Thursday, July 17, 2014

पंजाब पर्यटन की दृष्टि से कोई आकर्षक destination नहीं है ......... ले दे के अमृतसर में एक golden temple है ........ दूर दराज़ से पर्यटक जब पहुँचता है और वहाँ माथा टेक लेता है तो पूछता है , अब क्या करू ? और क्या है देखने के लिए ? बाबा जी का ठल्लू .......... जाओ वाघा बॉर्डर देख आओ ........ अब बताओ भैया .....बॉर्डर भी कोई देखने की चीज़ होती है ? क्या है वहाँ ? दोनों तरफ हिन्दुस्तान पकिस्तान की पोस्ट बनी है ..........एक सड़क पे एक गेट है ....... इस तरफ BSF बैठी है उधर पकिस्तान के rangers ......रोजाना शाम को दोनों देशों के ध्वाज उतारते हैं .......पाकिस्तानी रेंजर परेड करते है तो टांग इतनी ऊपर उठाते हैं की सिर से ऊपर चली जाती है .......और गला फाड़ फाड़ के चिल्लाते हैं .......... आँखें अंगारे जैसी लाल होती हैं ........ पाकिस्तानियों का ये चूतियापा देखने के लिए रोजाना वहाँ 10,000 से ज़्यादा पर्यटक जुटते हैं ........ खूब देश भक्ति का माहौल होता है .....वन्दे मातरम् और भारत माता की जय के नारे फिजा में तैरते हैं .........अमृतसर से वाघा बॉर्डर की दूरी लगभग 45 km है ........ यानि लगभग 1200 टैक्सी वालों को रोज़गार मिला हुआ है ........25 लाख रु रोजाना का revenue सिर्फ टैक्सी उद्योग को ........ रास्ते में चाय पानी ...खाना ...... और बहुत कुछ ........साल का लगभग 125 करोड़ .......... भारत सरकार ने जब ये चेकपोस्ट बनायी होगी तो ये नहीं सोचा होगा की ये अमृतसर वालों को ........गरीब आम आदमी को , सालाना 125 करोड़ कमा के देगी .........

गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ती बन रही है ........ दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ती होगी ........ केंद्रीय बजट में उसके लिए 200 करोड़ आवंटित किये गए हैं ........स्वाभाविक है आलोचना शुरू हो गयी है . पेशेवर आलोचकों ने गाली महोत्सव प्रारम्भ कर दिया है ........ स्वाभाविक है , बिना सोचे समझे ही गरिया रहे हैं .........

गुजरात सरकार ने ये प्रोजेक्ट दरअसल एक टूरिज्म आकर्षण के रूप में प्लान किया है ....... पूरा प्रोजेक्ट 500 करोड़ से ज़्यादा का है ....... जो प्रजेक्ट रिपोर्ट तैयार की गयी है उसके हिसाब से इस से उस क्षेत्र के लोगों को प्रति वर्ष 100 करोड़ से ज़्यादा का बिजनेस मिलेगा .......और हज़ारों लोगों को रोज़गार .......जी हाँ मूर्ती से रोज़गार .....पर्यटन रोज़गार के अवसर पैदा करता है ......... कुछ साल पहले तक नर्मदा पे बने सरदार सरोवर बाँध पे लोगों का जाना वर्जित था .....मोदी सरकार ने उसे पर्यटकों के लिए खोल दिया और पहले ही साल 5 लाख पर्यटक पहुँच गए ........ आज से सात साल पहले गुजरात का पतंग उद्योग जो मात्र 10- 20 करोड़ सालाना का हुआ करता था ........ गुजरात सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव से इसे जोड़ दिया और वही उद्योग आज सुनते हैं की 700 करोड़ का हो गया है ........पतंबाज़ी से पर्यटन ...... सरदार पटेल की मूर्ती हज़ारों लोगों को प्रत्यक्ष और परोक्ष रोज़गार देगी ....... मूर्ति पे खर्च होने वाले 500 करोड़ के अतिरिक्त 1500 करोड़ रु उस पूरे क्षेत्र में पर्यटकों के लिए सुविधायें जुटाने के लिए खर्च किये जायेंगे .........मोदी स्वभाव से गुजराती बनिए हैं .......10 रु वहीं खर्च करेंगे जहां से 15 रु वापस मिलें ...........

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