Monday, July 14, 2014

कल जब मोदी सरकार ने नर्मदा बाँध की ऊंचाई बढाने का फैसला लिया तो गुजरात की CM आनंदी बेन वहाँ पहुँच गयी dam पे . नारियल फोड़ के फीता काटा . फिर एक लाल सा बण्डल बहा दिया नदी में ....कुछ चढ़ावा चढ़ाया होगा नदी में .........

मोदी कहते हैं गंगा की सफाई करूँगा . अकेले गंगा की नहीं बल्कि मुल्क की सभी नदियों की सफाई होनी है . पर कैसे करेंगे . 124 करोड़ पापियों के पाप धोती और ढोती हैं हमारी नदियाँ . हमारा कोई धरम करम गंगा में हगे बिना संपन्न नहीं होता . कल गुजरात की CM ने हग दिया नर्मदा में ....... अब आज वो सड रहा होगा वहाँ . 124 करोड़ लोगों को मोक्ष नहीं मिलेगा जब तक उनकी अस्थियाँ नहीं बहाई जाएँगी गंगा में . धर्म कर्म के जो भी ढोंग ढकोसले हमारे घरों में होते हैं उनके सब अवशेष भी उसी गंगा में ही बहाने का प्रावधान है . किस्मत चमकाने के लिए कोई तंत्र मन्त्र करना है या कोई टोना टोटका करना है तो या तो पड़ोसी के बच्चे की बलि चढ़ा लो या कम से कम बहते पानी में फलां फलां चीज़ बहा देना ....

कैसे मनेगी ढोंगी बनारसियों की देव दीपावली ? लाखों दिए एक दोने में रख के बहाते हैं उस दिन . अधजली लाशें बहा देते है गंगा जी में .....और सिर्फ अधजली ही नहीं , कई तो दाह करते ही नहीं , लाश को प्रवाह कर देते हैं गंगा में ....... पूरे देश के धर्म कर्म और ढोंग ढकोसले और पाप धो ढो रही है गंगा ........ कैसे समझायेंगे इन जाहिल ढोंगियों को की मत बहाओ ये फूल गंगा में ......

दुर्गा पूजा , गणेश चतुर्थी और सरस्वती पूजा के पंडालों में रात भार रंडी नचाने के बाद अगले दिन शराब के नशे में धुत्त , अश्लील गानों पे नाचते गुलाल लगाए लौंडे जब तक उस मूर्ति का भसान गंगा जी में नहीं कर लेंगे , उनकी भक्ति ही पूर्ण नहीं होगी . हे मोदी कैसे समझाओगे in 124 करोड़ जाहिलों को की अपने घर रखो अपना ये धर्म करम और तरस खाओ इस बेचारी गंगा पे ......थक गयी है ये तुम्हारे पाप धोते और ढोते . क्या रोक पाओगे उन करोड़ों लोगों को जो चले आते हैं अपने पाप धोने और मोक्ष की आशा में .......खुद के लिए स्वर्ग ढूंढते , पर नरक बना जाते हैं बेचारी गंगा को , इन कुम्भ के मेलों में और हर तीसरे दिन पड़ने वाले किसी नहान पे .........

मोदी मुझे पता है की शहरों का सीवर और इन उद्योगों का गंदा पानी तो तुम रोक लोगे हमारी नदियों में गिरने से ....पर कैसे बचाओगे इस धरम करम के प्रकोप से ..... बेचारी गंगा को ?

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