Saturday, August 9, 2014

शायद चार साल पुरानी बात है ............ बाज़ार में आग लगी हुई थी ........मुझे याद है टमाटर 70 और लहसुन अदरक तक 200 रु किलो बिक रहा था ......कोई सब्जी 40-50 के नीचे न थी ....पर मुर्गा शायद 90 ही था ......... अपनी ज़िन्दगी का एक उसूल है .....जिसका भाव बढ़ जाए उसे लात मार दो .......आदमी हो या कोई चीज़ ........ जिसका भाव ज़रुरत से ज़्यादा हो जाए ...... लतिया दो .....अपने आप ज़मीन पे आ जाएगा ......... घर पे मैं और मेरी बेटी सिर्फ हम दोनों ही थे .......... मैं चिकन ले के घर पहुंचा .......बिटिया बोली , पापा बनेगा कैसे ? घर में तो कुछ है ही नहीं ............. मैंने पूछा क्या नहीं है बेटा ? न प्याज , न लहसुन अदरक , टमाटर ........ मैंने कहा चलो कोई बात नहीं ........

ज़िन्दगी में ये कभी नहीं सोचना चाहिए की क्या नहीं है .....सिर्फ इस पे फोकस करो की क्या है ....

अब ये बताओ क्या क्या है ? क्या क्या है ?
बाकी सब कुछ है .......मसलन घी तेल है , हल्दी , नमक , मिर्च मसाला सब तो है .......... अब मसला ये हुआ की चिकन है , घी तेल है , मिर्च मसाला है ........ यूँ तो सिर्फ इतनी ही चीज़ों से बेहतरीन भोजन बन सकता है पर बेहतर होगा की चिकन की gravy बनाने के लिए कुछ base भी हो ....... सो देखा और पाया की घर में बादाम हैं ......... सो 20-25 बादाम पानी में दो मिनट के लिए उबाले और उन्हें छील के ग्राइंडर में डाल के महीन पेस्ट बना लिया .......... तेल में जीरा डाल के प्याज की जगह वही बादाम डाले , 5 मिनट भूना , हल्दी , मिर्च , मसाला डाला और चिकन डाल के पका दिया ............. बिटिया वहीं बगल में खड़ी देख रही थी ......... वाह पापा ........ dish की शक्लो सूरत तो बड़ी ज़बरदस्त है ............ चलिए अब खा के देखते हैं ......... और जो उसने चखा तो उंगलियाँ चाटती रह गयी ............

पाक कला में नित नए प्रयोग करने चाहिए ........ नए प्रयोगों से ही नयी रेसिपी तैयार होती हैं ........आम तौर पे लोग प्रयोग करने से डरते हैं ....... टीवी पे एक दिन डिज़ाइनर सूट पहने एक एंकर बता रही थी की टमाटर के बिना कोई सब्जी बन ही नहीं सकती ........कोई खाए तो क्या खाए ? पाक कला किसी एक सब्जी की या किसी एक ingredient की मोहताज नहीं है ....... कुछ नया try कीजिये ......... innovate कीजिये .........




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