Monday, July 14, 2014

मैं और धर्मपत्नी , हम दोनों मसूरी गए हुए थे घूमने . मसूरी या किसी भी हिल स्टेशन पे जाने का अपना एक उसूल है . पीक सीजन में कभी मत जाओ ....... एकदम मछली बाज़ार बन जाते हैं हमारे हिल स्टेशन सीजन में . सो हम मसूरी तभी जाते हैं जब एकदम खाली पडी हो ....उनींदी सी ...अलसाई सी मसूरी ..... सो ऐसी ही एक अलसाई शाम , मसूरी में एक स्थानीय दुकानदार हमें टकर गया बाज़ार में . फुर्सत में था सो गप्पें मारने लगा . उसने बताया कि एकदम ठाला चल रहा है . है ही नहीं मसूरी में कोई , आप दोनों के सिवा ........ फिर उसने बताया की बस अब इसके बाद बंगाली सीजन शुरू हो जाएगा ........ फिर उसने एक बहुत मोटी गाली दी ........ साले बंगाली .....भीड़ होगी ठेलम ठेला , बिक्री बोहनी एक पैसे की नहीं . भुक्खड़ साले ........ फिर बोला उसके बाद गुजरती सीजन शुरू होगा .......... उसमे आयेगा मज़ा ........धंदे पानी के हिसाब से गुजराती और मराठी टूरिस्ट सबसे बढ़िया होता है ......... हम लोग उसी एक महीने में साल भर का कमा लेते हैं .........पंजाबी .....पंजाबी आते हैं तो सिर्फ हल्ला मचाते हैं ...... बिक्री बट्टा कुछ नहीं होता ....... सिर्फ खाते पीते हैं वो लोग ........फिर मैंने डरते डरते पूछा ........और UP बिहारी ........उसने मेरी तरफ आश्चर्य से देखा ........ बोला ....अरे साहब , वो आते ही नहीं .......

मोदी tourism को बढ़ावा देना चाहते हैं . पर्यटन रोज़गार देता है . उस से हर आदमी कमाता है . गरीब भी और अमीर भी . पर पर्यटन ऐसा हो जो स्थानीय जनता को सचमुच रोज़गार दे . उन पे बोझ न बन जाए .

मित्र Anand kumar ने लिंक भेजा है की जम्मू कश्मीर सरकार ने अमरनाथ यात्रियों पे कर लाद दिए हैं . जजिया है ये . भूटान अपने यहाँ भरसक भुक्खड़ टूरिस्ट को घुसने नहीं देता . वो कहता है , आये हो तो कम से कम सौ डालर रोज़ खर्चा करो . मालदीव्स भी भुक्खड़ tourism को रोकता है . उसने अपने देश में सस्ते होटल खुलने ही नहीं दिए . सिर्फ अमीर टूरिस्ट का स्वागत है मालदीव्स में ...... हमारे देश में ज़्यादातर tourism धार्मिक है .....लोग तीर्थ यात्रा को ही tourism का रूप दे देते हैं . लोगों को बिज़नस नाम मात्र का मिलता है . बंगालियों को तो मैंने देखा है किसी ज़माने में 50 रु रोज़ में शिमला घूम के चले जाते थे लोग . ट्रेन भाड़े के बाद 300 रु बहुत होता था ....... अमरनाथ जैसी यात्राओं पे सरकार को बहुत ज़्यादा खर्च करना पड़ता है . इसके विपरीत उन्हें मिलता कुछ नहीं . बाबा बर्फानी की कृपा से हर चीज़ मुफ्त में . जो थोड़े से लोग पालकी घोड़े पे बैठे , उनसे स्थानीय लोग कमा लेते हैं . अन्यथा जो भीड़ उमड़ती है उसकी तुलना में स्थानीय जनता को revenue और business बहुत कम मिलता है . खाया पीया कुछ नहीं ....गिलास तोड़ दिया ........ उसका बारह आना तो दो भैया .........जो थोडा बहुत धंदा स्थानीय टैक्सी वालों को मिलता था उसमे भी भाई लोगों ने भांजी मारनी शुरू कर दी . पता लगा की घर से अपनी गाडी में चल दिए . अपनी बस ले आये गुजरात से . साउथ वाले तो बस में पूरी किचन ही लाद लाते हैं ............ऐसा टूरिस्ट स्थानीय जनता को कुछ नहीं देता उल्टा गंदगी मचा के चल देता है ........खाना खाया फ्री का ...लंगर में ....चाय पी वो भी फ्री की ..........ऐसे में सरकार ने लंगर वालों पे टैक्स लगा दिया .......अरे भैया कुछ तो दो .......बाहर से आने वाली गाड़ियों पे टैक्स लगा दिया ......... अब कुछ लोगों को ये जजिया लग रहा है .........मुझे मालूम है की अब लोग इस पे चिल्लाने लगेंगे ....अब क्या बेचारे गरीब को तीर्थ करने का अधिकार भी न रहा ....गरीब बेचारा घूम भी नहीं सकता ........पर मालदीव्स वाले कुछ नहीं सुनते . वो कहते हैं जेब में 50000 है तो स्वागत है , नहीं तो राम राम ........

tourism ऐसा हो की स्थानीय जनता और सरकार उस से कुछ कमाए न की आपके आने से वो कंगाल हो जाए . कश्मीर सरकार ने ये टैक्स लगा कर बहुत समझदारी का काम किया है ........

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