मोदी सरकार चिल्ला चिल्ला के कह रही है .... 2022 तक सबको घर देना है .....वो भी पक्का ...... पक्का घर ...... बाप रे बाप ....... हे भगवान् .....कितनी ईंट बनानी पड़ेगी ? कितने भट्ठे लगाने पड़ेंगे ? कितना कोयला जलेगा उनमे ? कितना धुंआ निकलेगा ? coal mines से ले कर उन भट्ठों तक की ढुलाई ? ज़मीन के ऊपर की कितनी उपजाऊ मिटटी ये भट्ठे चाट जायेंगे .....आपको पता है ? ये भट्ठे कभी बंज़र जमीन पे नहीं लगते . इन्हें वही मिटटी चाहिए जो उपजाऊ होती है . क्या आपको पता है की ज़मीन के ऊपर की सिर्फ 6 इंच मिटटी ही उपजाऊ होती है ? नीचे की मिटटी को उपजाऊ होने में सैकड़ों साल लग जाते हैं . ऊपर की मिटटी ये भट्ठे चाट रहे हैं . फिर उस ईंट का ट्रांसपोर्टेशन .......... उसके बाद सीमेंट ? कितना सीमेंट बनाना पडेगा ??????? और फिर कितना रेत बालू का खनन होगा ? अरे कितना कलेजा चीरेंगे धरती माँ का ? RCC की छत बनाने के लिए कितनी गिट्टी तोड़ोगे crushers में .......कितना pollution होगा ?
और फिर आखिर पक्का घर ही क्यों ? क्योंकि उसके साथ ये myth जुड़ गया है की वो मज़बूत होता है ? इसके उलट सत्य यह है की मिटटी का मकान ज़्यादा मज़बूत होता है . भूकंप रोधी होता है . आसानी से उसकी रिपेयर की जा सकती है . उसकी रिपेयर पक्के की तुलना में बहुत बहुत सस्ती होती है .
मिटटी के मकान में प्रयोग होने वाली हर चीज़ recycle हो सकती है ....... उसका एक एक कण recycle हो जाता है .......... मिटटी का एक मकान तोड़ कर उसी सामान से एक नया मकान बनाया जा सकता है . या फिर वो सब पुनः मिटटी में ही मिल जाता है . कोई pollution नहीं फैलाता . मिटटी के मकान में प्रयोग होने वाली हर सामग्री स्थानीय होती है . उसे ढोना नहीं पड़ता . अगर ढोना भी पड़े तो मालिक उसे सर पे रख के ले आता है ........ इसके उलट पक्के मकान की लगभग हर चीज़ टूटने के बाद मलबा है और उसका निस्तारण पृथ्वी पर एक बोझ .......
इसके अलावा मिटटी का मकान energy efficient होता है . उसे ठंडा या गर्म रखने में बहुत कम ऊर्जा नष्ट होती है . यह स्वास्थय कारी होता है . कच्चे मकानों में कभी सीलन की समस्या नहीं आती . क्या आप जानते हैं की भयंकर वर्षा के बाद भी कच्चा मकान १२ -२४ घंटे में एकदम सूख जाता है . वैसे ही जैसे कपड़ा सूख जाता है . और पक्के मकानों से कभी सीलन जाती ही नहीं .
सबसे बड़ी बात . दो बेडरूम का घर बनाने में भी दस लाख रु लग जाता है भैया . 2 लाख में आप cob से महल बना सकते हैं ....... और सुन्दरता , कलात्मकता जीवन्तता का तो कोई जवाब ही नहीं ......एक कलात्मक मिटटी के मकान के सामने पक्का घर तो ताबूत सा लगता है ......
यकीन न हो तो ये फोटो देखिये ........
http://www.treehugger.com/sustainable-product-design/cob-building-go-ahead-call-it-a-comeback.html
और फिर आखिर पक्का घर ही क्यों ? क्योंकि उसके साथ ये myth जुड़ गया है की वो मज़बूत होता है ? इसके उलट सत्य यह है की मिटटी का मकान ज़्यादा मज़बूत होता है . भूकंप रोधी होता है . आसानी से उसकी रिपेयर की जा सकती है . उसकी रिपेयर पक्के की तुलना में बहुत बहुत सस्ती होती है .
मिटटी के मकान में प्रयोग होने वाली हर चीज़ recycle हो सकती है ....... उसका एक एक कण recycle हो जाता है .......... मिटटी का एक मकान तोड़ कर उसी सामान से एक नया मकान बनाया जा सकता है . या फिर वो सब पुनः मिटटी में ही मिल जाता है . कोई pollution नहीं फैलाता . मिटटी के मकान में प्रयोग होने वाली हर सामग्री स्थानीय होती है . उसे ढोना नहीं पड़ता . अगर ढोना भी पड़े तो मालिक उसे सर पे रख के ले आता है ........ इसके उलट पक्के मकान की लगभग हर चीज़ टूटने के बाद मलबा है और उसका निस्तारण पृथ्वी पर एक बोझ .......
इसके अलावा मिटटी का मकान energy efficient होता है . उसे ठंडा या गर्म रखने में बहुत कम ऊर्जा नष्ट होती है . यह स्वास्थय कारी होता है . कच्चे मकानों में कभी सीलन की समस्या नहीं आती . क्या आप जानते हैं की भयंकर वर्षा के बाद भी कच्चा मकान १२ -२४ घंटे में एकदम सूख जाता है . वैसे ही जैसे कपड़ा सूख जाता है . और पक्के मकानों से कभी सीलन जाती ही नहीं .
सबसे बड़ी बात . दो बेडरूम का घर बनाने में भी दस लाख रु लग जाता है भैया . 2 लाख में आप cob से महल बना सकते हैं ....... और सुन्दरता , कलात्मकता जीवन्तता का तो कोई जवाब ही नहीं ......एक कलात्मक मिटटी के मकान के सामने पक्का घर तो ताबूत सा लगता है ......
यकीन न हो तो ये फोटो देखिये ........
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