Sunday, August 10, 2014

10 august 2014

तीन किस्म की औरतें होती हैं जिनके दिल में आग लगी होती है .........

यहाँ पंजाब में लोगों को बिदेस जाने का बड़ा शौक है .........हिन्दुस्तान की सड़कों पे धूल उडती है .......मैं तो बिदेस में रहूँगी ....मेरे लिए कोई इंग्लैंडिया ढूंढ दो .....इस चक्कर में मैंने यहाँ कई लड़कियों को बुढ़ाते देखा है .......... 50 बरस की हो गयी हैं मोहतरमा .....अब भी इसी आस में बैठी हैं की घोड़े पे बैठ के आयेगा , मेरे सपनो का राजकुमार .......इंग्लॅण्ड अमेरिका से ........ पति के रूप में Visa खोजती हैं....... आग लगी है दिल में ............

एक होती है बेचारे विधवा / तलाक शुदा ....... पति मर गया , निकम्मा निकल गया .......क्या करे बेचारी ...... मैंने कहीं पढ़ा है की नयी नयी विधवा यूँ सोचती है की सारी दुनिया विधवा हो जाए .....

एक होता है सौतिया डाह ....... जब पति उसके रहते सौतन ले आये ......... उसके सामने सौतन के साथ गुलछर्रे उडाये ....... यूँ कहा जाता है की सौतिया डाह .....यानि सौतन को देख के जो जलन होती है औरत के दिल में उसका कोई मुकाबला नहीं .....जो आग सौतिया डाह उत्पन्न करती है , उतना ताप , उतना संताप और कोई आग नहीं दे सकती .........

हमारे प्रेम भैया ......अरे वही prem prakash जी राजघाट वाले ........ डाह में जल रहे हैं ......जब भी मुह खोलते हैं तो आग ही उगलते हैं ....... हमेशा सुलगते रहते हैं ........गीली लकड़ी के माफिक ......... जब देखो तब सरापते रहते हैं मोदी को ........ मैंने एक दिन कह दिया .....क्यों जल रहे हो ? यूँ जल रहे हो मानो सौतिया डाह हो ............

फिर विचार किया .......... ये हमारे कम्युनिस्ट , अतुल कुमार अनजान जैसे लोग ....ये तो पहले वाले डाह में जल रहे हैं ........ बियाह नसीब में ही न था .........कांग्रेसी वैधव्य भोग रहे हैं ........ ये आपीये किस आग में जले जा रहे हैं ??????????? इनकी तो औकात ही न थी ........... दिल्ली शहर भर औकात न थी इनकी ........ देस कहाँ से मिलता ....... इनको अधिक से अधिक दिल्ली का सपना देखना चाहिए ....... ये मोदी से क्यों जले जा रहे हैं ?

prem bhaiya को विजय गोयल के खिलाफ लिखना चाहिए ......... मोदी के खिलाफ लिखने का तो कोई तुक ही नहीं बनता .......... न जाने किस आग में जले जा रहे हैं प्रेम प्रकाश जी .........

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