कहावत है । जब तक धरती पे चूतिये हैं , चालाक कभी भूखे नहीं मरेंगे ।
आज से कोई बीस साल पहले एक आदमी बंगाल से मूर्ति बनाना सीख के यहाँ सैदपुर आ गया था । उन दिनों साल में सिर्फ एक त्यौहार मिलता था उसे । दुर्गा पूजा का । उसमे दो तीन महीना व्यस्त रहता था । फिर उसने देस के आवारा लौंडों को समझाया । अबे सरस्वती पूजा भी मनाया करो । तो भैया धीरे धीरे वसंत पंचमी पे भी हर गाँव चट्टी पे सरस्वती जी की मूर्ती बैठने लगी । फिर मुबई से सीख के आये सब गणपति बप्पा मोरिया ......लो भैया ...... अब गाँव गाँव गणपति पूजन भी होने लगा । पहले मूर्ति बैठेगी फिर अगले दिन भसान होगा .....
लीजिये अब एक नया आइटम जुड़ गया है इसमें । कल जन्माष्टमी थी । आज देखा की देस के आवारा लौंडे गुलाल पोत के चेहरे पे ......ट्रेक्टर पे मूर्ति लादे .......खूब जोर से गाना बजाते हुए नाचते हुए जा रहे हैं भसान करने .....
वो दिन दूर नहीं है जब राम नौमी और हनुमत जयंती पे भी यही आडम्बर होगा ।
आज से कोई बीस साल पहले एक आदमी बंगाल से मूर्ति बनाना सीख के यहाँ सैदपुर आ गया था । उन दिनों साल में सिर्फ एक त्यौहार मिलता था उसे । दुर्गा पूजा का । उसमे दो तीन महीना व्यस्त रहता था । फिर उसने देस के आवारा लौंडों को समझाया । अबे सरस्वती पूजा भी मनाया करो । तो भैया धीरे धीरे वसंत पंचमी पे भी हर गाँव चट्टी पे सरस्वती जी की मूर्ती बैठने लगी । फिर मुबई से सीख के आये सब गणपति बप्पा मोरिया ......लो भैया ...... अब गाँव गाँव गणपति पूजन भी होने लगा । पहले मूर्ति बैठेगी फिर अगले दिन भसान होगा .....
लीजिये अब एक नया आइटम जुड़ गया है इसमें । कल जन्माष्टमी थी । आज देखा की देस के आवारा लौंडे गुलाल पोत के चेहरे पे ......ट्रेक्टर पे मूर्ति लादे .......खूब जोर से गाना बजाते हुए नाचते हुए जा रहे हैं भसान करने .....
वो दिन दूर नहीं है जब राम नौमी और हनुमत जयंती पे भी यही आडम्बर होगा ।
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