Saturday, September 27, 2014


22 अगस्त ....... चार बाग़ लखनऊ का अंधा भिखारी ......

वो वहाँ लखनऊ के चारबाग स्टेशन के मेन हॉल में खडा था । तभी एक बुज़ुर्ग उसके बगल से निकले । संभ्रांत ....... well dressed ....... वो उसे देख के ठिठके । दो कदम वापस लौटे । मैं भी रुक गया । उन्होंने जेब से सिक्का निकाला और उसके हाथ में थमा दिया । और चल दिए । पहले तो उसकी समझ में ही न आया ।
क्या ? ये क्या है ?
मैंने कहा , पैसा ........
पैसा ? उसे कुछ क्षण लगे ये समझने में की कोई उसके हाथ में पैसे थमा के चला गया । सिर्फ क्षण भर के लिए वो सकुचाया । फिर उसने वो मुट्ठी भीच ली । मैं सामने खडा देख रहा था । मैंने कहा वो तुम्हे भीख दे गया ।
इतना सुनते ही वो प्रतिकार की मुद्रा में आ गया । उसने मुट्ठी और कस के भीच ली । फिर वो पैसे जेब में डाल लिए ।
पूरा घटनाक्रम मात्र दस सेकंड में ख़त्म हो गया ।

वो बुजुर्ग आगे निकल गए थे । मैंने उन्हें जा पकड़ा ।
He was not a begger . उन्हें कुछ समझ नहीं आया । मैंने उन्हें याद दिलाया ......अभी आप जिसे वो सिक्का दे के आये है ..... वो भिखारी नहीं था ।
but he was blind .
इस से क्या फर्क पड़ता है । वो अंधा ज़रूर था ,पर भिखारी नहीं था ।
But we should help blind people .

But you did not help him . you made him a begger . उस दो रु के सिक्के ने उसे भिखारी बना दिया । आपने उसे भिखारी बना दिया । बुज़ुर्ग अड़ गए । बहस की मुद्रा में आ गए ।
मैंने उन्हें सिर्फ इतना कहा .......काश आपने उसकी भिची हुई मुट्ठी देखी होती ।
आपने उसे भिखारी बना दिया ।



चारबाग स्टेशन पे खड़े अंधे के भिखारी बनने के बाद ......2

पूर्वांचल में जवान लड़के का बाप होने का भी अलग ही मज़ा है । लड़का 6 फुटा , सजीला जवान हो , smart सुन्दर ......ऊपर से सफल और employed ......वो भी पक्की सरकारी नौकरी ...... तब तो कहना ही क्या ......
लड़के के बाप को कुछ सलीम खान ( सलमान खान के बाप , सलीम जावेद वाले सलीम ) टाइप फीलिंग आती है । ऐसे में जब लड़के का बाप साल में सिर्फ एक बार सिर्फ हफ्ते भर के लिए उपलब्ध हो तो .....
दिग्विजय सिंह की शादी के लिए लोग चले ही रहते हैं । आते हैं तो सिर्फ और सिर्फ एक बात कहते हैं । दहेज़ ........ blank cheque ले के आते हैं । पहले तो मैं उन्हें ऊपर से नीचे तक देखता हूँ । फिर पूछता हूँ ......अबे किस बिल में हाथ डाल रहे हो ? अबे इसका बाप इस से ज़्यादा स्मार्ट था बे ...... इस से ज़्यादा बड़ी ,सरकारी नौकरी करता था । अबे वो नहीं बिका यार ...... ये क्या बिकगा । वो चेक में एक zero और बढ़ा देते हैं । फिर मैं उन्हें पूरे 3 घंटे का lecture पिलाता हूँ ।पूरी genetic engineering और sociology पढ़ाता हूँ ।

लड़की का बाप फिर भी नहीं समझता । सारी बातचीत में उसका ध्यान सिर्फ और सिर्फ cheque पे लगे zero पे होता है ।

मैं रोज़ देखता हूँ ......लोग उस चेक को पकड़ के मुट्ठी भीच लेते हैं ।

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