Saturday, August 9, 2014

पुरानी बात है . मैं अपने एक पहलवान दोस्त के साथ कहीं से दंगल लड़ के आ रहा था . अम्बाला स्टेशन से हमें ट्रेन पकडनी थी . पटियाला जाने वाली ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 1A से जाती थी . प्लेटफोर्म सुनसान सा था . तभी एक व्यक्ति वहाँ अपनी बीवी से लड़ पडा . और उसने वहीं हमारे देखते देखते ही उसे 4-6 झापड़ धर दिए . मैंने तुरंत बीच बचाव किया . उसे पकड़ के अलग किया . पतिदेव को समझाया धमकाया .......... पर वो पूरा योद्धा था . हमी से भिड गया . यूँ पहलवानों की इमेज खराब होती है पर वास्तविकता ये है की हम लोग बहुत शांत प्रकृति के होते हैं और जल्दी गुस्सा नहीं आता है ........ और अपने से कमज़ोर आदमी पे तो नहीं ही आता है .....खैर हमने हंस के टाल दिया और उस से ये कहा की तू जितना बड़ा राणा प्रताप है , हमें मालूम है .......रहने दे भाई ........... पर वो कहाँ मानने वाला था .........हमारे हटते ही वो फिर भिड गया अपनी बीवी से ...........और इस बार बाल पकड़ के लगा पीटने ............ और वो बेचारी अबला चुप चाप पिटती रही ...........खैर .....हम फिर कूदे बीच में ........बेचारी औरत को किसी तरह उस आदमखोर के चंगुल से बचाया ........और वही उसी प्लेटफोर्म पे ....... पटक के ....... दे लातन .....दे जूतन .......साले की वहीं रेल बनायी ........ वहीं प्लेटफोर्म पे लंबा लिटा लिया ........

बस फिर क्या था ......... अबला नारी के अन्दर सोयी हुई क्षत्राणी जाग उठी ..........असल भारतीय नारी थी ....... पतिव्रता ....... वो हमारे ऊपर टूट पडी ......खबरदार जो मेरे पति को हाथ लगाया तो ...........ये हमारा आपस का मामला है .......... मेरा पति है ....मारे चाहे प्यार करे .....तुम साले कौन .....गुंडे बदमाश ......... और लगी दुलारने अपने पतिदेव को ........ रुमाल भिगा के लाई ......मुह फूट गया था , वो पोंछा ........और फिर मैंने देखा .......... वो जो प्यार उमड़ा पति पत्नी में .......क्या सेवा भाव था ........ मेरा जो दोस्त था वो एक नंबर का हंसोड़ था ....ये दृश्य देख देख के वो हंस हंस के लोटपोट हुआ जा रहा था .......

अपने मुसलमान भाइयों का भी यही हाल है ........... आपस में चाहे एक दुसरे की गर्दन रेत दें ......... हाथ पीठ के पीछे बाँध के चाहे 1700 को एक लाइन में बैठा के उड़ा दें .........कोई उफ़ तक नहीं करता ........ पर कोई शिवसेना वाला अगर मुह से रोटी भी छुआ दे तो , सारी उम्मत सड़क पे उतर आती है






ये महाराष्ट्र भवन वाली घटना में सारी गलती उस लौंडे की है । बेटा secular कपडे पहनोगे तो ऐसी ही दुर्घटनाएं होंगी । अगर पठानी सूट पहना होता , या चेक वाली लुंगी ....... लम्बी दाढ़ी बिना मूछ के ........ सिर पे जालीदार तुर्की टोपी ...... आँखों में सुरमा .......और इतर कन्नौजिया ........ तो कौन कम्बखत रोटी खिलाता । सेक्युलर pant shirt पहनोगे तो यही होगा ....... किसे पता था रोज़े से हो .........

No comments:

Post a Comment