Thursday, September 25, 2014


मेरे एक मित्र हैं . हम साथ पढ़े हैं पटियाला में . उनकी एक बहुत छोटी सी यूनिट हुआ करती थी मंडी गोबिंद गढ़ पंजाब में . सड़क के किनारे , GT road पे . 5 साल पहले उन्होंने अपना यूनिट बेच दिया और रायपुर शिफ्ट हो गए . उनका यूनिट बमुश्किल 1000 गज के प्लाट में था , उसे बेच कर उन्होंने वहाँ 5 acre में बहुत बड़ी मिल लगाई है . काम वही करते हैं . rolling मिल चलाते हैं . अर्थात लोहे को पिघला के उस से सरिया , एंगल , पटरी इत्यादि बनाते हैं ...... बताने लगे की उनकी industry का सारा कच्चा माल यानी लोहा और कोयला वहीं से आता है .....ज़मीन बेहद सस्ती है ....... जितने में 1000 गज बेचा उतने में वहाँ 5 acre खरीदा ........ सरकार ने लाल कारपेट बिछा के बुलाया और इज्ज़त से बसाया .....लोन दिया .......... आज एक शानदार फैक्ट्री के मालिक हैं ....... पंजाब से एक उद्योग उठ कर छत्तीस गढ़ चला गया .
पंजाब की बादल सरकार कहती है की पंजाब के पास समुद्र , बंदरगाह , shipping और प्रचुर सस्ती ज़मीन और कच्चा माल कोयला खनिज का नज़दीक न होना एक बहुत बड़ा drawback है .........
सौभाग्य से उत्तर प्रदेश और बिहार के पास सबकुछ है ......... समुद्र न सही गंगा जी हैं ....... नदियों का जाल बिछा है ...........वहाँ आराम से छोटे ship चल सकते हैं . बगल में कोयला है , खनिज है , manpower है जिसे वो बड़ी आसानी से प्रशिक्षित कर सकते हैं ......... इफरात ज़मीन है सस्ती ......यानि उद्योग लगाने के लिए एक perfect माहौल ............. पर उत्तरप्रदेश के गांधीवादी , समाजवादी , नेहरूवादी , अम्बेडकरवादी और हिन्दू वादी सब छाती ठोक के कहते हैं .......नहीं चाहिए उद्योग ........ नहीं चलने देंगे गंगा जी में ship .......... अपनी ज़मीन किसी कीमत पे नहीं देंगे ........... किसान अपनी ज़मीन नहीं देंगे ..........
मत दो भैया ....... मत दो ज़मीन उद्योग के लिए ......... मत चलने दो ship गंगा जी में ...... लोगबाग बड़े बड़े बंदरगाह बना के और बड़े बड़े industrial पार्क बना के तैयार बैठे हैं ...........

No comments:

Post a Comment