Saturday, August 9, 2014

यायावर मित्र neeraj jat ने पोस्ट डाली है .......कांवरियों के उत्पात पे ......... जाट भाई सीधे आदमी हैं ........ शांत रहते हैं ........

वैसे मैंने कांवरियों को जितना देखा है उस से मुझे लगता है की हिन्दुस्तान के सभी मुसलमान 10 साल में जितना उत्पात मचाते हैं , उतना हमारे कांवरिये सिर्फ एक सावन में मचा देते हैं ........ यहाँ मुझे ऐसा लगता है की हम लोग वाकई मुसलामानों से दुर्भावना रखते हैं ........ उनपे ज्यादती करते हैं ........ उनके छोटे से उत्पात को भी बढ़ा चढ़ा के पेश करते हैं ......... उनके प्रति असहिष्णु हैं ...... वरना जो उत्पात , जो गुंडई , जो अनाचार दुराचार , अव्यवस्था , total lawlessness , उत्तरी भारत की सड़कों पे , सावन के महीने में कांवरिये मचाते हैं उसकी मिसाल मुझे नहीं लगता की आपको दुनिया में कही मिलेगी .......... उस से खराब हालात तो सिर्फ इराक में ही हो सकते हैं .........

आज से कोई 4 साल पहले , उन दिनों मैं पतंजलि योगपीठ हरिद्वार में था . सावन का महीना था . वहाँ पूरे महीने भर मैंने इन कांवरियों का नंगा नाच देखा सड़कों पे ........और कमोबेश पूरे हरिद्वार नगर में ..... उत्पात का ये आलम था की रूड़की से हरिद्वार होते हुए उत्तराखंड को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग सामान्य ट्रैफिक के लिए बंद कर दिया जाता है ......... वहीँ पतंजलि फेज़ 2 के सामने एक बड़ा 36 पहिये वाला ट्रक , BHEL हरिद्वार का एक बहुत बड़ा , विशालकाय boiler लादे , महीने भर सड़क के किनारे खडा रहा .....इस इंतज़ार में , की सावन का महीना ख़तम हो , भाई लोग तीरथ कर के घर जाएँ , सड़क से उनका कब्ज़ा ख़तम हो ............तो हिन्दुस्तान आगे चले ............

कल्पना कीजिये की देश के मुसलमान ऐसा ही कोई पर्व मनाने लगें और देश के 15 - 20 जिलों में ऐसा माहौल पैदा कर दें .....महीने भर के लिए कब्जा कर लें सड़कों पे ........तो इसी फेसबुक पे हम लोगों की प्रतिक्रया क्या होगी ........ धर्म कर्म - आस्था के प्रश्न पे हमारी सरकार हर बार धार्मिक गुंडई के सामने घुटने टेकती नज़र आती है .......... दिखावटी , आडम्बर पूर्ण धर्म, पाप की तरह तेज़ी से बढ़ रहा है .....आज से कोई 30 बरस पहले हमारे सैदपुर कसबे में पहली बार किसी ने दुर्गा पूजा हेतु प्रतिमा बैठाई ......अन्यथा ये सिर्फ बंगाल का पर्व होता था .......... देखते देखते सैदपुर जैसे छोटे से कसबे में , जिसकी आबादी बमुश्किल 20,000 होती थी उन दिनों .......... हर गली मोहल्ले में दुर्गा प्रतिमाएं बैठने लगी .......... फिर गाँव गिरांव में हर चट्टी पे शुरू हुआ ये काम ...... बढ़ते बढ़ते हर गाँव में दुर्गा जी विराजने लगी और अब तो ये आलम है की हर मोहल्ले में अलग प्रतिमा .........यानि ठकुरहन की अलग और चमरौटी में अलग .......... पूरे 5 दिन , दिन रात एक दुसरे से मुकाबला करते लाउड स्पीकर ........ और फिर दशहरे के बाद गाँव के साले लुच्चे आवारा .......... ट्रेक्टर पे लादे ....गुलाल पोत के अश्लील भोजपुरी गानों पे , दारू पी के धुत्त , डांस करते ......... मूर्ती का गंगा जी में प्रवाह करने .........भसान कहते हैं उसे ........ इन सब में बहुत खोजने पर मुझे ढोंग , आडम्बर तो दिखा , कहीं से भी धर्म कर्म नहीं दिखा ........... कोढ़ का इलाज न करो तो बहुत तेज़ी से फैलता है ........सो अब ये कोढ़ दुर्गा पूजा से आगे बढ़ के सरस्वती पूजन और छठ मैया के पूजन से आगे बढ़ते हुए गणपति पूजन पे आ पहुंचा है ......... बात भी सही है .......अगर दुर्गा जी कलकत्ते से गाजीपुर आ सकती हैं तो गणपति बप्पा क्यों नहीं आ सकते मुंबई से ........... और मुझे तो उस दिन का इंतज़ार है जब मोदी के गुजरात मॉडल से प्रभावित हो जितने गाज़ीपुरिये गुजरात रहते हैं वो नवरात्रि का डांडिया कब ले आते हैं हमारे जिले में .......... वाह क्या दृश्य होगा ......जब गाँव भर की भौजाइयां ........ डिज़ाईनर साडी और ब्रा नुमा ब्लाउज पहन के , नंगी पीठ लिए ......... हिमेस बाई रेसमियां के गानों पे डांडिया नृत्य करेंगी ..........

हिन्दुस्तान मोक्ष की प्राप्ति हेतु अभी बहुत नाचेगा ......





अभी एक पोस्ट डाली है ......सावन में कांवरियों के उत्पात पे ........... स्वाभाविक है ऐसी पोस्ट्स पे मिश्रित प्रतिक्रया आती है ......... कुछ लोगों ने कहा की पोस्ट हटा लीजिये .....कुछ ने लिखा की आप भी ??????? pseudosecular ?????? कुछ ने कांवरियों के उत्पात को जायज़ ठहराया ....... कुछ ने लिखा की वो कोई उत्पात करते ही नहीं .........

जितना अब तक मैंने हिंदुत्व को समझा है , वो ये की इस धर्म की एकमात्र विशेषता है की ये अपने अनुयायियों को पूरी आजादी देता है ........ सोचने की , अभिव्यक्ति की ........ आलोचना की .....निंदा की .....भर्त्सना की ........ हिंदुत्व में पूरी आजादी है ............ इस्लाम में , इसाइयत में , सिख धर्म में या अन्य सभी धर्मों में .......एक शीर्ष आराध्य है ......एक पवित्र पुस्तक है और एक निश्चित पूजा पद्धति ....... variety की कोई गुंजाइश नहीं ....... न आप उस आराध्य को नकार सकते हैं , न पवित्र पुस्तक को और न पूजा पद्धति को .......... न आलोचना कर सकते हैं ........ तलवारें निकल आयेंगी .........कमर तक ज़मीन में गाड़ के संगसार कर दिए जाओगे ........blasphemy के कानून में गर्दन काट ली जायेगी ........सिख होगे तो पंथ से निकाल दिए जाओगे ....तनखैया घोषित हो जाओगे ......हुक्का पानी बंद .......

पर अगर हिन्दू हो तो ........ 33 कोटि देवी देवता हैं .....चाहे जिसे पूज लो ....चाहे जैसे पूज लो ....... कपडे पहन के पूज लो चाहे नंगे हो के पूज लो ....उन 33 कोटि में पसंद न आये तो नया देवता बना लो ....नया भगवान् गढ़ लो .......सैकड़ों किताबें हैं ......सब पवित्र हैं .....कोई सी पढ़ लो ...... और कोई पसंद न आये तो नयी लिख लो .......... और अपने धर्म में जो अच्छा न लगे उसे नापसंद कर दो , नकार दो , आलोचना करो ........उसके खिलाफ अभियान चलाओ .......भारत का तो इतिहास ही भरा हुआ है धर्म में व्याप्त ढोंग , आडम्बर , कुरीतियों , कुप्रथाओं के खिलाफ आन्दोलनों से ....जिसे हमने समाज सुधार आन्दोलन का नाम दिया ........ महर्षि दयानंद ने हरद्वार के कुम्भ मेले में जा के गाड़ दी थी ....... पाखण्ड खंडिनी पताका ........ मूर्ती पूजा , ढोंग , आडम्बर का खुल के ........ मुखर विरोध किया ......... और हिंदुत्व को पुनः वैदिक काल की और मोड़ा .....वेदों का पुनरोत्थान किया ......अग्निहोत्र की वैदिक परम्परा को पुनर्जीवित किया ........ लोगों ने उनसे तर्क किया ....उनकी आलोचना की ....... परन्तु ज़बरदस्ती उनका मुह बंद नहीं किया ........... आज हिंदुत्व में मूर्ती पूजक भी हैं और मूर्ती पूजा के विरोधी भी ........

आज कुरआन शरीफ और इस्लाम में आप किसी सुधार की कल्पना भी कर सकते हैं ??????? या आलोचना कर सकते हैं ??????? blasphemy ........ इस्लाम मुहम्मद साहब के जीवन को और उनके द्वारा किये गए हर काम को आदर्श मानता हैं ......... चाहे वो 6 बरस की आयशा से किया गया निकाह ही क्यों न हो ? क्या इस्लाम अपने किसी अनुयायी को उनके इस काम की आलोचना का अधिकार देता है ? पर हिंदुत्व आपको अधिकार देता है की आप पूछ सकें .....क्यों छोड़ा था सीता मैया को भगवान् राम ने ........ गलत किया ........ भीरु थे ........ नहीं करना चाहिए था .......और मैं नहीं त्याग करूंगा अपनी पत्नी का ....सिर्फ समाज को खुश करने के लिए ......यकीन मानिए , ऐसे सवाल खड़े करने पे कोई हिन्दू आपकी गर्दन नहीं उतारेगा .........

कांवरियों के उत्पात में जो पोस्ट मैंने लिखी उसपे कुछ मिश्रित प्रतिक्रिया आयी है .....कुछ लोग आलोचना से आहत हैं ........ अरे भैया ....हिंदुत्व है ये .....आलोचना की इजाज़त देता है ......हिंदुत्व एक जीवित धर्म है ........ समय के साथ बदलता है ...... नयी ज़रूरतों के हिसाब से खुद को adjust करता है ........अपने में सुधार करता है ........सुधार की गुंजाईश है हिंदुत्व में ......... ये एक सुधारवादी ....प्रगतिशील ....... जीवंत धर्म है ....... इसे dead wood मत बनाइये ......... आलोचना और सुधार की गुंजाईश बनी रहने दीजिये ........ गलत को गलत और सही को सही कहने की हिम्मत रखिये ........

हिंदुत्व को इस्लाम मत बनाओ .......

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