Saturday, August 9, 2014

पंजाब में खुला दूध 50 रु लीटर बिक रहा है ....... अमूल का पैकेट 500 ml का , उसका प्रिंट 23 रु है पर बिकता 25 का है ....... दूधिये सफ़ेद पानी 35 रु लीटर देते हैं ...... सूना है की भारत में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता मात्र 135 ml है ....... आज आम आदमी के लिए दूध सबसे बड़ी luxury है .........मेरा विश्वास है की 75% हिन्दुस्तानी को दूध देखने को भी नसीब नहीं होता ......... आज dairy farming की जो स्थिति है देश में , उस से तो देश के सभी बच्चों को दूध पिलाया नहीं जा सकता . यही स्थिति रही तो आने वाले समय में दूध 100-150 रु लीटर बिकेगा . आज देश में जो दुग्ध उत्पादन होता है उसका एक बड़ा हिस्सा उन किसानों से आता है जो एक दो गाय या भैंस पालते हैं ............ मेरा गृह जिला गाजीपुर दुग्ध उत्पादन के लिए जाना जाता है ........ वहाँ स्थिति ये है की पूरे जिसे में बमुश्किल 2-4 बड़े डेरी फार्म हैं . बकिया सब वही 2-4 गाय वाले हैं ........पिछले 25 साल में जितने भी उद्यमियों ने डेरी फार्म खोले सब सालभर के अन्दर बंद हो गए ....... बड़े बड़े धन्ना सेठों के फार्म भी बंद हुए ........गाँव में तो बमुश्किल ही आपको कोई फार्म मिलेगा जिसमे 8-10 पशु हैं ...... हाँ शहर के नज़दीक ज़रूर मिल जायेंगे .........कारण क्या है ?

कारण यही है की डेरी फार्मिंग एक धंदा है ....एक business है ......हर धंदे की एक equation होती है ....... कल्पना कीजिये की एक फैक्ट्री जितना माल बनाती है उसका आधा कूड़े दान में फेंक देती है ....... क्या वो कभी प्रॉफिट में आएगी ......और जो फैक्ट्री प्रॉफिट नहीं देगी वो कितने दिन चलेगी ........ हिन्दुस्तान की dairy industry ज़्यादा नहीं तो ३३ % माल तो नाली में फेकती ही है ......... देश में एक बहुत बड़ी lobby है .....गोरक्षा lobby , जो अपनी धार्मिक जहालत के कारण डेरी फार्मिंग को खा रही है . ये lobby आज भी उसी युग में जी रही है जब कृष्ण जी हुआ करते थे ..........ब्रज भूमि में नन्द के पास लाखों गउएँ हुआ करती थीं .......ब्रज का शाब्दिक अर्थ है वह प्रदेश जहां गायें चरती थी ....यह एक विशाल चरागाह था ............बहुत बड़ा जंगल हुआ करता था जिसमे वो चरती थी ......... शाम को जब लौटती जो धूल उडती थी उस बेला को गोधूली बेला कहते थे ..........गोरक्षा वाले आज भी उसी युग में जीते हैं ........अरे भैया अब न कृष्ण जी रहे न ब्रज भूमि , न चारागाह और न बैल ......... बैल तो छोडिये , अब तो सांड भी न रहे .....अब तो BAIF है जो आ के semen चढ़ा जाता है ........ आज से कुछ साल पहले तक एक व्यवस्था थी जिसमे कुछ चरवाहे गाँव भर के पशु , ख़ास कर गायें और बछड़े ले लेते थे और सारा दिन घूम के चराते थे ......अब वो भी ख़तम हो गए क्योंकि गाँव भर में ऐसा कोई स्थान ही नहीं जहां वो चर सकें ............

commercial dairy farming में गाय के दो products हैं ......दूध , meat और नयी गायें ( बछियाँ ) इस industry को आधा revenue milk से आता है और आधा meat से ......... देश के ज़्यादातर हिस्सों में गोहत्या प्रतिबंधित होने के कारण meat से मिलने वाला revenue ख़तम हो जाता है .....किसान इस नुक्सान की भरपाई दूध का दाम बढ़ा के करना चाहता है ....... नतीजा दूध के बेतहाशा महंगाई ........इस के बावजूद industry घाटे में चली जाती है . गोरक्षा वाले ये तो कहते हैं की गोहत्या मत करो ......पर वो ये नहीं बताते की देश की कुल 20 करोड़ गोवंश जिसमे 10 करोड़ बैल बछड़े है और लगभग 3 करोड़ बूढ़ी गायें हैं उनका क्या करें ........अरे भैया नदी पे बाँध बनाने से पहले उसके पानी के निस्तारण distribution के लिए नहरें खोदनी पड़ती हैं ......... गोरक्षा lobby कहती है की बाँध बना दो .....भैया रुका हुआ पानी क्या होगा .......... इस पे वो गाली गलौच पे उतर आते हैं ........... मज़े की बात ये है की ये जितने गो रक्षा वाले हैं , इनमे से कोई भी खुद गाय नहीं पालता ........ सिर्फ गाय का फोटो पूजता है ......... जो सचमुच गाय पालता है वो अपना बछडा 300 रु में कसाई को बेच देता है .........आज से सिर्फ 30-35 साल पहले गाँव में हर घर में 2-4 बैल हुआ करते थे . आज दस गाँव घूम आइये आपको एक बैल नहीं मिलेगा .....क्या हुए ? कहाँ गए सब बैल ? गोरक्षा lobby इस सवाल का जवाब ढूँढने की कोई कोशिश नहीं करती .........

देश में जो राजनीति चल रही है वो तो बदलने से रही ........ मोदी के आने से गोरक्षा lobby और ज़्यादा मजबूत हुई है ......... इसका खामियाजा milk industry को भुगतना पड़ता है ........और अंततः देश के बच्चों को , नागरिकों को ......जो दूध की एक बूँद के लिए तरसते हैं ........ किसान का जो नुक्सान है और कुल मिला के एक industry के तौर पे कृषि का जो नुक्सान है उसकी तो बात ही छोड़ दीजिये ............

भारत देश में आम आदमी और दुधमुहे बच्चों को दूध की आस छोड़ देनी चाहिए ......... आने वाले समय में ये 150-200 रु लीटर बिकेगा ...........

वो विडियो फेसबुक पे किसी ने पोस्ट किया था ।चारों तरफ लाशें बिखरी हुई थी । मुझे लगा की वो मर चुका है । फिर उन्होंने वो लंबा छुरा निकाला और कलमा पढ़ा । और तब उसने अपनी आँखें खोली । हे भगवान् ......ये तो ज़िंदा है ........ और उसकी गर्दन रेत दी । मुझसे देखा न गया और मैंने laptop की स्क्रीन पे हाथ रख दिया । मरने वाला भी मुसलमान था और मारने वाले भी मुसलमान । और ऐसे हज़ारों विडियो viral हुए पड़े थे facebook पे । किसी मुसलमान को , किसी secular को और किसी मीडिया वाले को आक्रोशित होते , लानत देते नहीं देखा मैंने ......यूँ मानो सांप सूंघ गया हो सबको ।

आज दिल को बड़ी तसल्ली हुई । एक रोज़ेदार के मुह से रोटी छुआ दी । हिन्दुस्तान गुस्से से उबल रहा है । निंदा प्रस्ताव पारित हो रहे हैं । बड़े खैर ख्वाह है मुसलमानों के ...... बड़ी चिंता करते हैं ....

बड़ा गन्दा आदमी है वो शिव सेना वाला । रोज़ेदार के मुह से रोटी छुआ दी । इस से अच्छा तो गर्दन रेत देता ।




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