Saturday, August 9, 2014

पिछले कई दिन से मैंने गोरक्षा के विषय पे एक गरमा गर्म बहस छेड़ रखी है .......उसपे जो रिएक्शन आया है उस से मेरी आँखें खुल गयी हैं .....और मुझे सचमुच ये लगा की भारत देश में अधिकाँश हिन्दू जनता वाकई गाय से भावनात्मक रूप से जुडी हुई है .........लोग पूछते हैं की समस्या का हल क्या है ?

मुझे एक हल ये समझ आया की सभी गो भक्त अपनी अपनी सामर्थ्यानुसार यदि एक एक गाय के भरण पोषण का खर्च उठा लें तो तो गाय को बचाया जा सकता है ............

प्रधान मंत्री जी को एक कोष की स्थापना करनी चाहिए और उसमे सभी गो भक्त अपनी सामर्थ्यानुसार दान दें ...और एक एक गाय को गोद लें .......जो कम सामर्थ्यवान हैं वो दो या तीन लोग मिल के एक गाय को गोद लें .........जिस किसान के पास बूढी गाय होगी वो उस कोष से सहायता प्राप्त कर उस गाय को पाल लेगा ........

यकीन मानिए कोई किसान अपनी गाय किसी कसाई को नहीं देना चाहता ........... मैंने ये दृश्य एक बार नहीं हज़ार बार देखा है जब कोई गाय किसी खूंटे से जाती है तो रुक रुक के बार बार मुड़ मुड़ के पीछे देखती है ....और लोगों को फूट फूट के रोते हुए भी देखा है .........मुझे याद हैं .......कम से कम दस बैल मरे होंगे हमारे दरवाज़े पे .....बिलकुल वृद्ध हो कर ....पर वो, वो ज़माना था जब हमारी संयुक्त परिवार में २५ बीघे की खेती थी .....आज तीसरी पीढी में एक लड़के के हिस्से में एक बीघा खेत है ........ उसके खुद के खाने का ठिकाना नहीं है , वो क्या गाय को खिलाएगा और क्या खुद खायेगा ..........

सारे गोभाक्तों के सम्मिलित प्रयास से ही गोधन को बचाया जा सकता है ......... प्रधान मंत्री जी को एक petition file की जाए .........सभी गो भक्त उसे sign करें ...और एक गोरक्षा कोष की स्थापना हो ........

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