Saturday, August 9, 2014

कल शाम prem भैया से मिलने गया ........अरे वही ....अपने prem prakash जी .......राजघाट वाले .......... बाहर ही मिल गए ........ सफ़ेद सलवार और पठानी सूट पहने ..........sir पे जालीदार तुर्की टोपी ......... गले में हरी शाल ......... आँखों में सुरमा .........इतर कन्नौजिया लगाए ............ देखते ही तपाक से बोले .....अस्सलाम वाले कुम ...... अजित भाई ........ मैंने ऊपर से नीचे तक देखा ............ अबे ये क्या हुलिया बना रखा है भाई ........ अगल बगल देखा ......... लड़का film maker है .....कहीं कोई शूटिंग वूटिंग तो नहीं चल रही ........क्या पता कोई रोल कर रहे हों .......पर ऐसा कुछ नज़र तो नहीं आया .......... न कैमरा .....न एक्शन ....न लाइट न साउंड ............ मामला क्या है भाई ......... क्या ? कहाँ ? कैसे ? कब ? बड़े prem से मेरा हाथ पकड़ लिया , बोले , चलो ज़रा मियाँ टोला चलना है ....... दो मिनट का काम है .......निपटा आते हैं ....फिर बैठ के चाय पियेंगे ....... और लिए चले मुझे .....घसीटते .........मैंने कहा , अमाँ थोड़ा धीरे चल लो यार ........ पर उनका उत्साह थमता ही न था ......... चाल ऐसी मानो किसी स्वयंवर में माला डलवानी हो .......... लेट हो गए तो चूक न जाएँ ..........

जुम्मन मियाँ के घर पहुंचे ......... और गली के कोने से ही छाती पीट पीट के लगे रोने .............. हाय हाय ........ मैं डर गया ........ अब ये कमबखत जुम्मन मियाँ को क्या हो गया .....सुबह तो अच्छे खासे थे ........ हमारे यहाँ शतरंज की बाजी लगा के गए .......क्या यूँ दिन दहाड़े ही टपक गए ? दो हज़ार रूपये लेने थे उनसे ........ prem भैया पुक्का फार के रो रहे थे .......भोकर भोकर के रो रहे थे ........... पठानी सूट आंसुओं से भीग गया था ......... छाती पीट रहे थे ........ वहीं दरवाजे पे बैठ गए ........ और लगे ......... जुम्मन मियाँ ....हाय जुम्मन मियाँ कह के विलाप करने ......... शोर सुनके घर के अन्दर हलचल मची .......देखता हूँ की अन्दर से जुम्मन मियाँ और अपनी भाभी जान घबराए से बाहर आये ......... अमाँ क्या हुआ ......... अबे पंडित .....कौन मर गया ? मेरी तरफ प्रश्नवाचक निगाहों से देखा ......... prem भैया थे की अब भी दहाड़ें मार के रोये चले जा रहे थे ........ जुम्मन मियाँ मुझे साइड में ले गए ........ बोले क्या हुआ पहलवान ? कौन मर गया ........ मैंने कहा , अबे हम तो समझते थे की साले तुम्ही टपक गए ........ पर माजरा क्या है ?

जुम्मन मियाँ वहीं दरवाजे पे बैठ गए .....ढांढस बधाया ......भाभी जी सुराही में पानी ले आयीं ........मुह धुलाया ......... prem भैया कुछ शांत हुए ....... हिचकियाँ थमी तो कुछ बोलने बतियाने लायक हुए .......... prem भैया ने पूछा , अब ठीक तो हो ? जुम्मन मियाँ फिर परेशान .........

अबे हमें क्या हुआ ?

नहीं सुना था की नाखून कट गया था ..........

अरे वो तो तुम्हारी भाभी जी हमारे नाखून काट रही थी ......नहन्नी बहक गयी ....... नाखून थोड़ा गहरा कट गया ......... prem भैया ने हाथ आगे बढ़ा जुम्मन मियाँ का हाथ थाम लिया ......और लगे चूमने ...........

किसी डॉक्टर को दिखाया ? BHU में एक डॉक्टर मेरे परिचित हैं ......चलो उनको दिखा लेते हैं ....... सर्जिकल वार्ड में bed भी मिल जाएगा ..........

prem भैया का प्रेम देख जुम्मन मियाँ भी भाव विह्वल हो गए .......आँखें भर आई ..........गले लगा लिया prem भैया को ........ दोनों की अश्रुधारा फिर बह निकली ......... दोनों मित्र गले लग कर बहुत देर तक रोते रहे .........

secularism की इस गंगा यमुना के संगम का विहंगम दृश्य मैं दूर खडा बहुत देर तक देखता रहा ..........

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