Sunday, August 10, 2014

10 august 2014 

साइबेरिया की जान लेवा सर्दी में जब वहाँ जीवन असंभव हो जाता है , तो पंछी सुहाने मौसम की खोज में यहाँ हिन्दुस्तान चले आते हैं ........ 3500 मील का सफ़र .......यहाँ अंडे देते हैं , उनसे बच्चे निकलते हैं और अगले दो महीने में वो बच्चे उड़ना सीखते हैं ........ एक एक दिन कीमती होता है ....... क्योंकि सामने हिन्दुस्तान की जानलेवा गर्मी मुह बाए चली आती है .......... और फिर वापसी का सफ़र शुरू होता है ......... 3500 मील का लंबा , जानलेवा सफ़र , बिना रुके .............और उस सफ़र में झुण्ड के आगे आगे उड़ता है वो बच्चा , जो अभी कल ही तो जन्मा था ......... जिसने बमुश्किल उड़ना सीखा है अभी ........ पर वो झुण्ड का नेतृत्व करता है .........

कारगिल के युद्ध में दुश्मन वहाँ पहाड़ की ऊंचाइयों पे कब्जा कर के , बंकर बना के बैठा था ....... हिन्दुस्तानी फ़ौज की छोटी छोटी टुकड़ियां 6-12 आदमी की टीम बना के उन दुर्गम पहाड़ियों पे चढ़ती थी ......... छुप छुपा के , बच बचा के ....... उस टुकड़ी में एक अफसर , एक या दो JCO और 4-6 -10 सिपाही होते थे ........ सिपाहियों की उम्र आम तौर पे 20 से ले के 35 बरस होती है ........ JCO भी 30-35 का अनुभवी फौजी होता है ........ पर उस टुकड़ी की कमान एक जवान अफसर के हाथ में होती है ............ बमुश्किल 22-24 साल के एक लौंडे के हाथ में , जो आम तौर पे Lieutenant या Captain होता है ......... बिलकुल नया ........ कारगिल युद्ध में बहुत से लड़के तो ऐसे थे जो IMA से सीधे युद्ध भूमि में भेज दिए गए थे .......

कल जो टुकड़ी लड़ने आयी थी उसमे 12 आये थे लडने ......12 के 12 शहीद हो गए ......... उनकी लाशें तक अभी तक नहीं उठायी जा सकी हैं ....वहीं पडी हैं ...... युद्ध भूमि में ....... और ये 12 अब और जा रहे हैं .......... लड़ने ....... सामने से LMG का Burst आ रहा है ......... साक्षात् मौत सामने खड़ी है ........ ऐसे में वो 22 साल का लौंडा सबसे आगे चलता है ........ सबको निर्देश देता है ...... रणनीति बनाता है ........ सबका हौसला बढाता है ......... और जब ज़रुरत पड़ती है ......तो सबसे पहले सीने पे गोली खाता है ....... सबसे पहले शहीद होता है ....... इसे कहते हैं लीडर ......... leader ....... नेता ........ जो नेतृत्व करे .........

लोक सभा में राहुल सबसे पीछे बैठते हैं ......... उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद लेने से मना कर दिया ........ 75 साल के बूढ़े को नेता बना दिया ........ वीकेंड पे यूरोप भाग जाते हैं , छुट्टी मनाने ..........पिछले दस साल , बतौर सांसद , न कभी कुछ ख़ास बोले , न कोई प्रश्न किया , न संसद में नियमित आये ......... कांग्रेस का दुर्भाग्य है की वो उनके नेता हैं ........... युद्ध आसन्न है .......सेनायें सज रही हैं ........हरियाणा और महाराष्ट्र की युद्ध भूमि पुकार रही है ..........

योद्धा संसद की पिछली सीट पे बैठ के सो रहा है ......... कांग्रेस को एक नेता की सख्त ज़रूरत है ........जो आगे खडा हो के लड़ सके .........

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