Monday, July 14, 2014

एक स्कूल में नया हेड मास्टर आया . पहले दिन उसने assembly में सिर्फ एक बात कही . अब मैं आ गया हूँ . अच्छे दिन आने वाले हैं ...... अब स्कूल में किसिम किसिम के लड़के थे और किसिम किसिम के मास्टर . अच्छे दिन की परिकल्पना सबकी अलग अलग होती है . हेड मास्टर ने आते ही डंडा चढ़ा दिया . सबसे पहले अनुशासन का डंडा चढ़ाया .....कोई लेट नहीं आएगा . सब प्रॉपर यूनिफार्म में आयेंगे . कोई एब्सेंट नहीं होगा . कोई क्लास बंक नहीं करेगा . कोई इधर उधर आवारा नहीं घूमेगा . सब मास्टर घंटी लगते ही क्लास में पहुँचो . कायदे से पढाओ . कोई मास्टर स्कूल में पान नहीं खायेगा . इम्तहान में नक़ल नहीं होगी .

कामचोर निकम्मे मास्टरों को लगा की बड़े बुरे दिन आ गए . अच्छे अध्यापकों को लगा की अब आयेगा मज़ा . अब स्कूल जैसा लगता है . अब मैं कायदे से पढ़ाऊंगा .....वाकई अच्छे दिन आ गए . उसी तरह आवारा लड़कों के तो दुर्दिन आ गए . समय से आना . कोई उत्पात नहीं . सिर्फ पढाई पढाई पढाई ......... अच्छे लड़कों को लगा की वाकई अच्छे दिन आ गए ........स्कूल का माहौल बढ़िया हो गया . खूब अच्छी पढाई होने लगी .........

फिर साल भर बाद जब रिजल्ट आया तो सबको पता लगा की वाकई अच्छे दिन आ गए थे .......... आवारा लड़के और निकम्मे मास्टरों ने भी मजबूरी में ही सही , अनुशासन में रह के काम किया था , पढाई की थी , सो रिजल्ट अच्छा ही आया था .

शुरू में कुछ दिन लगेगा की ये कैसे दिन आ गए ......पर बाद में सबको पता चलेगा की अच्छे दिन आये हैं ........Have faith on your leader . He is an honest man . he's working hard ........ अच्छे दिन ज़रूर आयेंगे ......

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