Saturday, August 9, 2014

मेरे एक दोस्त हैं . उत्तराखंड में रहते हैं . संपन्न आदमी हैं . उनका छोटा भाई है . अमीर जादा है ........ 2000 रु की शर्ट पहनता है . ब्रांडेड . उसने ज़िन्दगी का एक नियम बना रखा है . एक शर्ट जीवन में सिर्फ एक बार ही पहनता है . एक दिन मेरे हत्थे चढ़ गया . मैंने उसे समझाया . बड़े ही घटिया इंसान हो यार . इतने दरिद्र हो ? अबे साले एक ही सोफे पे रोज़ बैठते हो ? ऐसा नियम बनाओ की एक सोफे पे जीवन में एक बार ही बैठूँगा . एक थाली में एक बार ही खाउंगा . एक कमरे में जीवन में एक बार ही सोउंगा ......... अबे रईस बनते हो तो कायदे से बनो ........ ये सिर्फ शर्ट में ही रईसी दिखाते हो ?

वैसे ऐसे जाहिल मर्द बहुत कम ही होते हैं ........ लाखों में कोई एक .......पर जहां तक मैं समझता हूँ ...ऐसी जाहिल औरतों की संख्या बहुत बहुत ज़्यादा है .......... जिनको मैं जानता हूँ उनमे हर दूसरी औरत इतनी ही जाहिल है . जो कपडा किसी फंक्शन में एक बार पहन लिया अगर उसे दुबारा पहन लिया तो बेचारियों की नाक कट जाती है ....इज्ज़त का फलूदा हो जाता है .......हाय लोग क्या कहेंगे .....एक ही ड्रेस को दो बार पहनती है .....पिछले साल अपनी ननद की शादी में भी इसने यही सूट पहना था ......... हे ईश्वर ! किसी बेचारी औरत को ये दिन देखना न पड़ जाए ......... इस से ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है की एक कपडा दो बार पहना जाए ........... जाहिल नवधनाढ्य लोगों का ये नया फंडा है ....दुर्भाग्य ये है की यही जाहिल समाज के रोल मॉडल बने हुए हैं ......... जो जाहिल नवधनाढ्य करते हैं वो समाज के लिए अनुकरणीय है ....... बहुत बड़ा घर ....चाहे पूरे घर में रहने वाले कुल अढाई आदमी ही हों ...... बहुत बड़ी गाडी ...... घर में 24 AC ........ ये parameters हो गए हैं ......... मुकेश अम्बानी जैसे 27 मंजिले घरों में रह रहे हैं ....... समाज के रोल मॉडल हैं ...........

जिस समाज में उपभोग .....और सिर्फ और सिर्फ उपभोग ही एक मात्र जीवन दर्शन बन जाए उसमे सादगी , शिष्टाचार , पर्यावरण , परम्परा , धर्म , सदाचार ......ऐसे शब्द बेमानी हो जाते हैं ........ prem prakash जी हमेशा गांधी की दुहाई देते हैं ........... अनियंत्रित विकास का रोना रोते हैं ........ बाजारीकरण और शहरी करण की आलोचना करते हैं ........ प्रकृति की और लौटने की बात करते हैं ........ दूसरी तरफ बाज़ार है ...... जो सीरियल के माध्यम से हमें ये बता रहा है की औरतों को घर में भी 14000 की साड़ी पहननी चाहिए और हमेशा 3 किलो डिजायनर गहनों से लदे फदे रहना चाहिए ........... girlfriend को और बीवी को diamond की अंगूठी ही गिफ्ट में देनी चाहिए .........चाहे किश्तों में ही क्यों न लेनी पड़े .......... बाज़ार नागरिकों को चरम उपभोग की शिक्षा दे रहा है ........ ऋणं कृत्वा घृतं पिबेत .....यावत् जीवेत सुखं जीवेत ........

चरम उपभोग और live in के ज़माने में सादगी और रूखी सूखी खा कर ठंडा पानी की नसीहत देना आउट ऑफ़ फैशन हो गया है ......... समाज के सामने दो आप्शन हैं ......या तो चरम उपभोग की संस्कृति को त्याग कर पुनः प्राचीन भारतीय जीवन शैली की और मुड़ जाए ........... या फिर चरम उभोग में और गहरे डूब जाए ............ अभी तक जो दिख रहा है उसमे हम चरम उपभोग में ही डूबते नज़र आते हैं ................ चरम उपभोग की इस जीवन शैली में गाय के बछड़े को बचाना असंभव है ......... चरम उभोग की जीवन शैली ही बूढ़ी गाय और बछड़े को slaughter house तक पहुंचा के आती है ............

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