Saturday, August 9, 2014

कोई ज़माना था जब जीवन पूरी तरह गाय पे ही आधारित था । भारत एक agrarian society थी । गाय से ही जीवन था । बैलों से ही खेती थी । खाद, जुताई, बुवाई, ढुलाई, thrashing, कोल्हू , रहट से सिचाई , आना जाना बैल गाड़ी से ...... पूरा व्यापार बैलगाड़ी से । कलकत्ते से पेशावर तक बैलगाड़ियों के काफिले चला करते थे । लोग कुम्भ नहाने चले जाते थे बैल गाड़ियों पे । गाय और बैल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती थी । और ये सिलसिला हज़ारों हज़ार साल चला । वैदिक काल से लेकर हाल तक......... 1965 - 70 तक . उस ज़माने में गाय ही जीवन का आधार था . गो रक्षा जीवन का मन्त्र था .

पर पिछले 50 सालों में अचानक सबकुछ बदल गया .....सब कुछ ......... गाय की सिर्फ और सिर्फ एक उपयोगिता रह गयी......... दूध ....... इसके अलावा हर वो काम जो बैल करते थे वो मशीनें करने लगी ........ जुताई,बुवाई ,ढुलाई, थ्रेशिंग, सिचाई ,ट्रांसपोर्टेशन , यहाँ तक की खाद भी ........ कोल्हू, चक्की, गन्ना पेरने वाली मशीन ......... हर वो काम जो बैल करते थे मशीन करने लगी ......... बैल अचानक बेकाम हो गए .... obsolete....... जैसे कभी typewriter हुआ करते थे ........

1947 में भारत की आबादी 33 करोड़ थी और फिर भी देश भूखा मरता था .......... आज उसी देश में 130 करोड़ लोग रहते हैं फिर भी गेहूं चावल रखने की जगह नहीं है ........... ये सब शायद आधुनिक कृषि के कारण हुआ जिसमें बैलों के लिए कोई जगह नहीं .......... वो बैल जिसके लिए किसान हाल तक , 1975 -80 तक जान देता था, आज वो गायब हैं ........ कहाँ गए वो बैल ...... डब्बे में बंद हो के सऊदी अरबिया चले गए ........ और सिर्फ बैल ही गायब नहीं हुए ....हर वो चीज़ जिसकी उपयोगिता ख़त्म हो जाती है गायब हो जाती है ......... ऐसी सैकड़ों हज़ारों चीज़ें हैं जो पिछले 50 बरस में हमारे जीवन से गायब हुई ......... यही प्रकृति का नियम है .......

बैल समय से हार गए हैं ........ अब ये भारत को निर्णय करना है की वो अपने बैलों का क्या करेगा ........ पिछले तीस साल से हमारे बैल चोरी छिपे स्लॉटर हाउस पहुँचते रहे हैं ....... हर साल लगभग 7 -8 करोड़ बैल, बछड़े, बूढ़ी गायें slaughter हाउस जाते हैं ...... मोदी सरकार के ऊपर ये दबाव है की वो गो ह्त्या पे पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दे ....... पूर्ण प्रतिबन्ध माने देश के किसी भी कोने में गोधन .......यानि गाल या बैल के वध पे मनाही और सज़ा का प्रावधान .......... यदि सरकार ऐसा कर देती है तो हर साल देश में 7-8 करोड़ गोधन बचेगा ........ उस गोधन का क्या उपयोग होगा ? वो कहाँ रहेगा , क्या खायेगा ? उसकी क्या उपयोगिता होगी ? उसे कौन सम्हालेगा ? हर साल 7-8 करोड़ माने अगले दस साल में 70-80 करोड़ .......गाय बैल की उम्र 20-25 बरस भी होती है.....स्लॉटर यदि रोक दिया जाएगा तो natural death से सिर्फ बूढ़े पशु मरेंगे ....जवान पशु तो अगले 20 साल जीवित रहेगा ...इसलिए अगले बीस साल में कितनी संख्या हो जायेगी ....अंदाजा लगा लीजिये .......... ..........इतने गोधन को खिलाने पिलाने का सालाना खर्च कितना आयेगा ...वो खर्चा हम यानि हिन्दुस्तान करेगा या china ?

भारत देश को गो ह्त्या पे पूर्ण प्रतिबन्ध लगाने से पहले इन सभी प्रश्नों पे विचार कर लेना चाहिए . ........... मुद्दा सिर्फ भावनात्मक नहीं है .....देश की पूरी economics से जुदा है .......ये मुद्दा हमारी अग्ररियन इकॉनमी को बहुत बहुत ज़्यादा प्रभावित करने वाला मुद्दा है ........

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