Thursday, July 17, 2014

मैं हमेशा से superiority complex से ग्रस्त रहा हूँ ......... सामने बैठे 100 में से 99 आदमी मुझे अनपढ़ लगते हैं ........ अनपढ़ दो किस्म के होते हैं . एक वो जिन बेचारों को पढ़ने लिखने का मौक़ा नहीं मिलता . इनसे मुझे कोई समस्या नहीं होती . मुझे समस्या होती है पढ़े लिखे अनपढ़ों से ......... पढ़ा लिखा अनपढ़ बहुत खतरनाक जीव होता है ....... उसकी समस्या ये होती है की वो जानता नहीं की वो अनपढ़ है ............ दूसरी बात ये की उसे आप कुछ सिखा पढ़ा समझा नहीं सकते ......क्योंकि वो ये समझता है की उसे सब पता है ...... पहले से भरे कटोरे में आप कुछ और नहीं डाल सकते ........ अपनी समझ का कटोरा हमेशा खाली रखो .........और उसे सीधा रखो ......... जिस से की अगर ज्ञान की एक बूँद भी गिरे तो आपकी समझ के कटोरे में ही गिरे ........बाहर spill न कर जाए .......
मेरे साथ समस्या ये है की मैं ये जानता हूँ की मुझे कुछ नहीं पता ........ अभी बहुत कुछ सीखना है ....... मेरे बगल में कोई भी बैठा हो , यदि मैं कुछ लिख पढ़ नहीं रहा तो मैं तुरंत अपने सहयात्री से बात करना शुरू कर देता हूँ ...... आप क्या करते हैं ????? और फिर वो जो कुछ भी करता है मैं उस से उसके ट्रेड की सारी बारीकियां समझ लेता हूँ ....मुझे याद है की एक बार मैं एक रिक्शे वाले से , जो लोहित एक्सप्रेस से जालंधर से गुवाहाटी जा रहा था , दो घंटे बतियाता रहा . मेरी धर्म पत्नी तंग आ गयी .......ओह्ह हो ......कितनी बातें करते हो ? रिक्शे वाले से इतनी बातें ? क्यों....... रिक्शा चलाना है क्या ?
एक बार की बात है . मैं धर्मपत्नी के साथ बनारस से लखनऊ के लिए चला . बगल में एक सज्जन आ के बैठ गए . उनको देखते ही मैं समझ गया के रेल में ड्राईवर हैं ......... बस हो गयी बातें शुरू . क्या होता है ? कैसे होता है ? कैसे चलती है ? कैसे रूकती है ? वो आदमी भी बतरस का रोगी था . बतियाता रहा पूरे सात घंटे मुझ से . धर्म पत्नी तंग आ कर सो गयी थी . जब लखनऊ उतरने लगे तो श्रीमती जी ने टोका ........आज तो पूरी रेल चलानी सीख गए होगे ? ड्राईवर साहब बोले .....भाई साहब मैं 9 घंटे में एक माल गाडी लखनऊ से बनारस ले के गया था .......सोचा था वापसी में सोउंगा .......आपसे बातें करते न नींद आई न सफ़र का पता चला ...........
40 साल से ऊपर हो गए मुझे लोगों से इसी तरह गप्पें मारते ........पर अब भी यही लगता है की कुछ नहीं पता मुझे ....कितना कुछ सीखना बाकी है ........ मैं अनपढ़ नहीं मरना चाहता .......







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