Saturday, July 19, 2014

लखनऊ rape और हत्याकांड ने देश को झकझोर के रख दिया है .......... इस घटना ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दी हैं ......... देश में भयंकर आक्रोश  है ....... पर मैं थोडा confused हूँ ........ आक्रोश किसके खिलाफ है ? सरकार के खिलाफ ? पुलिस के खिलाफ ?  उन दरिंदों के खिलाफ ? या पूरे समाज के खिलाफ ? किस से नाराज़ हैं लोग ..........

आखिर सरकार से या पुलिस से लोगों की अपेक्षा क्या है ? किसी समस्या के निवारण के दो पहलू होते हैं .........preventive और  curative .......... समाज में व्यवस्था क्या होनी चाहिए ? हम rape को prevent करें या जब rape हो जाए तो उसपे त्वरित कार्यवाही करके , दोषियों को पकड़ के सज़ा दे दें ?  निश्चित रूप से किसी भी समस्या का हल उसकी रोकथाम यानि prevention में हैं न की उपचार यानि cure में ........आदर्श स्थिति ये होगी की व्यक्ति और समाज बीमार ही न पड़े .....स्वस्थ रहे ........

जब निर्भया काण्ड हुआ दिल्ली में , तो बलात्कारियों के लिए फांसी की सज़ा के लिए बहुत बवाल हुआ ......जिसे देखो वो एक ही बात कहता था .....फांसी दो ...फांसी दो ....... तब मैंने एक पूरी सीरीज लिखी थी अपने ब्लॉग पे ......... अरे भैया क्या सिर्फ कडा कानून मात्र बना देने से अपराध रुक जायेंगे ?  क्या वाकई कानून ही deterrent होता है ? सारी दुनिया सिर्फ और सिर्फ कानून की ही बात करती है ......... अरे भैया , इस दुनिया में तकरीबन हर अपराध के लिए कानून है और सज़ा का प्रावधान है .........क्या दुनिया से अपराध ख़तम हो गए ........ हाँ कानून deterrent  का काम करता तो है पर बहुत सीमित असर है उसका ........

एक छोटा सा ताला मिलता है बाज़ार में ........एकदम पिद्दी सा ....देखा है कभी ?  क्या औकात होती है उस ताले की ? पर शरीफ आदमी के लिए वही छोटा सा ताला बहुत है ..........वो एक प्रतीक है ........ रोकता है एक शरीफ आदमी को कि , बस ....इस से आगे तुम्हारा अधिकार नहीं है ......... पर ध्यान दीजिये , आदमी रुकता उस ताले की वजह से नहीं बल्कि अपनी शराफत की वजह से  है .......... वरना आज तक ऐसा कोई ताला नहीं बना , तिजोरी नहीं बनी जिसे चोर तोड़ न लें या खोल न लें .........

आपको क्या लगता है की सरकार और पुलिस रोक लेगी किसी को दरिंदगी करने से ? बना तो है कडा कानून निर्भया के बाद ..........पर क्या उस से रुक गयी लखनऊ की घटना ? हाँ बहुत से लोग डर गए होंगे उस कड़े क़ानून से ........ पर फिर भी लखनऊ तो हो ही गया न ........ दुनिया की कोई सरकार , कोई पुलिस और कोई कानून और कोई जेल पशु को मनुष्य नहीं बना सकती ........... सिर्फ और सिर्फ education ही पशु को मनुष्य बना सकती है ...... वैसे मैं लिखना तो चाहता था " संस्कार "  .....पर क्या है की संस्कार एक संघी शब्द है ........ इस से कुछ अत्यंत आधुनिक लोगों को बड़ी दिक्कत हो जाती है .....इसलिए मैंने संस्कार की जगह education शब्द का प्रयोग किया ...पर यहाँ एजुकेशन से मेरा आशय BA की डिग्री नहीं है ...... एजुकेशन से आशय शिक्षा और संस्कार से ही है ......... दुनिया की हर समस्या का एक ही हल है .........एजुकेशन और सिर्फ और सिर्फ education ......संस्कार ............

आज लखनऊ काण्ड पे देश गुस्से में है .........न्यूज़ चैनल्स सरकार और पुलिस को निशाना बना रहे हैं ........ पर क्या ये जिम्मेवारी से भागना नहीं है ?  सरकार और पुलिस क्या वाकई 130 करोड़ लोगों को सुरक्षा दे सकती है इस तरह .......हर अकेली महिला के पीछे पुलिस लग सकती है क्या ? कितने CCTV कैमरा लगेंगे ?  सामने बैठे आदमी के दिमाग में क्या चल रहा है कौन जानता हैं .....कब इसकी पशुता जाग उठेगी ? कब ये आदमी से दरिंदा बन जाएगा कौन जानता है ?  कैसे बचाएं अपने आप को उस संभावित दरिन्दे से ?

इन सवालों के हल सरकार और पुलिस को नहीं मुझे आपको , इस पूरे समाज को खोजने होंगे .....सिर्फ सरकार को गाली दे के हम अपनी जिम्मेवारी से नहीं भाग सकते .........

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