते ये पहचान लिया था की ये कौम नष्ट हो जायेगी ....... इसलिए इन्होने इनके संरक्षण के प्रयास शुरू किये.......... सबसे पहले तो इनको endangered species में रखा ......... इनके पंजे गिने गए ....... इनको सरकारी खुराक पे पालना शुरू किया ......इनके लिए JNU जैसे अभयारण्य बनाए ..........अभयारण्य बोले तो sanctuary ......जहां ये निश्चिन्त हो के चर खा सकें ......... सरकार ने भी ये बेवस्था की की इनकी सुरक्षा हो ....सुरक्षा बोले तो इनको मार के कोई खाल न उतार ले .....यानि कोई इनको पटक के मारने न पाए ........
जो गिनती के कौम नष्ट बचे थे उन्हें महत्वपूर्ण पदों पे बैठाया ...मसलन इतिहासकार......... पत्रकार ........कलाकार ........ फिल्मकार .....कहने का मतलब ऐसे पदों पे बैठाया जहां ये कार नामे कर सकें .......... सरकारी संरक्षण के परिणाम जल्दी ही दिखने लगे और ये खा खा के मोटा गए ......और इनके पिछवाड़े यानी posterior cavity के इर्द गिर्द चर्बी की मोटी परत जम गयी .......... दुनिया भर में रिसर्च हुई की ये प्रजाति आखिर लुप्त क्यों हो रही है .....पाया गया की इनके DNA में ही दोष है ........
समाज में भी धीरे धीरे इनको ले के जागरूकता आई .......... लोग इनको watch करने लगे ....... नज़र रखने लगे .....क्या खाते हैं ....कहाँ रहते हैं ......इनको खुराक कहाँ से मिलती है ...... आदतें क्या हैं ....... किस खुराक से जल्दी मोटाते हैं .......
मैंने भी एक कौमनष्ट के गले में collar पहनाया है .......आजकल उसका सिग्नल उधर hongkong और नेपाल के जंगलों से मिल रहा है ........ उसके पीछे कैमरा लगा दिया है ....... सारा दिन हुआँ हुआँ करता है ...... उसकी हुआँ हुआँ पे एक साथ बहुत से शांति दूत कू कू भौ भौ करते हैं ........ इधर देखा गया है की उसकी हर आवाज़ पे शांति के पुजारी ज़्यादा बोलते हैं .......
मेरा कैमरा लगा है पीछे ....उसपे कड़ी नज़र है ....... सारी रिपोर्ट देता रहूँगा .....आप लोग भी नज़र रखिये ...........
क्रमशः ...............




कौमनष्ट watch .........
जिस कौमनष्ट को हमने पट्टा पहनाया था , वो घूमता चरता उधर पकिस्तान बॉर्डर पे चला गया .... वहाँ बड़ा धूम धडाका था ...धांय धांय थी ........ कौम नष्ट धूम धडाके में पतला गोबर छेरने लगता है ....... कौम नष्ट मोदी जी मोदी जी करता भगा जो बॉर्डर से ....छिपने की जगह न मिली ........ मोदी जी के 56 साइज़ छाती के पीछे छिपने के जगह खोजता रहा बेचारा .........
कौमनष्ट बोला मोदी जी ...... बॉर्डर पार के लिए 56 इंच की छाती नहीं 57 MM की तोप चाहिए ...... मोदी बोले .....बेटा कौमनष्ट ..... तोप हथियार सब है ....... और सुनो हमारा हथियार की लम्बाई mm में नहीं इंच में है ....... और सुनो कौमनष्ट .......हथियार सबके पास होते हैं .......पर मारने के लिए कलेजा चाहिए बेटा छाती में ............समझे ? बोलो तो निकालूँ ? बिना तेल लगाए मारूंगा .......
और मोदी ने निकाला जो हथियार ......तो कौमनष्ट चला भाग ....... कौमनष्ट भगा तो जा के रुका hongkong .....उधर पकिस्तान भगा तो सुना है की UN गया है ........ दोनों पतला गोबर छेर रहे हैं ....

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