Monday, July 14, 2014

एक ज़माना था जब सेक्युलर ब्रिगेड के लिए मोदी अछूत थे . समाजवादी पार्टी के नेता , सांसद , और उर्दू साप्ताहिक नयी दुनिया के सम्पादक शाहिद सिद्दीकी ने मोदी का इंटरव्यू ले कर छाप दिया था ........... सेक्युलर जगत में हंगामा मच गया .......यूँ मानो किसी सच्चे मुसलमान ने शिर्क कर दिया हो ....... blasphemy ....... मोदी का इंटरव्यू ? क्या ज़रुरत थी भला ? आखिर मोदी से मिलने ही क्यों गये ? मुस्लिम जगत ने तो शाहिद सिद्दीकी को काफिर ही घोषित कर दिया .....मुल्ला यम सिंह की समाजवादी पार्टी ने शाहिद सिद्दीकी को पार्टी से ही निकाल दिया .........जब एक पत्रकार को एक राज्य के चुने हुए मुख्य मंत्री और देश के होने वाले प्रधान मंत्री से मिलने और इंटरव्यू लेने पे इतना प्रताड़ित किया जा सकता है , तो हाफ़िज़ सईद तो फिर भी हाफ़िज़ सईद हैं ........

वेद प्रकाश वैदिक के लिए तो secular ब्रिगेड को फांसी से कम नहीं मांगना चाहिए ..........



बात 1990 की है . मुंबई में जो उन दिनों बॉम्बे हुआ करता था , boxing की World Championship हो रही थी . पहले दिन प्रतियोगिता का उदघाटन हुआ और प्रारम्भिक मुकाबले शुरू हुए . अखबारों में कोई कवरेज नहीं आई , जबकि world championship एक बहुत बड़ा आयोजन होता है . अखबार ऐसे event की coverage से भरे होने चाहिए ........ boxing फेडरेशन के अध्यक्ष जो की शायद कोई पुराने रिटायर्ड फौजी अफसर थे , उन्होंने अपने सचिवसे कहा ......... अरे भाई ....... कुत्ते को हड्डी डालो , तभी दम हिलाएगा ........सचिव ने एक पांच सितारा होटल में कमरा खुलवा के शराब की दो पेटियां और काजू की नमकीन के साथ मुर्गे का इंतजाम कर दिया .....अगले दिन अखबार world championship की ख़बरों से रंगे हुए थे .............. भौंकते हुए कुत्ते के सामने हड्डी डाल दो , वो दम हिलाने लगेगा ...........

जब से मोदी ने कुर्सी सम्हाली है , दो विदेशी दौरे कर चुके हैं ........ भूटान और अब ये BRICS सम्मलेन का ........ किसी भी प्राइवेट news चैनल और अखबार के पत्रकार को अपने साथ नहीं ले गए ....... उनके official delegation में DD , loksabha और rajyasabha TV और ANI और PTI के ही पत्रकारों को शामिल किया जाता है ....... मोदी के PRO Jagdish Thakkar जी जिन्हें वो गुजरात से ले के आये हैं , वो भी इन निजी news channels के पत्रकारों को कोई भाव नहीं देते और मंत्रियों को किसी प्रकार की बाइट देने के लिए भी मनाही है .......कहने का मतलब है की सरकार कुत्तों को मुह नहीं लगा रही है ....... वेद प्रकाश वैदिक प्रकरण में मीडिया उसी की खुन्नस निकाल रहा है ........भौंक के ........

भौंकते कुत्ते को चुप कराने के दो ही तरीके हैं ....... या तो हड्डी डाल दो या फिर बाँध के मारो .........


इस धरती पे आज तक जितने भी विख्यात और कुख्यात अपराधी हुए हैं उन से दुनिया भर के पत्रकार मिलते रहे हैं ......... उनके इंटरव्यू लिए गए हैं ....... उनपे documentaries बनी हैं ........ फिल्में बनी है .......किताबें लिखी गयी हैं ......... अपराधी भी हर श्रेणी के ....चोर डाकू , बलात्कारी , खूनी से ले कर डकैत , आतंकवादी , naxalite , सबसे मिलते रहे हैं पत्रकार ......... ओसामा बिन लादेन हो चाहे प्रभाकरण , हिकमतयार हों चाहे अराफात ........ वीरप्पन हों चाहे निर्भय गुर्जर , ददुआ ......या फिर फूलन देवी ........ या फिर चार्ल्स शोभराज ........सबसे मिले हैं पत्रकार बंधू ........ अब वेद प्रकाश वैदिक अगर हाफिज़ सईद से मिल आये तो इसमें कौन सा पहाड़ टूट पडा ? जब ओसामा से मिले अमेरिकी पत्रकार तो अमेरिका में तो इसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई ........ दिन रात प्रेस और मीडिया की स्वतन्त्रता की दुहाई देने वाले नेता और पत्रकार खुद एक पत्रकार की एक मुलाक़ात पे इतनी हाय तोबा क्यों मचा रहे हैं ......... 

please read between the lines ...... अच्छा ये बताइए की अगर यही काम कुलदीप नय्यर या किसी कांग्रेसी पत्रकार ने किया होता तो इतनी हाय तोबा मचती ? अजी जनाब , कोई नोटिस ही नहीं लेता ........ निशाना वेद प्रकाश वैदिक नहीं बल्कि मोदी हैं .......... मोदी सरकार है ........ वैदिक को बाबा रामदेव और भगवा कैंप का करीबी माना जाता है .......इसलिए वैदिक के सहारे भगवा कैंप और मोदी सरकार पे निशाना साधा जा रहा है .......

डॉक्टर , पत्रकार और वकील का कोई धर्म मजहब जाति और राष्ट्रीयता नहीं होती ........ इनके लिए कोई अछूत नहीं होता ........ डॉक्टर हो या वकील कुख्यात से कुख्यात अपराधी के लिए जान लड़ा देते हैं ........ उन्हें जी जान से बचाने की कोशिश करते हैं ....यही इन professions का धर्म है ........... इसके लिए इनकी आलोचना नहीं होनी चाहिए ........ जब कसाब का मुकदमा लड़ने से वकीलों ने मना कर दिया तो इसे निहायत ही मूर्खता पूर्ण और बचकाना कदम माना गया था ........ सर्वश्रेष्ठ लीगल help हासिल करना किसी भी आरोपी का मूल अधिकार है ....... उसे ये मिलना ही चाहिए ....... जब वकील बिरादरी किसी आरोपी का मुकदमा लड़ने से मना कर देते हैं तो विरोधियों को मौक़ा मिल जाता है ये कहने का की बेचारे के साथ अन्याय हुआ .......उसे खुद को निर्दोष साबित करने का मौक़ा ही नहीं मिला ....... अफज़ल गुरु के पक्ष में आज भी कश्मीरी अवाम यही भोथरा तर्क देता है ......

उसी प्रकार एक पत्रकार , फिल्मकार , साहित्यकार यदि किसी कुख्यात अपराधी से मिलता है तो इसपे हाय तोबा नहीं मचनी चाहिए ........ कांग्रेस और उसका गिरोह मोदी के हाथो मिली हार से इस कदर तिलमिलाए बैठे हैं की वो वैदिक के बहाने मोदी पे खुन्नस उतार रहे हैं ........






No comments:

Post a Comment