Thursday, July 17, 2014

दो दिन पहले टीवी पे times now की एडिटर नाविका कुमार को BRICS सम्मलेन स्थल पे चीत्कार करते देखा .....मोदी जी ....प्लीज़ .....देखिये ये सुरक्षा कर्मी हमें आगे नहीं आने दे रहे .......... ये देख के कलेजे को बड़ी ठंडक पहुँची . 

शोले film का दृश्य याद आता है जब ठाकुर कहता है ......... कालिया ......गब्बर से कह देना .....रामगढ़ वालों ने कुत्तों के आगे रोटी डालना बंद कर दिया है . इधर मोदी ने भी कुत्तों केआगे हड्डी डालना बंद कर दिया है ....... सरदार मनमोहन सिंह जी जब विदेश दौरे पे जाते थे तो उनके साथ निजी news channels और अखबारों के पत्रकार नुमा news ट्रेडर्स की फ़ौज जाया करती थी ....सरकारी खर्चे पे क्या ऐश और अय्याशी होती थी ......... PM के साथ विशेष विमान में executive class ट्रेवल .....वहाँ 5 और 7 सितारा होटलों में प्रवास ......और मौज मस्ती , अय्याशी ........फुलटू दारू मुर्गा ......पर कम्बखत जब से नयी सरकार आयी है ......रामगढ़ के ठाकुर ने कुत्तों के आगे हड्डी डालना बंद कर दिया है ....... अब सरकारी प्रतिनिधिमंडल में सिर्फ दूरदर्शन , RS , LS टीवी के पत्रकार जाते हैं ...... news channels अपने खर्चे पे अपने पत्रकार भेजते हैं जिन्हें वहाँ सुरक्षा कर्मी कुत्ते की तरह दुत्कार देते हैं ........ नज़दीक नहीं आने देते ....... पत्रकार बेचारा 12 डॉलर के दैनिक भत्ते में किसी तरह bread omelette खा के ज़िंदा रहता है .......

news channels रामगढ़ वाले ठाकुर साहब पे खुन्नस उतार रहे हैं .......... BRICS की खबरें news से गायब हैं .........





आज टीवी पे एक समाचार दिखाया गया . टमाटर की फैक्ट्री . टमाटर का कोई नया बीज आया है . उसके पौधे में 19 kg टमाटर लगेगा . इसलिए अब टमाटर सस्ता हो जाएगा . ये चैनल वाले इतने जाहिल हैं की महंगाई की समस्या को समझते ही नहीं . टमाटर देश में इसलिए महँगा नहीं है की उपज कम होती है ....... उपज तो इतनी होती है की सम्हालना मुश्किल हो जाता है .........अभी पिछले महीने यहाँ मलेर कोटला की स्थानीय सब्जी मंडी में सब्जियों का ये हाल था की टमाटर का थोक भाव 2.5 रु किलो तक आ गया था . खीरा 3 रु और शिमला मिर्च भी 3 रु किलो ही बिक रही थी . लौकी का तो ये हाल रहा की संगरूर के किसानों ने मंडी में ना ला कर पशुओं को खिलाना उचित समझा . पर वही टमाटर हमारे घर के बगल वाली दूकान पे 10-12 रु और शिमला मिर्च 15-20 रु बिकती थी . समस्या ये नहीं है की सब्जी का उत्पादन कम है . समस्या ये है की सब्जी में 4 दिन की चांदनी और फिर अँधेरी रात होती है .... जब खेतों में सब्जी निकलती है तो भाव आ जाता है 2 रु . किसान बेचारे को कुछ नहीं मिलता . महीने भर में जैसे ही फसल का सीजन ख़तम हुआ वही सब्जी 30 -40 - 50 पे पहुँच जाती है .

ऐसे में टीवी समाज में आग लगाने का काम करता है . ब्रेकिंग news .....टमाटर हुआ लाल .........अरे पढ़े लिखे जाहिल ......टमाटर का सीजन कब का ख़तम हो गया . अब जो टमाटर आ रहा है वो शिमला और नैनीताल के green house में उगाया गया टमाटर है जो की ट्रक में लाद के 300 km दूर लुधियाना लाया गया है ....... उसका थोक मूल्य ही 25 -28 रु है . 35 -40 बिकना स्वाभाविक है . हाँ posh colony का दुकानदार उसे 70 -80 भी बेच देता है .......

नयी प्रजाति का पौधा जब 18 किलो उपज देगा तो सिर्फ इतना फर्क पडेगा कि सीजन में थोक भाव जो पहले 3 रु किलो होता था अब 2 रह जाएगा . पर एक महीने बाद वही 30-40 रु ........ कृषि विज्ञान में नयी सोच ये होनी चाहिए की ऐसा पौध विकसित करें जो जून जुलाई अगस्त में भी फले ........ इसके अलावा साल भर ताज़ी सब्जी सस्ते दाम पर नहीं खिलाई जा सकती ......उसका एक मात्र हल है food processing , cold storage और logistic chain ......125 करोड़ लोगों को साल भर सस्ती सब्जी खिलाने का एक यही एक तरीका है ...... cold storage की अपनी सीमाएं हैं . इसलिए सीजन में जब दाम एकदम कम हों तब उन्हें डिब्बे में पैक करो ....... जब food processing इंडस्ट्री मंडी में पहुँच जायेगी माल खरीदने तो किसान का जो टमाटर आज 2 रु बिकता है वो 5-6 रु बिकने लगेगा ........ इस से आम उपभोक्ता जो एक महीने सस्ती और 11 महीने महंगी सब्जी खाता है उसके लिए साल भर एक स्टैण्डर्ड रेट स्थिर रखा जा सकता है ........ साल भर सब्जी सस्ती मिल सकती है .....
हिन्दुस्तान को processed food खाना सीखना ही पडेगा ........सूखी vacuum dried प्याज और powder tomato और canned vegetables खाना ही पडेगा .......फ्रेश सब्जी खिला के 125 करोड़ लोगों का पेट नहीं भरा जा सकता ........ न किसान को संपन्न बनाया जा सकता है .

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