Monday, July 14, 2014

prem prakash जी ने एक पोस्ट में कमेंट लिखते हुए बड़े prem पूर्वक गिला किया है की अजित सिंह और उनका गिरोह हम लोगों को आपिया लिखता है . मुझे उनकी इस बात से बड़ा कष्ट पहुंचा है और मैं बड़ा आहत हूँ . वो एक सच्चे मित्र होते हुए भी अपने प्रति मेरे prem को समझ नहीं पाए . राजनीत में हरेक दल के समर्थकों को कुछ नाम तो दिया ही जाता है . कांग्रेसी हैं , भाजपाई है , तो आखिर आप के समर्थकों को भी कोई नाम तो देना ही था . हम लोगों ने बहुत सोच समझ के ये नाम रखा था ....आपिया ......कितना मीठा है , कितना सुरीला है . यूँ रखने को तो आपी भी रख सकते थे पर आपी शब्द पापी के काफी नज़दीक लगता है और आपी पापी आपस में rhyme होते हैं . सो हमें लगा की ये पापी से मिलता जुलता नाम रखना उचित न होगा .खाम खा चुनावी माहौल में कडवाहट बढ़ेगी . इस लिए बड़ा सोच समझ के रखा था .....आपिया .....

आपिया ......इस शब्द की उत्पत्ति पी से हुई है ....पी से अभिप्राय यहाँ प्रिय से है .....जैसे पिया होता है ....जिस से अत्यधिक prem हो उसे पी बोलते हैं .......पी , प्रिय , प्रिये , प्यार , प्रेम , पी पी करने वाला पपीहा ....सब कितने prem से सराबोर शब्द हैं ......सो हम लोगों ने पीया के आगे भी उसे और श्रेष्ठ बनाते हुए आ उपसर्ग लगा कर और ज़्यादा प्रिय बना दिया ...आपिया ......कहने का मतलब है की केतनों तकरार हो पर prem प्यार बना रहे और हे प्रिय , यानि हे पीया तू कही मत जा , तू कहीं भी है आ ........आपिया .....

आप लोगों ने हमेशा नोट किया होगा की चुनाव के माहौल में केतनो छीछालेदर की हम लोगों ने एक दुसरे की ( यानि भाजपाइयों ने आपियों की ) पर prem व्यवहार नहीं बिगड़ने दिया ..... मैं हमेशा लिखता रहा की आपियों के बिना फेसबुक सूनी हो जाती है ...... चुनाव में हार के बाद जब ये लोग कुछ समय के लिए अंतर्धान हो गए थे तब भी आप लोगों ने ध्यान दिया होगा की हम लोग कितना व्याकुल हो कर इन्हें पुकारते थे आ ...आ ...आ पिया ....आ .

अब prem भैया ने ऐसा लिख के मेरा दिल तोड़ दिया है . मैंने निर्णय लिया है की मैं आगे से आम आदमी पार्टी के समर्थकों को आपिया नहीं लिखूंगा . aaptard अंग्रेजी का शब्द है और जब आपिया पसंद नहीं आया तो aaptard पसंद आने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता ......इसमें bastard शब्द की बू आती है . अब आप लोग या तो कोई नया नाम खोज लीजिये नहीं तो खुद prem भैया बताएं की आप समर्थकों को क्या लिखा बुलाया जाए . .......वैसे अप्पू कैसा रहेगा ...अब ये मत कहिएगा की अप्पू पप्पू से मिलता है ....... वैसे अपलू कैसा रहेगा ....अपलू पपलू ........

आप वालों के लिए अपलू और कांग्रेसियों के लिए पपलू .......

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